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बिहार में सबसे ज्यादा बेरोजगारी, क्या तेजस्वी का रोजगार का मुद्दा बनेगा गेम चेंजर?

Archit Gupta

नई दिल्ली 10 Nov, 2020 11:27 am

रुझानों में महागठबंधन और NDA में टक्कर देखने को मिल रही है. कुछ ही घंटों में यह फैसला हो जाएगा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा? अगर तेजस्वी यादव सीएम बनते हैं तो इसमें बिहार के युवाओं का खास योगदान होगा. इस बार के विधानसभा चुनाव में रोजगार के मुद्दों पर काफी जोर दिया गया. तेजस्वी यादव ने सरकार आने पर 10 लाख लोगों को नौकरियां देने का ऐलान किया तो नीतीश के साथ भागीदार भाजपा ने उससे दो कदम आगे बढ़ते हुए अपने संकल्प पत्र में 19 लाख रोजगार देने का किया वादा किया था. 

बीजेपी के 19 लाख रोजगार देने के वादे के एक दिन पहले ही नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को रोजगार देने के वादे पर तंज कसते हुए कहा था कि इसके लिए पैसा कहां से लाएंगे, क्या जेल से लाएंगे?

नीतीश कुमार का वार जो उन्होंने चुनाव के दौरान किया था वो आज उन पर ही उलटा पड़ता दिख रहा है. इस चुनाव युवाओं में नीतीश कुमार के लिए खास नाराजगी देखने को मिली. जगह-जगह रैलियों में पहुंचे युवाओं ने सरकारी भर्तियों में हो रही देरी, परीक्षा में धांधली जैसै मुद्दों पर जोर दिया. जब भी पत्रकार युवाओं के पास पहुंचे तो उन्हें यही सुनने को मिला कि युवाओं को सिर्फ रोजगार चाहिए. विधानसभा चुनाव में इस बार बड़ी संख्या में युवा वोटर हैं.

पहली जनवरी, 2020 को तैयार मतदाता सूची के मुताबिक प्रदेश में 18 से 39 साल के युवा मतदाताओं की संख्या तीन करोड़ 66 लाख 34 हजार से अधिक यानी कुल मतदाता सात करोड़ 18 लाख के करीब आधी है. 

बिहार में हर साल लाखों युवा सरकारी नौकरियों के फॉर्म भरते हैं. रेलवे से लेकर एसएससी तक की भर्तियों में तेट लतीफी के कारण छात्र बेरोजगार भटक रहे हैं. पिछले कई सालों में बिहार में कोई बड़ी वैकेंसी नहीं आई. रेलवे की साल 2018 में आई ALP, टेक्नीशियन की भर्ती के हर जोन के सैकड़ों उम्मीदवारों को आज तक नियुक्ति नहीं मिली. बिहार से भी रेलवे के हजारों उम्मीदवार बेरोजगार हैं.

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SSC के कई रिजल्ट में देरी हुई. एसएससी जीडी की भर्ती प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है. बिहार में बेरोजगारी का मुद्दा इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि इस राज्य में बेरोजगारी की दर भारत के औसत बेरोजगारी दर से दोगुनी और देश में सबसे अधिक है. इतना ही नहीं यहा उच्च शिक्षा और भर्तियों की व्यवस्था अन्य राज्यों की तुलना में काफी धीमी है.

जहां एक और नीतीश कुमार ने विकास के नाम पर वोट मांगा तो वहीं तेजस्वी ने रोजगार देने के नाम पर. अब देखना यह कि बिहार का युवा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसको बैठाएगा?

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