अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी अमेज़न ने संसदीय समिति के बुलावे पर पेश होने से इनकार कर दिया है. संसद की एक संयुक्त समिति ने अमेज़न के अधिकारियों को पेश होने का समन भेजा था. सांसद, अमेज़न के अधिकारियों से पर्सनल डेटा प्रोटेक्श विधेयक 2019 को लेकर सवाल करना चाहते थे. लेकिन, अमेज़न ने ये कह कर आने से इनकार कर दिया कि इस मामले के उसके संबंधित अधिकारी इस समय ऐसी जगहों पर हैं, जहां से उनके लिए यात्रा कर पाना संभव नहीं. कोविड-19 के चलते वो अभी संसदीय समिति के सामने पेश नहीं हो सकते. क्योंकि इसमें उनके लिए जोखिम है. संसदीय समिति की प्रमुख, बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने बताया कि उन्होंने सरकार से सिफ़ारिश की है कि अमेज़न के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए.
Amazon has refused to appear before Joint Committee of Parliament on Data Protection Bill on Oct 28: Panel chief Meenakshi Lekhi to PTI
— Press Trust of India (@PTI_News) October 23, 2020
संसदीय समिति ने अमेज़न के अधिकारियों को 28 अक्टूबर को तलब किया था. मीनाक्षी लेखी ने कहा कि अमेज़न का इनकार, संसद के विशेषाधिकार के हनन का मामला है. इसीलिए उन्होंने अमेरिकी कंपनी के ख़िलाफ़ कड़ा एक्शन लेने की सिफ़ारिश सरकार से की है.
Amazon's refusal to appear before Parliament committee amounts to breach of privilege: BJP MP and panel chief Meenakshi Lekhi
— Press Trust of India (@PTI_News) October 23, 2020
संयुक्त संसदीय समिति ने एकमत से अमेज़न के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की सिफ़ारिश की है. क्योंकि, संसदीय समिति ने इस संबंध में फ़ेसबुक, गूगल और पेटीएम के अधिकारियों को भी तलब किया था.
संसदीय समिति के सदस्य इन टेक कंपनियों से आम जनता के डेटा की सुरक्षा को लेकर सवाल करना चाहते हैं. फ़ेसबुक की भारतीय शाखा की प्रमुख अंखी दास आज संसदीय समिति के सामने पेश हुईं और अपनी कंपनी का पक्ष रखा. जिनसे संसदीय समिति के सदस्यों ने क़रीब दो घंटे तक पूछताछ की.
Facebook's public policy head Ankhi Das appears before Joint Committee of Parliament on issue of data security: Sources
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अब अमेरिकी कंपनी गूगल और भारतीय कंपनी पेटीएम के अधिकारी 29 अक्टूबर को संयुक्त संसदीय समिति के सामने पेश होंगे.
Google, Paytm summoned to appear before Joint Committee of Parliament on issue of data security on Oct 29: Sources
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सरकार के सूत्रों ने बताया है कि अगर अमेज़न के अधिकारी 28 अक्टूबर को संसदीय समिति के सामने हाज़िर नहीं होते, तो उनके ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठाए जाएंगे. संसद की ओर से कंपनी को विशेषाधिकार हनन का नोटिस भेजा जाएगा. अमेज़न और फ़ेसबुक के अलावा संसदीय समिति ने ट्विटर के अधिकारियों को भी अपने सामने हाज़िर होने को कहा है. ट्विटर के अधिकारियों को भी 28 अक्टूबर को ही संसदीय समिति के सामने पेश होना है.
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 को पिछले साल सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद में पेश किया था. बिल पेश करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि इस क़ानून से देश की सरकार को ये अधिकार मिल जाएगा कि वो फ़ेसबुक, गूगल और ऐसी अन्य कंपनियों से ज़रूरत पड़ने पर लोगों के निजी डेटा तलब कर सकेगी. लेकिन, विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि जनता के ये आंकड़े भारत के ख़िलाफ़ भी इस्तेमाल हो सकते हैं. कांग्रेस की चिंता ख़ास तौर से राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर थी. कुछ क़ानूनी जानकारों ने भी ये चिंता जताई थी कि कि इस बिल के प्रावधानों से सरकार को लोगों के निजी डेटा हासिल करने का अधिकार मिल जाएगा.
इन चिंताओं के बाद ही विधेयक को संसदीय समिति को सौंप दिया गया था. जिसकी अध्यक्ष बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी हैं. इसी संसदीय समिति ने विधेयक के बारे में इन कंपनियों से सवाल करने के लिए उनके अधिकारियों को तलब किया था.
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