देश को पहली COVID-19 Vaccine मिल गई है. केंद्र सरकार की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने कुछ शर्तों के साथ ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका की बनाई कोविशील्ड वैक्सीन के इमरजेंसी में इस्तेमाल करने की इजाज़त देने की सिफ़ारिश की. इस बारे में आख़िरी फ़ैसला ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (DGCI) को लेना है.
भारत में ये वैक्सीन पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया कंपनी बना रही है. अभी दो दिनों पहले ही ब्रिटेन ने भी इसी वैक्सीन के इमरजेंसी यूज़ की इजाज़त दी थी. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के अलावा, फ़ाइज़र और भारत बायोटेक ने अपनी अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल की मंज़ूरी सरकार से मांगी है. हालांकि स्टोरेज संबंधी दिक़्क़तों को देखते हुए फ़ाइज़र की वैक्सीन को मंज़ूरी मिलने की संभावना कम ही है.
सरकार बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की शुरुआत की तैयारी में जुटी है. शनिवार को पूरे देश में वैक्सीनेशन या टीका लगाने का ड्राय रन किया जाएगा. इस दौरान सभी 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में कई जगहों पर टीका लगाने का रिहर्सल किया जाएगा. इसके लिए सरकार ने पहले ही स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी कर दिए हैं. मॉडल वैक्सीनेशन सेंटर बनाने के नियम भी तय किए गए हैं, जिसके तहत चार भागों वाले वैक्सीनेशन सेंटर बनाए जाने हैं.
COVID-19 वैक्सीनेशन का ड्राई रन हर राज्य की राजधानी में होगा. इसके अलावा कुछ और शहरों और दूर दराज़ के ज़िलों में भी टीकाकरण का रिहर्सल किया जाएगा. हर सेंटर पर उन 25 मेडिकल वर्कर का मौजूद होना अनिवार्य होगा, जिन्हें पहले फ़ेज़ में टीका लगाया जाना है.
केंद्र सरकार ने पहले फेज़ में 30 करोड़ लोगों को कोविड वैक्सीन लगाने का लक्ष्य तय किया है. ये लक्ष्य अगस्त तक पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है. इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती कोल्ड चेन प्वाइंट्स की है. देश में अभी इस समय सीमा में केवल 36 करोड़ वैक्सीन डोज़ उपलब्ध कराने की कोल्ड चेन क्षमता है. जबकि ज़रूरत है 60 करोड़ डोज़ की क्षमता की. इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए 100 करोड़ से ज़्यादा सिरिंज की ज़रूरत होगी. सरकार ने 83 करोड़ सिरिंज ख़रीदने का ऑर्डर दे दिया जबकि 35 करोड़ सिरिंज के लिए निविदाएं मंगाई गई हैं.
कोविशील्ड लगाने की औपचारिक मंज़ूरी मिल जाने के बाद 6 जनवरी से देश में COVID-19 टीकाकरण का अभियान औपचारिक रूप से शुरू हो सकता है.
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