ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis) यानी कि टीबी (TB) के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बीसीजी (BCG) वैक्सीन अब कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ भी असरदार
साबित हो सकती है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों का कहना है कि टीबी की वैक्सीन बीसीजी से बुजुर्गों में कोरोना को काबू करने में काफी असरदार है.
(2/2) In an ongoing study, scientists at the council have found that the vaccine induces increased memory cell responses and total antibody production in elderly @kvijayraghavan @NITIAayog @AyushmanNHA @NHPINDIAhttps://t.co/tdgoNu37Ts
— ICMR (@ICMRDELHI) October 28, 2020
ICMR के वैज्ञानिक बीसीजी वैक्सीनेशन के प्रभाव लेकर टी सेल्स, बी सेल्स, श्वेत रक्त कोशिका और डेंड्रीटिक सेल प्रतिरक्षा की आवृत्तियों पर लगातार जांच कर रहे हैं. इसके अलावा वैज्ञानिक 60-80 साल के बीच की आयु वर्ग वाले स्वस्थ बुजुर्गां के शरीर के पूरे एंटीबॉडी स्तर की भी जांच कर रहे हैं.
आपको बता दें कि 60 साल से ज्यादा उम्र या फिर कोमोरबिडीटीज जैसे कि डायबबिटीज, हायरपरटेंशन, हृदय आघात और किडनी की गंभीर बीमारियों से पीड़ित बुजुर्गों में कोरोना वायरस के घातक होने का ज्यादा खतरा बना रहता है. ऐसे लोगों को अगर कोरोना हो जाए तो उनकी बीमारी गंभीर रूप ले सकती है. साथ ही कोविड-19 से ग्रसित ऐसे बीमार मरीजों की मृत्यु दर भी ज्यादा है.
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में लिखा है, "बीसीजी वैक्सीनेशन BCG वैक्सीनेशन बढ़े हुए जन्मजात और मेमोरी सेल सबसेट के साथ-साथ टोटल एंटीबॉडी लेवल से जुड़ा था, जो कि इसके SARS-CoV-2 संक्रमण में संभावित उपयोगिता का संकेत हो सकता है. इससे Heterologous इम्युनिटी बढ़ सकती है."
दरसअल, जब किसी एक पैथोजन के खिलाफ इम्युनिटी की हिस्ट्री दूसरी किसी पैथोजन के खिलाफ एक स्तर तक इम्युनिटी दे सके उसे Heterologous इम्युनिटी कहते हैं.
बीसीजी की वैक्सीन 1921 में विकसित की गई थी. इसे टीबी की रोकथाम के लिए तैयार किया गया था. भारत में पिछले 50 साल से केंद्र के सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत नवजात बच्चों को बीसीजी की वैक्सीन लगाई जाती है.
ICMR ने एक बयान जारी कर कहा है, "शोध के दौरान आईसीएमआर वैज्ञानिकों ने पाया कि बीसीजी वैक्सीन मेमोरी सेल्स प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करती है और बुजुर्गों में कुल एंटीबॉडी बनाती है."
आपको बता दें कि ICMR के इस शोध में जुलाई से लेकर सितंबर तक 86 लोगों को शामिल किया गया है. इन लोगों में से 54 को वैक्सीन दी गई है और 32 को नहीं दी गई है. वैक्सीन लगाने के बाद एक महीने तक इन लोगों को निगरानी में रखा गया. इस शोध में जिन लोगों को वैक्सीन दी गई उनकी मध्य उम्र 65 साल (60-78) थी. जिन्हें वैक्सीन नहीं दी गई, उस समुह में 63 साल (60-80) मध्य उम्र थी.
बीसीजी वैक्सीन के प्रभाव को जानने के लिए अभी कई स्तर के क्लिनिकल परीक्षण जारी हैं.
हालांकि बीसीजी की वैक्सीन को टीबी की रोकथाम के लिए तैयार किया गया था, लेकिन ऐसे प्रमाण मिले हैं कि यह दूसरी संक्रामक बीमारियों से बचाव में भी कारगर साबित हो सकती है. इससे पहले किए गए शोध में बताया गया है कि इंडोनेशिया, जापान और यूरोप में बीसीजी वैक्सीनेशन ने सांस संबंधी बीमारियों से बुजुर्गों की सुरक्षा की है. बीसीजी के इम्यून संबंधी फायदों को देखते हुए ही दुनिया भर के वैज्ञानिक इसके जरिए कोविड-19 का इलाज ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं.
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