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कृषि कानून: धरने पर अमरिंदर सिंह, राज्यसभा के उप-सभापति ने दी सफ़ाई

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 28 Sep, 2020 04:00 pm

कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन नए क़ानूनों को लेकर राजनीतिक बवाल बढ़ता जा रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ धरने पर बैठ गए हैं. अमरिंदर सिंह, पंजाब के नवांशहर में खटकड़ कलां में धरने पर बैठे हैं. उनके साथ कांग्रेस के नेता हरीश रावत और सुनील जाखड़ भी मौजूद हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर भी उनके साथ धरने पर बैठी हैं. अमरिंदर सिंह, ने धरने पर बैठने से पहले शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी, जिनकी आज जयंती है.

किसान बिलों के ख़िलाफ़ ही बीजेपी की सहयोगी पार्टी, अकाली दल ने सरकार और NDA का साथ छोड़ दिया था.

किसान बिलों को को लेकर पूरे पंजाब में कई दिनों से विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. किसानों ने रेल रोको आंदोलन भी चलाया था.

दिल्ली में कुछ लोगों ने किसान बिलों का विरोध करते हुए ट्रैक्टर को जला दिया था. जिसके बाद पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में लिया है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कल ही तीनों नए बिलों पर दस्तख़त किए, जिसके बाद ये क़ानून लागू हो गए हैं.

कांग्रेस ने इन किसान बिलों को धीमा ज़हर कहा है. पार्टी का कहना है कि इससे किसान धीरे धीरे बड़े उद्योगपतियों के ग़ुलाम बन जाएंगे.

इस बीच, राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने 20 सितंबर को कृषि क़ानूनों के राज्यसभा में पास होने के दौरान हुए हंगामे को लेकर सफ़ाई दी है. हरिवंश नारायण सिंह ने एक चिट्ठी लिखकर हंगामे के बारे में अपना पक्ष स्पष्ट किया है.

उन्होंने अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकिल का जवाब देते हुए लिखा है कि 20 सितंबर को विपक्ष के सांसद हंगामा कर रहे थे. उन्होंने सदन की रूल बुक फाड़ डाली थी. और इसी हंगामे के कारण इन विधेयकों को लेकर मत विभाजन की मांग को उन्होंने अस्वीकार कर दिया था.

हरिवंश नारायण सिंह ने स्पष्ट किया है कि विपक्ष ने मत विभाजन की मांग की ज़रूरत थी, लेकिन वो खुद ही हंगामा भी कर रहे थे. हाउस ऑर्डर में न होने के कारण ही, वो कृषि विधेयकों पर वोटिंग नहीं करा सके थे. राज्यसभा ने ये दोनों ही बिल ध्वनि मत से पारित किए थे.

जिसके बाद विपक्षी दलों ने सदन का बहिष्कार कर दिया था. और रात भर संसद परिसर में धरने पर बैठे रहे थे. अगले दिन सुबह, राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह, विपक्ष के सांसदों के लिए ख़ुद चाय लेकर गए थे. जिसे लेने से विपक्ष के सांसदों ने इनकार कर दिया था.

इसके बाद, विपक्षी सांसदों ने पूरे मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया था. 

विपक्षी सांसदों की ग़ैर-मौजूदगी में सरकार ने बिना चर्चा के कई क़ानूनों को संसद से पास करा लिया था.

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