अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर भयंकर हिंसा और अमेरिकी संसद में हुए हमले पर काबू पाने के बाद फिर से शुरू हुए अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन और वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस की जीत को मंजूरी दे दी गई है. इस मंजूरी के बाद डॉनल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का पद छोड़ने को तैयार हो गए हैं. अमेरिका की राजधानी में ट्रंप समर्थकों द्वारा की गई हिंसा के बीच गुरुवार को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में इलेक्ट प्रेसिडेंट जो बाइडन की जीत को मंजूरी दे दी गई. इसके बाद अब निवर्तमान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ सकती है. कांग्रेस के इस फैसले के बाद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि 20 जनवरी को कानून के मुताबिक जो बाइडेन को पॉवर ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
अमेरिका की राजधानी में भड़की हिंसा को लेकर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अमेरिकी मीडिया के निशाने पर आ गए हैं. अमेरिकी मीडिया ने ट्रंप को महाभियोग प्रक्रिया या आपराधिक मुकदमे के तहत जिम्मेदार ठहराने की मांग कर डाली है.
इससे पहले चुनाव हार चुके मौजूदा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थकों ने बुधवार की रात, अमेरिकी संसद की इमारत पर हमला बोल दिया. हिंसा में कम से कम चार लोगों की जान चली गई. सुरक्षा बलों को ट्रंप समर्थकों से संसद भवन को मुक्त कराने में काफ़ी बल प्रयोग करना पड़ा. जिस समय अमेरिकी संसद में हमला हुआ, उस वक़्त वहां दोनों सदनों की संयुक्त बैठक चल रही थी. ये बैठक बेहद महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इस मीटिंग में अमेरिकी संसद के दोनों सदन, 3 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर आख़िरी और औपचारिक मुहर लगाने वाले थे. डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक कुछ सांसद, संसद पर दबाव बना रहे थे कि वो पेंसिल्वेनिया, एरिज़ोना और जॉर्जिया जैसे कुछ राज्यों के चुनाव नतीजों को अस्वीकार कर दें. इससे ट्रंप के राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ़ हो जाता.
हालांकि, अमेरिकी सीनेट के अध्यक्ष और उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने ऐसा करने से साफ़ इनकार कर दिया. इस बीच राष्ट्रपति ट्रंप के लगातार भड़काने के चलते, वॉशिंगटन डीसी में हज़ारों की तादाद में ट्रंप के समर्थक जुट गए थे. उन्होंने अपनी रैली को चुनाव में हुई चोरी रोकने का नाम दिया था. ट्रंप के लगातार भड़काऊ ट्वीट और भाषणों से उग्र हुए उनके समर्थकों ने तब, संसद भवन या कैपिटॉल हिल पर धावा बोल दिया, जब एरिज़ोना और पेंसिल्वेनिया के चुनाव नतीजों को अवैध घोषित कराने की ट्रंप समर्थक सांसदों की कोशिशें नाकाम हो गईं. ट्रंप के हथियारबंद समर्थकों के हमले के चलते संसद भवन को बंद करना पड़ा. पुलिस के गोली चलाने पर एक महिला की मौत हो गई, जबकि कई ट्रंप समर्थक घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा.
संसद भवन पर हमला करने वालों पर पुलिस के क़ाबू पाने के बाद, संसद की बैठक दोबारा शुरू हुई. इसके बाद अमेरिकी कांग्रेस ने प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन और वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस की जीत को मंजूरी दे दी.
असल में अमेरिकी संविधान के मुताबिक़, हर लीप ईयर यानी चौथे वर्ष, नवंबर के पहले सोमवार को पड़ने वाले मंगलवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाते हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जनता के सीधे वोट से नहीं चुने जाते. बल्कि, किसी राज्य के लोकप्रिय वोटों के आधार पर इलेक्टोरल कॉलेज राष्ट्रपति चुनते हैं. इलेक्टोरल कॉलेज, 15 दिसंबर तक, अपने अपने राज्यों के चुनाव नतीजों को प्रमाणित करके, संसद को भेजते हैं.
छह जनवरी को अमेरिकी संसद के दोनों सदन, राज्यों के इलेक्टोरल कॉलेज से आए नतीजों पर आखिरी मुहर लगाते हैं. इसके बाद चुनाव के नतीजों को नहीं बदला जा सकता.
नवंबर में हुए चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन चुनाव जीत गए थे. लेकिन, डॉनल्ड ट्रंप ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए, नतीजों को मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कई राज्यों की अदालत में चुनाव नतीजों को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी दाख़िल की थीं. लेकिन, उन्हें सभी में पराजय का सामना करना पड़ा. 15 दिसंबर को सभी राज्यों के इलेक्टोरल कॉलेज ने भी अपने अपने यहां के चुनाव के नतीजों पर मुहर लगा दी थी. इसके बाद, जो बाइडेन के नाम पर 6 जनवरी को अमेरिकी संसद द्वारा मुहर लगाने की औपचारिकता पूरी की जानी थी.
