पीडीपी (PDP) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mahbooba Mufti) जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) के झंडे की बहाली तक कोई भी झंडा न उठाने संबंधी बयान देकर फिर से चर्चा में गईं हैं. दरअसल, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ( Peoples' Democratic Party) की चीफ महबूबा मुफ्ती (Mehooba Mufti) कुछ दिनों पहले ही 14 महीने की नजरबंदी के बाद रिहा हुईं थीं. अब उन्होंने अपनी रिहाई के बाद शुक्रवार को पहली बार आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में विवादित बयान दे डाला. महबूबा ने प्रेस कांफ्रेस में कहा, "हम राष्ट्रीय ध्वज को तभी उठाएंगे, जब हमारे राज्य के ध्वज को वापस लाया जाएगा. राष्ट्रीय ध्वज केवल इस (जम्मू और कश्मीर) ध्वज और संविधान की वजह से है. हम इसी ध्वज के कारण देश के बाकी हिस्सों से जुड़े हुए हैं."
अब महबूबा पर निशाना साधते हुए भाजपा (BJP) ने उनके इस बयान को देशद्रोह बताया है और मांग की है कि उनके खिलाफ देशद्रोह के आरोप में कार्रवाई की जाय. यहां तक कि भाजपा ने महबूबा को पाकिस्तान चले जाने तक की सलाह दे दी और कहा, "जम्मू-कश्मीर का अलग से झंडा अब दुनिया की कोई भी ताकत नहीं ला सकती."
वहीं, दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद ने भी महबूबा के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब नए जम्मू-कश्मीर में महबूबा के पुनर्वास की कोई जगह नहीं बची. इसी के साथ विश्व हिंदू परिषद ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात की है. कांग्रेस (Congress) ने भी उनके इस बयान की आलोचना की है.
मालूम हो कि पीडीपी अधयक्ष महबूबा मुफ्ती अपनी रिहाई के बाद से ही केंद्र पर आक्रमण कर रही हैं. महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि उनकी पार्टी पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए विशेष राज्य के दर्जे को फिर से पाने के लिए कोई भी संवैधानिक लड़ाई लड़ना नहीं छोड़ेगी. महबूबा ने केंद्र पर हमलावर अंदाज में कहा, "एक डाकू पराक्रमी हो सकता है लेकिन उसे चोरी का सामान वापस करना होगा. उन लोगों ने संविधान को ध्वस्त कर दिया... संसद के पास ये शक्ति नहीं कि वो विशेष दर्जा छीन सके." महबूबा ने कहा कि जो लोग ये सोच रहे हैं कि हम कश्मीर को छोड़ देंगे वो बड़ी गलती कर रहे हैं.
आपको बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को मोदी सरकार द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को ख़त्म कर दिया गया था और उसे केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया था. भारत सरकार के इस फ़ैसले के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही मुफ्ती ने इसे 'डाकाज़नी' क़रार दिया और कहा, "जब तक हम लोगों को अपना (जम्मू-कश्मीर) झंडा वापस नहीं मिल जाता, हम लोग भारतीय झंडे को भी नहीं उठाएंगे."
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