कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन नए क़ानूनों को लेकर राजनीतिक बवाल बढ़ता जा रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ धरने पर बैठ गए हैं. अमरिंदर सिंह, पंजाब के नवांशहर में खटकड़ कलां में धरने पर बैठे हैं. उनके साथ कांग्रेस के नेता हरीश रावत और सुनील जाखड़ भी मौजूद हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर भी उनके साथ धरने पर बैठी हैं. अमरिंदर सिंह, ने धरने पर बैठने से पहले शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी, जिनकी आज जयंती है.
Terming President's assent to farm bills as "unfortunate and distressing", Punjab CM Amarinder Singh says his government is exploring all options, including possible amendments to state laws, to protect farmers’ interests.
— Press Trust of India (@PTI_News) September 27, 2020
किसान बिलों के ख़िलाफ़ ही बीजेपी की सहयोगी पार्टी, अकाली दल ने सरकार और NDA का साथ छोड़ दिया था.
Shiromani Akali Dal chief Sukhbir Singh Badal terms presidential assent to contentious farm legislations and Jammu and Kashmir Official Languages Bill as “sad, disappointing and extremely unfortunate".
— Press Trust of India (@PTI_News) September 27, 2020
किसान बिलों को को लेकर पूरे पंजाब में कई दिनों से विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. किसानों ने रेल रोको आंदोलन भी चलाया था.
दिल्ली में कुछ लोगों ने किसान बिलों का विरोध करते हुए ट्रैक्टर को जला दिया था. जिसके बाद पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में लिया है.
Tractor set on fire near India Gate in New Delhi. Fire has been doused. Identity of the persons involved is being ascertained: Police
— Press Trust of India (@PTI_News) September 28, 2020
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कल ही तीनों नए बिलों पर दस्तख़त किए, जिसके बाद ये क़ानून लागू हो गए हैं.
president gives assent to three contentious farm bills: notification
— Press Trust of India (@PTI_News) September 27, 2020
कांग्रेस ने इन किसान बिलों को धीमा ज़हर कहा है. पार्टी का कहना है कि इससे किसान धीरे धीरे बड़े उद्योगपतियों के ग़ुलाम बन जाएंगे.
The 3 farm legislations are like slow poison; they are aimed at making farmers 'slaves of big businessmen': Congress
— Press Trust of India (@PTI_News) September 27, 2020
इस बीच, राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने 20 सितंबर को कृषि क़ानूनों के राज्यसभा में पास होने के दौरान हुए हंगामे को लेकर सफ़ाई दी है. हरिवंश नारायण सिंह ने एक चिट्ठी लिखकर हंगामे के बारे में अपना पक्ष स्पष्ट किया है.
उन्होंने अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकिल का जवाब देते हुए लिखा है कि 20 सितंबर को विपक्ष के सांसद हंगामा कर रहे थे. उन्होंने सदन की रूल बुक फाड़ डाली थी. और इसी हंगामे के कारण इन विधेयकों को लेकर मत विभाजन की मांग को उन्होंने अस्वीकार कर दिया था.
हरिवंश नारायण सिंह ने स्पष्ट किया है कि विपक्ष ने मत विभाजन की मांग की ज़रूरत थी, लेकिन वो खुद ही हंगामा भी कर रहे थे. हाउस ऑर्डर में न होने के कारण ही, वो कृषि विधेयकों पर वोटिंग नहीं करा सके थे. राज्यसभा ने ये दोनों ही बिल ध्वनि मत से पारित किए थे.
जिसके बाद विपक्षी दलों ने सदन का बहिष्कार कर दिया था. और रात भर संसद परिसर में धरने पर बैठे रहे थे. अगले दिन सुबह, राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह, विपक्ष के सांसदों के लिए ख़ुद चाय लेकर गए थे. जिसे लेने से विपक्ष के सांसदों ने इनकार कर दिया था.
इसके बाद, विपक्षी सांसदों ने पूरे मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया था.
विपक्षी सांसदों की ग़ैर-मौजूदगी में सरकार ने बिना चर्चा के कई क़ानूनों को संसद से पास करा लिया था.
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