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अयोध्या बाबरी विध्वंस के आरोपियों को दोषमुक्त किए जाने की मांग, 30 सितंबर को फैसला

Manish Pandey

अयोध्‍या 18 Sep, 2020 11:37 am

बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में 30 सितंबर को आने वाले फैसले के पहले बाबरी के पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस विवाद में सभी आरोपियों को बरी किए जाने की अपील की है. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी ढांचा विध्वंस केस (Babri Masjid Case) में सीबीआई की विशेष अदालत अपना फैसला सुनाने वाली है. सीबीआई की कोर्ट इस संदर्भ में आदेश जारी कर सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. कोर्ट की तरफ से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य आरोपियों को नोटिस भेजा गया है.

राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है वहीं दूसरी तरफ 2 दिसंबर 1992 में रामजन्मभूमि परिसर में गिराए गए विवादित ढांचे को लेकर अदालत में चल रहा मामला भी अब अंतिम दौर में है. 30 सितंबर को सीबीआई की स्पेशल बेंच इस मामले पर अपना फैसला सुनाने जा रही है. इस फैसले से पहले बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने सभी आरोपियों को बरी करने की सीबीआई से मांग की है. इकबाक अंसारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर अपना फैसला सुना दिया है ऐसे में अब हिंदू मुस्लिम के बीच कोई नया विवाद न हो इसलिए सीबीआई की अदालत को बाबरी विध्वंस मामले को भी समाप्त कर देना चाहिए और सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर देना चाहिए.

बता दें कि सीबीआई कोर्ट में 1 सितंबर को इस मामले पर सुनवाई पूरी हो गई थी. विशेष सीबीआई अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें, गवाही, जिरह सुनने के बाद 2 सितंबर से फैसला लिखना शुरू कर दिया था. इससे पहले वरिष्ठ वकील मृदल राकेश, आईबी सिंह और महिपाल अहलूवालिया ने आरोपियों की तरफ से दलीलें पेश कीं, इसके बाद सीबीआई के वकीलों ललित सिंह, आरके यादव और पी. चक्रवर्ती ने भी अपनी दलीलें रखीं थी. दशकों पुराने इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, साक्षी महाराज, साध्वी रितंभरा, विश्व हिंदू परिषद नेता चंपत राय सहित 32 आरोपी हैं.

आरोपियों के खिलाफ अभियोजन पक्ष सीबीआई 351 गवाहों और लगभग 600 दस्तावेज प्रस्तुत कर चुकी है. न्यायधीश को इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समयानुसार इस माह के अंत तक फैसला सुनाना है. गौरतलब है कि अयोध्या में विवादित ढांचे को कार सेवकों ने 6 दिसंबर 1992 में ढहाया था. आपको बता दें कि बाबरी विध्वंस केस में सुप्रीम कोर्ट ने मामले से संबंधित मुकदमा 31 अगस्त तक पूरा करने का आदेश दिया था.

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