बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल ने NDA से अलग होने का एलान कर दिया है. अकाली दल से केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्विटर पर अपने इस्तीफ़े की घोषणा की.
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
इससे पहले हरसिमरत कौर बादल के पति और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा था कि उनकी पार्टी केंद्र द्वारा लाए गए खेती संबंधी नए विधेयकों से सहमत नहीं है और इसीलिए उसने सरकार से अलग होने का फ़ैसला किया है.
SAD member and Union minister Harsimrat Kaur Badal will resign from government to protest farm bills: Sukhbir Singh Badal in Lok Sabha
— Press Trust of India (@PTI_News) September 17, 2020
इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकाली दल को चुनौती दी थी कि अगर वो किसानों के इतने बड़े हिमायती हैं, तो केंद्र सरकार में मंत्री पद क्यों नहीं छोड़ देते.
17 सितंबर की सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक कार्यक्रम की तस्वीर शेयर करते हुए उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दी थी. अपने ट्वीट में हरसिमरत कौर बादल ने लिखा था, 'हमारे माननीय पीएम श्री को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. भारत को #Atamnirbhar बनाने के आपके अथक प्रयास और समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणादायी हैं. हमारे देश को सर्वाधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के आपके दृष्टिकोण तथा आपके अच्छे स्वास्थ्य और सफलता की कामना करती हूं.'
Warm birthday wishes to our hon'ble PM Sh. @narendramodi Ji. Your tireless efforts & dedication to make India #Atamnirbhar are inspirational for all of us. Wishing you good health & success in your vision of taking our nation to greater heights. pic.twitter.com/ydmP1xKjbW
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
केंद्र द्वारा लाए गए कृषि संबंधी अध्यादेशों को संसद से मंज़ूरी दिलाने के लिए लोकसभा में पेश किया गया है. इसके ख़िलाफ़ देश के कई किसान संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने भी सरकार के इन विधेयकों पर कड़ा ऐतराज़ जताया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने भी सरकार से कहा था कि वो इन विधेयकों को ज़बरदस्ती संसद से पास कराने के बजाय, स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दे. क्योंकि, अध्यादेश अभी लागू हैं और सरकार के पास इन विधेयकों को पास कराने के लिए दिसंबर तक का समय है.
विरोध का कारण बने ये बिल हैं- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा)बिल, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) और आवश्यक वस्तु संशोधन बिल. इन तीनों विधेयकों के विरोध में पिछले कुछ दिनों से हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ किसानों की झड़प भी हुई थी. जिसके कारण पंजाब और हरियाणा में ज़बरदस्त तनाव पैदा हो गया था.
ये नए विधेयक अगर संसद से पास होकर क़ानून के रूप में लागू होते हैं, तो व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे. पहले किसानों की फसल को सिर्फ मंडी से ही खरीदा जा सकता था. वहीं केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज, इडेबल ऑयल आदि को आवश्यक वस्तु के नियम से बाहर कर इसकी स्टॉक सीमा खत्म कर दी है. इन दोनों के अलावा केंद्र सरकार ने ठेके पर खेती को बढ़ावा देने की भी नीति पर काम शुरू किया है. किसान इसे खेती का कॉरपोरेटाइज़ेशन कह कर विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस से लेकर भारतीय किसान यूनियन जैसे बड़े संगठन भी शामिल हैं, जिन्हें अब अकाली दल का भी समर्थन मिल गया है.
गुरुवार को लोकसभा में सुखबीर सिंह बादल ने साफ कहा कि अकाली दल केंद्र के इन विधेयकों का सख्त विरोध करता है. सुखबीर बादल ने कहा कि किसानों को लेकर लाए गए इन तीन विधेयकों से पंजाब के 20 लाख किसान प्रभावित होने जा रहे हैं. जबकि इन प्रस्तावित क़ानूनों से 30 हजार आढ़ती, तीन लाख मंडी मजदूर और 20 लाख खेतिहर मज़दूरों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा.
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