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अमेरिका के सबसे उम्रदराज़ राष्ट्रपति होंगे डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बाइडेन 

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 08 Nov, 2020 11:42 am

जो बाइडेन 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. मज़े की बात ये है कि बाइडेन ने जिन डॉनल्ड ट्रंप को हरा कर अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीता है, उन्हीं को वो बुज़ुर्ग राष्ट्रपति के मामले में भी पछाड़ेंगे. 2017 में जब डॉनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, तो उनकी उम्र क़रीब 71 वर्ष थी. वहीं, जो बाइडेन जब अगले साल 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, तो उनकी उम्र लगभग 78 साल होगी.

उनके साथ कमला हैरिस उप-राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी. कमला हैरिस की मां भारत की रहने वाली थीं. हैरिस, अमेरिका की उप-राष्ट्रपति बनने वाली पहली अश्वेत महिला होंगी. वहीं, डॉनल्ड ट्रंप 1932 के बाद राष्ट्रपति पद का एक ही कार्यकाल पाने वाले अमेरिका के चौथे राष्ट्रपति होंगे.

1976 में जेराल्ड आर. फ़ोर्ड, लगभग दो साल के कार्यकाल के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव हार गए थे. बल्कि यूं कहें कि जेराल्ड फोर्ड ने कभी राष्ट्रपति का चुनाव जीता ही नहीं था. क्योंकि, वो रिचर्ड निक्सन के शासन काल में उप-राष्ट्रपति थे और जब वाटरगेट स्कैंडल के चलते निक्सन को राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा, तो फोर्ड राष्ट्रपति बने थे और 1976 के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के जिमी कार्टर ने उन्हें चुनाव हरा दिया था.

मज़े की बात ये रही कि जेराल्ड फोर्ड को हराने वाले जिमी कार्टर भी राष्ट्रपति के तौर पर सिर्फ़ एक कार्यकाल ही पा सके. 1980 के अमेरिकी प्रेसिडेंशियल इलेक्शन में रिपब्लिकन पार्टी के रॉनल्ड रीगन ने उन्हें हरा दिया था.

पिछली सदी में सिर्फ़ एक कार्यकाल के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बनने वाले आख़िरी राष्ट्रपति थे जॉर्ज हर्बर्ट वॉकर बुश. वो, रीगन प्रशासन में उप राष्ट्रपति रहे थे और 1988 में रीगन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे. लेकिन, 1992 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के बिल क्लिंटन ने बुश सीनियर को चुनाव हरा दिया था.

इक्कीसवीं सदी में सिर्फ़ चार साल के लिए राष्ट्रपति रहने वाले डॉनल्ड ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्हें जो बाइडेन के हाथों मात मिली है. 

पूरे प्रचार अभियान के दौरान डॉनल्ड ट्रंप, स्लीपी जो कहकर जो बाइडेन का मज़ाक़ उड़ाते रहे थे. उन्होंने बार बार ये यक़ीन जताया था कि चुनाव वो ही जीतेंगे. जब विशेषज्ञों ने ट्रंप के बर्ताव को देखते हुए ये आशंका जताई कि अगर ट्रंप चुनाव हार भी गए, तो शायद राष्ट्रपति आवास व्हाइट हाउस ख़ाली न करें. तो क्या होगा? इस सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा था कि उन्हें व्हाइट हाउस ख़ाली करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी. क्योंकि, चुनाव वो ही जीतेंगे. जब अमेरिकी न्यूज़ चैनलों ने जो बाइडेन को चुनाव में जीता हुआ घोषित किया, तब भी ट्रंप ने ट्वीट किया कि चुनाव तो उन्होंने ही भारी बहुमत से जीता.

डॉनल्ड ट्रंप ने इस चुनाव में उम्मीद से काफ़ी बेहतर प्रदर्शन किया. जहां ज़्यादातर अमेरिकी चैनलों के ओपिनियन पोल, बाइडेन की क्लीन स्वीप की बातें कर रहे थे. वहीं, कई राज्यों में दोनों नेताओं के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली और इसी वजह से चुनाव के नतीजों का एलान इतने दिनों तक खिंचा.

वैसे, डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के इकलौते ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो 2016 में चुनाव जीते भी तो उन्हें अपनी विरोधी हिलेरी क्लिंटन से कम वोट मिले थे और जब चुनाव हारे, तो भी उन्हें विपक्षी नेता बाइडेन से कम वोट मिले. इस बार के चुनाव में जो बाइडेन को 7 करोड़, 48 लाख, 47 हजार 963 वोट मिल चुके हैं. वहीं, डॉनल्ड ट्रंप को 7 करोड़, 5 लाख, 91 हज़ार 853 वोट मिल चुके हैं. ये फ़ाइनल आंकड़े इसलिए नहीं हैं, क्योंकि जॉर्जिया स्टेट ने वोटों की गिनती दोबारा करने का फ़ैसला किया है जिसके नतीजे नवंबर के आख़िर तक आएंगे. हालांकि चुनाव के फाइनल नतीजे पर इसका असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि, अगर जो बाइडेन, जॉर्जिया में डॉनल्ड ट्रंप से हार भी जाते हैं, तो भी उनके पास इलेक्टोरल कॉलेज में ट्रंप के मुक़ाबले काफ़ी अधिक वोट होंगे. पेन्सिल्वेनिया स्टेट में जीतने के बाद, जो बाइडेन ने ट्वीट करके अमेरिकी जनता का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वो राष्ट्रपति के तौर पर सबको साथ लेकर चलने का वादा करते हैं. भले ही किसी ने उनके लिए वोट किया हो या नहीं.

इस ट्वीट में बाइडेन ने अमेरिका के अलग अलग समुदायों की नुमाइंदगी करने वाले लोगों का वीडियो डाला है. जिसमें गोरे, काले, लैटिन अमेरिकी, हिस्पैनिक और रेड इंडियन समुदाय के लोगों को दिखाया गया है.

एक दिन पहले ही बाइडेन ने अपने राजनीतिक विरोधियों से अपील की थी कि वो विरोधी भले हों, दुश्मन नहीं हैं. क्योंकि, हम सब अमेरिकी नागरिक हैं.

जो बाइडेन ने अपने पूरे चुनाव अभियान को 'सेविंग द सोल ऑफ़ नेशन' यानी देश की अंतरात्मा को बचाने के अभियान का नाम दिया था. बाइडेन, का सियासी करियर काफ़ी लंबा रहा है. वो 1970 के दशक से ही अमेरिकी संसद के सदस्य रहे हैं. उन्हें विदेशी मामलों का जानकार माना जाता है.

2017 में जब उन्होंने व्हाइट हाउस छोड़ा था, तो कहा था कि शुक्र है कि मैं इस देश का राष्ट्रपति नहीं बना.

निजी ज़िंदगी में जो बाइडेन ने काफ़ी मुश्किल दौर देखा है. पहली बार सीनेटर बनने के बाद ही, जब बाइडेन की शपथ होने वाली थी, तो उनकी पत्नी एक सड़क हादसे में मारी गई थीं. उस हादसे में बाइडेन की बेटी और एक बेटा भी मौत का शिकार हो गया था. परिवार के रख-रखाव के लिए वो रोज़ाना राजधानी वॉशिंगटन से अपने घर तक का सफर रेलवे से तय करते थे. इस कारण से भी अमेरिकन मिडिल क्लास से उन्हें सहानुभूति के वोट मिले.

फिलहाल, जिल बाइडेन, जो बाइडेन की दूसरी पत्नी हैं. जो अब अमेरिका की फ़र्स्ट लेडी होंगी.

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