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Bihar Election Result 2020: बिहार में CM पद के 6 दावेदार, कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

Archit Gupta

नई दिल्ली 09 Nov, 2020 06:52 pm

Bihar Assembly Election Result 2020: बिहार में किसकी सरकार बनेगी इसका फैसला कल हो जाएगा. इस बार बिहार में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए एक-दो नहीं बल्कि पूरे छह चेहरें नजर आए. बिहार के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. इस बार बिहार चुनाव में मुख्‍यमंत्री व जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar) राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के तो राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) विपक्षी महागठबंधन (Mahagathbandhan) का मुख्‍यमंत्री चेहरा हैं. इसके अलावा जन अधिकार पार्टी (JAP) के अध्‍यक्ष पप्‍पू यादव (Pappu Yadav), राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्‍यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) भी मुख्‍यमंत्री की रेस में शामिल हैं. 

लेकिन इस बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में एक महिला भी दिखीं. जी हां, यहां बात 'प्‍लुरल्‍स' पार्टी की अध्यक्ष पुष्‍पम प्रिया चौधरी (Pushpam Priya Chaudhary) की हो रही है. खुद को सीएम पद का दावेदार घोषित करने के बाद से ही पुष्‍पम प्रिया चौधरी सुर्खियों में हैं. 

आइये जानते हैं कौन-कौन से उम्मीदवार मुख्यमंत्री की रेस में शामिल हैं.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार की बात करें तो वह 2005 से एनडीए के मुख्‍यमंत्री हैं. साल 2015 के बीते चुनाव में उन्‍होंने RJD व कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया था. उसके वे मुख्‍यमंत्री चेहरा रहे और चुनाव में जीत के बाद मुख्‍यंमत्री बने. हालांकि, नीतीश कुमार ने बाद में महागठबंधन से नाता तोड़ दिया और बीजेपी के साथ हो गए और एनडीए के मुख्‍यमंत्री बने. नीतीश कुमार ने वर्ष 1974 से 1977 तक चले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई थी.

नीतीश कुमार तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बनाए गए. पहली बार मार्च 2000 में वह मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत साबित ना कर पाने के कारण केवल 7 दिनों में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. वर्ष 2005 में नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन को बिहार विधानसभा चुनाव में जीत दिलवाई, जिसके बाद वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल 26 नवंबर, 2010 से अभी तक चल रहा है.

तेजस्वी यादव 
महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव सीएम पद के उम्मीदवार हैं. आरजेडी ने पहले ही तेजस्वी को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था, लेकिन इसको लेकर समय-समय पर मतभेद होते रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी ने तेजस्वी की योग्यता पर सवाल उठाए थे. इसके बाद कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए थे, हालांकि बाद में सब सुलझ गया था. 

तेजस्वी अगर सीएम बनते हैं तो वे पूरे देश में किसी भी राज्य के सबसे कम उम्र 31 साल के मुख्यमंत्री बन जाएंगे. राजनीति में तेजस्वी के नाम पहले से ही एक रिकॉर्ड है. तेजस्वी यादव महज 27 साल की उम्र में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे तेजस्वी सबसे कम उम्र के अपोजिशन लीडर बने. उससे पहले 26 साल की उम्र में तेजस्वी उप मुख्यमंत्री के पद पर रह चुके थे. 

राजनीति से पहले तेजस्वी का नाता क्रिकेट से था. साल 2008 से 2012 तक वो आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स टीम का हिस्सा रहे. हालांकि IPL में उन्हें कभी भी टीम की प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिला. मध्य क्रम के बल्लेबाजी के अलावा वह गेंदबाजी में स्विंग कराने की क्षमता रखते थे. 

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चिराग पासवान
इस बार एलजेपी ने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा. एग्जिट पोल में एलजेपी को 3-4 सीटें मिल रही है. “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” के नारे के साथ चुनावी रण में उतरे चिराग ने इस चुनाव में नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला तो बीजेपी के खिलाफ सॉफ्ट नजर आए. राजनीति से पहले चिराग बॉलीवुड में हाथ आजमा चुके हैं. बॉलीवुड में एंट्री की कोशिश चिराग पासवान ने साल 2011 में की थी, और तनवीर खान की फिल्म 'मिलें न मिलें हम' में वह लीड रोल में थे.

हालांकि उनकी फिल्म को कुछ खास रिस्पांस नहीं मिला था. चिराग पासवान ने 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा था. पिता की लोकप्रियता और एक खास तबके में उनकी पार्टी की पकड़ के फलस्वरूप उन्होंने लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुधांशु शेखर भास्कर को लगभग 85,000 वोटों से हराकर लोकसभा में जगह बनाई थी. 

पुष्पम प्रिया चौधरी
हमेशा काले कपड़ों में नजर आने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार को यूरोप के तर्ज पर विकसित करने की बात कर रही हैं. उनकी पार्टी का नाम भी अंग्रेजी है. खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताने वाली पुष्पम प्रिया ने नीतीश से लेकर तेजस्वी तक को खुली चुनौती दे चुकी हैं. पुष्पम प्रिया चौधरी जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और विधान परिषद के सदस्य (MLC) रह चुके विनोद चौधरी की बेटी हैं. मूल रूप से दरभंगा की हैं. उन्होंने लंदन के मशहूर लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री ली है. 

पुष्पम प्रिया चौधरी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था. पुष्पम प्रिया चौधरी कहती हैं कि अगले 10 साल में बिहार देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा. इसका पूरा रोड मेप और योजना उनके पास है. पार्टी का मुद्दा विकास और रोजगार है.

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पप्‍पू यादव
जेएपी के मुखिया पप्‍पू यादव ने प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (PDA) बनाया था. इसके मुख्‍यमंत्री चेहरा पप्‍पू यादव हैं. इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता वाली आजाद समाज पार्टी, एमके फैजी के नेतृत्व वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एसटीपीआई और बीपीएल मातंग की बहुजन मुक्ति पार्टी शामिल है.

पप्पू यादव की खास पहचान तब बनी जब वह 1990 में निर्दलीय विधायक बनकर बिहार विधानसभा में पहुंचे. उनका असली नाम राजेश रंजन हैं. उन्होंने 2015 में जन अधिकार पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई लेकिन वोट शेयर में कोई महत्वपूर्ण प्रभाव डालने में असफल रहे. उनकी पत्नी रंजीत रंजन भी सुपौल से सांसद हैं और कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हैं.

उपेन्द्र कुशवाहा
आरएलएसपी ने मायावती की बीएसपी और ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ गठबंधन किया था. उपेन्द्र कुशवाहा इस गठबंधन के मुख्यमंत्री का चेहरा हैं. कुशवाहा “अबकी बार शिक्षा वाली सरकार” का नारा देकर चुनावी मैदान में उतरे थे. कुशवाहा ने 1985 में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वे लंबे समय तक लालू प्रसाद यादव के सहयोगी रहे. मोदी सरकार के कई फैसलों में अहम भूमिका निभाने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने साल 2018 में एनडीए से भी नाता तोड़ दिया था. कुशवाहा बिहार के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं. वह राज्यसभा के पूर्व सदस्य और राष्ट्रीय लोक समिति पार्टी के नेता हैं.

मुख्यमंत्री के लिए चेहरें तो बहुते हैं, लेकिन लोगों की नजर नीतीश और तेजस्वी पर है. अब देखना होगा कि इनमें से कौन मुख्यमंत्री बनेगा?

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