भारतीय थल सेना के कमांडर्स की कांफ्रेंस 26 अक्टूबर से नई दिल्ली में शुरू हो रही है. चार दिन की ये कमांडर्स कांफ्रेंस 29 अक्टूबर तक चलेगी. आर्मी की ये कमांडर्स कांफ्रेंस हर दूसरे साल होती है. जिसमें सेना की अहम नीतियों पर चर्चा और परिचर्चा होती है. इस मीटिंग में आर्मी के सीनियर ऑफ़िसर्स हिस्सा लेते हैं. जिसमें उप थल सेनाध्यक्ष, सभी आर्मी कमांडर, सेना मुख्यालय के प्रधान स्टाफ अधिकारी (PSO) और अन्य प्रमुख अधिकारी हिस्सा लेते हैं.
कमांडर्स कांफ्रेंस के पहले दिन आर्मी के मानव संसाधन के प्रबंधन पर चर्चा होगी. 27 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कमांडर्स कांफ्रेंस की बैठक को संबोधित करेंगे. इससे पहले कमांडर्स को चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ और तीनों सेनाओं के अध्यक्ष यानी आर्मी चीफ़, नेवी चीफ और एयरफोर्स चीफ संबोधित करेंगे.
28 अक्टूबर को आर्मी कमांडर्स की बैठक में सेना के प्रमुख एजेंडा पर चर्चा होगी. जिसमें सेना के सभी प्रमुख कमांडर अपनी राय रखेंगे. इसके बाद आर्मी हेडक्वार्टर के प्रिंसिपल स्टाफ ऑफ़िसर्स तमाम मुद्दों पर संक्षेप में अपडेट देंगे.
29 अक्टूबर को कमांडर्स कांफ्रेंस के आख़िरी दिन डायरेक्टर जनरल ऑफ़ बॉर्डर रोड्स (DGBR) सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा सीमा के क़रीब चलाए जा रहे तमाम विकास कार्यों की जानकारी और अपडेट आर्मी कमांडर्स को देंगे. इसके अलावा अन्य संबंधित प्रोजेक्ट की जानकारी भी सेना के अधिकारियों को दी जाएगी. सेना की मैनपॉवर के अधिकतम इस्तेमाल के लिए ऑटोमेशन की प्रक्रिया को हर स्तर पर किस तरह लागू किया जा रहा है और इसे आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है. इस पर भी चर्चा होगी.
बैठक के आख़िरी दिन ही स्पोर्ट्स ट्रॉफी, फ्लाइट सेफ्टी ट्रॉफी जैसे पुरस्कार बांटे जाएंगे. बैठक के अंतिम दिन थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी आर्मी कमांडर्स को संबोधित करेंगे.
सेना के बड़े अधिकारियों की इस द्विवार्षिक बैठक का मक़सद आर्मी की ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा करना, सामने खड़े ख़तरों से निपटने की रणनीति बनाना और भविष्य की नीतियों पर चर्चा करना होता है.
लंबे समय से इंडियन आर्मी को इक्कीसवीं सदी के हिसाब से तैयार करने की चर्चा हो रही है. मैनपावर में कमी करके ऑटोमेशन को बढ़ावा देने की बात हो रही है. लेकिन अब तक इस दिशा में ठोस क़दम नहीं बढ़ाए जा सके हैं.
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