लेकिन, उससे पहले नस्लवादी इतिहास रखने वाले अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में सीनेट की दो सीटों के चुनाव फिर से कराए गए. इस दौरान, ट्रंप ने जॉर्जिया के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट को धमकाने वाला फ़ोन किया कि उन्हें जीत के लिए लगभग 12 हज़ार वोट का जुगाड़ करना है. कल ही आए जॉर्जिया के सीनेट के चुनाव मे भी डेमोक्रेटिक पार्टी ने जीत हासिल की है. इनमें से एक अश्वेत डेमोक्रेटिक नेता भी हैं. इस जीत के साथ ही अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत हो गया है. इसके बाद से ही ट्रंप समर्थक हथियारों से लैस होकर, वॉशिंगटन में जुटने लगे थे.
वहीं, ट्रंप के सांसद, किसी न किसी तरह जो बाइडेन के चुनाव पर संसद की मुहर लगने से रोकने पर आमादा थे. उन्होंने एरिज़ोना और पेंसिल्वेनिया राज्यों में बाइडेन की जीत पर सवाल उठाए. हालांकि, सीनेट ने ऐसे प्रस्तावों को ख़ारिज कर दिया.
इस बीच ट्रंप ने वॉशिंगटन में अपने समर्थकों को भड़काने का सिलसिला जारी रखा. उन्होंने लगातार ट्वीट किए कि चुनाव में धांधली हुई है और वो कभी भी हार नहीं मानेंगे.
संसद की बैठक शुरू होते ही, ट्रंप समर्थकों ने कैपिटॉल हिल पर हमला बोल दिया. हिंसक संघर्ष के बाद ट्रंप ने अपने समर्थकों से घर जाने की अपील की. लेकिन, तब भी वो चुनाव में हार मानने से इनकार करते रहे.
वहीं, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रंप समर्थकों के उत्पात पर कड़ी नाराज़गी जताई. उन्होंने कहा कि क्या यही असली अमेरिका है?
Our way is plain: It is the way of democracy — of lawfulness, and of respect — respect for each other, and for our nation.
— Joe Biden (@JoeBiden) January 6, 2021
उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप से कहा कि वो टीवी चैनलों पर जाकर अपने समर्थकों से संसद की घेरेबंदी ख़त्म करने की अपील करें.
I call on President Trump to go on national television now to fulfill his oath and defend the Constitution by demanding an end to this siege.
— Joe Biden (@JoeBiden) January 6, 2021
जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका इन हालात से भी उबरने में सफल होगा.
Through war and strife, America has endured much. And we will endure here and prevail now. pic.twitter.com/OvNOV0ogWG
— Joe Biden (@JoeBiden) January 6, 2021
चौतरफ़ा निंदा के बाद ट्रंप ने आख़िरकार अपने समर्थकों से संसद की घेरेबंदी ख़त्म करने की अपील की और उन्हें घर जाने को कहा.
I am asking for everyone at the U.S. Capitol to remain peaceful. No violence! Remember, WE are the Party of Law & Order – respect the Law and our great men and women in Blue. Thank you!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 6, 2021
अमेरिका में हुई हिंसा की पूरी दुनिया ने निंदा की है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिका में हुई हिंसा को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि हिंसा के ज़रिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बदलने की कोशिश सफल नहीं होने दी जाएगी.
Distressed to see news about rioting and violence in Washington DC. Orderly and peaceful transfer of power must continue. The democratic process cannot be allowed to be subverted through unlawful protests.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 7, 2021
ब्रिटेन और यूरोप के कई अन्य देशों ने भी अमेरिका में हुई हिंसा को लेकर अफ़सोस जताया है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अमेरिकी संसद के मंज़र को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण होना चाहिए.
Disgraceful scenes in U.S. Congress. The United States stands for democracy around the world and it is now vital that there should be a peaceful and orderly transfer of power.
— Boris Johnson (@BorisJohnson) January 6, 2021
न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा एर्डर्न और, जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास समेत कई देशों के नेताओं ने अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हिंसा और संसद पर हमले की कड़ी आलोचना की है.
अमेरिका के क़रीब ढाई सौ साल के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अमेरिकी संसद पर हमला हुआ है. ज़्यादातर लोग इसके लिए मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप की पद से चिपके रहने की ज़िद को ज़िम्मेदार मान रहे हैं.
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक़, ऐसी ख़बरें हैं कि संसद पर हमले और हिंसक प्रदर्शनों के बाद, ट्रंप के व्हाइट हाउस में काम करने वाले कई अधिकारियों ने इस्तीफ़ा देने का मन बना लिया है. इनमें ट्रंप की पत्नी मेलानिया के मातहत काम करने वाले अधिकारी भी शामिल हैं.
अमेरिका के संविधान के मुताबिक़, नए राष्ट्रपति 20 जनवरी को शपथ लेते हैं. उस दिन से पहले अमेरिका में ट्रंप समर्थकों द्वारा और उत्पात मचाने की आशंकाएं भी जताई जा रही हैं.
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