दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को छात्रों को उनके कक्षा 10 और 12 की मार्कशीट और सर्टिफिकेट में उनके नाम, उपनाम या अन्य विवरण बदलने के लिए एक प्रणाली लगाने का सुझाव दिया. मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कई याचिकाओं के मद्देनजर CBSE Board से इन सुझावों पर विशेष रूप से विचार करने को कहा.
पीठ ने कहा कि इस तरह की मुकदमेबाजी उत्पन्न करना भी अच्छा नहीं है. पीठ ने कहा, "यह वकीलों के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन संस्थान के लिए नहीं." कोर्ट ने सीबीएसई को अपने फॉर्म में एक कॉलम या स्थान प्रदान करने का सुझाव दिया जो छात्रों को जो कुछ भी बदलाव करने की आवश्यकता है उन्हें करने की अनुमति देगा.
कोर्ट ने कहा, "ऐसा कॉलम बनाएं जहां लोग अपनी इच्छानुसार कई बदलाव कर सकें. यह उनका नाम या उपनाम है, आपका नहीं. उन्हें उतनी बार बदलाव करने दें जितनी बार वे चाहते हैं. प्रत्येक छात्र यह नहीं पूछ रहा है."
वहीं, CBSE के वकील ने कहा कि बोर्ड किसी की पहचान को प्रमाणित नहीं कर सकता है और कहा कि यह केवल पहली बार में दी गई जानकारी को सर्टिफिकेट में डाल देता है.
अब इस मामले में 20 नवंबर को सुनवाई होनी है.
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