थल सेनाध्यक्ष जनरल एम.एम. नरवणे दो दिन के दौरे पर लद्दाख में हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ ज़बरदस्त तनाव को देखते हुए इस दौरे को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
इस दौरे में सेनाध्यक्ष, सीमा पर भारतीय सेना की तैयारियों की समीक्षा करेंगे. आर्मी चीफ़ ख़ास तौर से पूर्वी लद्दाख में सेना की युद्ध संबंधी तैयारियों का जायज़ा लेंगे. पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी छोर पर शनिवार को बढ़े तनाव के बाद सेनाध्यक्ष का लद्दाख दौरा, चीन को एक संदेश माना जा रहा है. क्योंकि पूर्वी लद्दाख से लगी सीमा पर भारत ने अपने सैनिकों की संख्या कई गुना बढ़ा दी है.
Army Chief Gen MM Naravane to pay two-day visit to Leh beginning Thursday to review overall security scenario: Sources
— Press Trust of India (@PTI_News) September 3, 2020
शनिवार रात चीन की सेना की हरकत को देखते हुए, भारतीय सेना ने दोबारा अपनी उन चौकियों पर सैनिक तैनात कर दिए हैं, जिन्हें दो महीने पहले चीन के साथ बनी सहमति के बाद ख़ाली किया गया था.
लेकिन, शनिवार को चीन के सैनिकों ने भारत के साथ समझौते का उल्लंघन करते हुए, पैंगॉन्ग सो इलाक़े में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चौकी ब्लैक टॉप पर क़ब्ज़े की कोशिश की थी. चीन की इस हरकत के बाद, पीछे हटे भारतीय सैनिकों ने पैंगॉन्ग सो पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण रेन्चेन ला, हेल्मेट टॉप और फिंगर-4 की अहम चोटियों पर दोबारा मोर्चेबंदी कर ली है.
इस वजह से एक बार फिर भारत और चीन के सैनिक बेहद क़रीब और आमने सामने आ गए हैं.
रेन्चेन ला में दोनों सेनाएं तीन सौ से 800 मीटर की दूरी पर हैं. तो, ब्लैक टॉप पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच बस एक किलोमीटर की दूरी है.
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक और चौकी हेल्मेट टॉप पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी है.
हालांकि, लद्दाख के डेपसांग मैदान और दौलत बेग ओल्डी को जाने वाले रास्ते पर अब भी चीन के सैनिक भारी तादाद में डेरा जमाए हुए हैं.
शनिवार के बाद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने रविवार और सोमवार को भी भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी. जिसे, भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया था.
दोनों सेनाओं के बीच तनाव कम करने के लिए ब्रिगेडियर स्तर की चौथी बैठक गुरुवार को भी हो रही है. इससे पहले की तीन मीटिंग में कोई नतीजा नहीं निकला था.
भारत ने साफ़ कर दिया है कि वो अब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाएगा. क्योंकि, चीन के सैनिक मौक़े का बार-बार फ़ायदा उठा कर भारत की सीमा में दाख़िल होने की कोशिश कर रहे हैं.
इससे ब्रिगेडियर लेवल की बातचीत में तनाव कम करने का कोई नुस्खा नहीं निकल सका है.
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