पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल (Daniel Pearl) के अपहरण और हत्या के मामले के मुख्य आरोपी अहमद उमर सईद शेख (Ahmed Omar Sheikh) को गुरुवार को रिहा करने का आदेश दिया. लगभग 18 साल पहले 2002 के इस मामले के मुख्य आरोपी शेख को रिहा किए जाने के आदेश पर अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका का कहना है कि सह शेख के खिलाफ अब अपने देश में मुकदमा चलाएगा.
'डॉन न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत ने सिंध हाईकोर्ट (SHC) के फैसले के खिलाफ सिंध सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें शेख की सजा को पलटने की बात कही गई है. अपने फैसले में न्यायमूर्ति मुशीर आलम की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने संदिग्ध को रिहा करने का निर्देश दिया. पीठ में शामिल केवल एक सदस्य ने फैसले का विरोध किया.
यह फैसला सिंध सरकार द्वारा SHC के उस फैसले को चुनौती देने के बाद आया है, जिसमें 2 अप्रैल को मुख्य आरोपी अहमद उमर सईद शेख की मौत की सजा को सात साल कर दिया गया, जबकि तीन अन्य लोग जो उम्रकैद की सजा काट रहे थे, उन्हें रिहा कर दिया गया था. हालांकि सिंध प्रांतीय सरकार ने एमपीओ अध्यादेश 1960 के तहत चारों लोगों की तत्काल हिरासत का आदेश दिया.
एसएचसी ने 24 दिसंबर, 2020 को इसे अयोग्य ठहराते हुए आरोपियों की तत्काल रिहाई के आदेश दिए. डॉन की खबर के मुताबिक, शेख ने सुप्रीम कोर्ट कहा था कि उसने 18 साल पहले इस क्रूर हत्या में 'छोटी' भूमिका निभाई थी और इसके ठीक एक दिन बाद ये फैसला आया.
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रवक्ता जेन साकी और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने गुरुवार को कहा कि अगर पाकिस्तान ब्रिटिश मूल के आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख को पर्ल के अपहरण व हत्या के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता है तो उसके खिलाफ अब अमेरिका में मामला चलाया जाएगा.
अपने बयान में ब्लिंकेन ने कहा कि एक अमेरिकी नागरिक के खिलाफ जघन्य अपराध मामले में शेख पर अमेरिका में मामला चलाने के लिए हम तैयार हैं. हम डेनियल पर्ल के पविार को न्याय दिलाने और आतंकवादियों को सजा दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.
आपको बता दें कि 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के 38 वर्षीय दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख उस समय कराची में धार्मिक अतिवाद पर रिसर्च कर रहे थे, जब जनवरी 2002 में उनका अपहरण कर लिया गया. एक ग्राफिक वीडियो में पत्रकार का सिर कलम करते हुए देखा जा सकता है, जिसे अमेरिका में वाणिज्य दूतावास को भेजा जा चुका है. शेख को 2002 में गिरफ्तार किया गया था और ट्रायल कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी. SHC ने अपने 2 अप्रैल 2020 के आदेश में इस फैसले को पलट दिया था. प्रांतीय हाईकोर्ट ने फहाद नसीम, शेख आदिल और सलमान साकिब जैसे तीन अन्य लोगों को भी बरी कर दिया था, जिन्हें पहले कराची में आतंकवाद-रोधी अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
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