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NDA से अलग हुआ अकाली दल, सिमरत कौर बादल ने दिया इस्‍तीफा

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 18 Sep, 2020 10:27 am

बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल ने NDA से अलग होने का एलान कर दिया है. अकाली दल से केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्विटर पर अपने इस्तीफ़े की घोषणा की.

इससे पहले हरसिमरत कौर बादल के पति और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा था कि उनकी पार्टी केंद्र द्वारा लाए गए खेती संबंधी नए विधेयकों से सहमत नहीं है और इसीलिए उसने सरकार से अलग होने का फ़ैसला किया है.

इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकाली दल को चुनौती दी थी कि अगर वो किसानों के इतने बड़े हिमायती हैं, तो केंद्र सरकार में मंत्री पद क्यों नहीं छोड़ देते.

17 सितंबर की सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक कार्यक्रम की तस्‍वीर शेयर करते हुए उनके जन्‍मदिन की शुभकामनाएं दी थी. अपने ट्वीट में हरसिमरत कौर बादल ने लिखा था, 'हमारे माननीय पीएम श्री को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. भारत को #Atamnirbhar बनाने के आपके अथक प्रयास और समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणादायी हैं. हमारे देश को सर्वाधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के आपके दृष्टिकोण तथा आपके अच्छे स्वास्थ्य और सफलता की कामना करती हूं.'

केंद्र द्वारा लाए गए कृषि संबंधी अध्यादेशों को संसद से मंज़ूरी दिलाने के लिए लोकसभा में पेश किया गया है. इसके ख़िलाफ़ देश के कई किसान संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने भी सरकार के इन विधेयकों पर कड़ा ऐतराज़ जताया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने भी सरकार से कहा था कि वो इन विधेयकों को ज़बरदस्ती संसद से पास कराने के बजाय, स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दे. क्योंकि, अध्यादेश अभी लागू हैं और सरकार के पास इन विधेयकों को पास कराने के लिए दिसंबर तक का समय है.

विरोध का कारण बने ये बिल हैं- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा)बिल, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) और आवश्यक वस्तु संशोधन बिल. इन तीनों विधेयकों के विरोध में पिछले कुछ दिनों से हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ किसानों की झड़प भी हुई थी. जिसके कारण पंजाब और हरियाणा में ज़बरदस्त तनाव पैदा हो गया था.

ये नए विधेयक अगर संसद से पास होकर क़ानून के रूप में लागू होते हैं, तो व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे. पहले किसानों की फसल को सिर्फ मंडी से ही खरीदा जा सकता था. वहीं केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज, इडेबल ऑयल आदि को आवश्यक वस्तु के नियम से बाहर कर इसकी स्टॉक सीमा खत्म कर दी है. इन दोनों के अलावा केंद्र सरकार ने ठेके पर खेती को बढ़ावा देने की भी नीति पर काम शुरू किया है. किसान इसे खेती का कॉरपोरेटाइज़ेशन कह कर विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस से लेकर भारतीय किसान यूनियन जैसे बड़े संगठन भी शामिल हैं, जिन्हें अब अकाली दल का भी समर्थन मिल गया है.

गुरुवार को लोकसभा में सुखबीर सिंह बादल ने साफ कहा कि अकाली दल केंद्र के इन विधेयकों का सख्त विरोध करता है. सुखबीर बादल ने कहा कि किसानों को लेकर लाए गए इन तीन विधेयकों से पंजाब के 20 लाख किसान प्रभावित होने जा रहे हैं. जबकि इन प्रस्तावित क़ानूनों से 30 हजार आढ़ती, तीन लाख मंडी मजदूर और 20 लाख खेतिहर मज़दूरों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा.

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