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Bihar Chunav 2020: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए BJP की लिस्ट 5 अक्‍टूबर को

TLB Desk

नई दिल्‍ली 04 Oct, 2020 11:32 pm

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट 5 अक्‍टूबर को जारी करेगी. रविवार को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक, पार्टी ऑफ़िस में हुई. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया. PM मोदी के अलावा, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और चुनाव समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद थे. इस मीटिंग में पार्टी के प्रत्याशियों के नाम पर चर्चा हुई.

बिहार में बीजेपी, जेडीयू के साथ चुनाव लड़ रही है. दोनों पार्टियां बराबर बराबर यानी 119-119 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. वहीं, जीतनराम मांझी की पार्टी को पांच सीटें दी जाएंगी. 

बीजेपी ने पहले ही एलान किया था कि वो एनडीए गठबंधन के तहत नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. 

2010 के विधानसभा चुनाव में जेडी यू ने 141 और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जबकि, 2015 में जेडी यू और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था.

बिहार में विधानसभा चुनाव तीन चरणों में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होंगे. चुनाव के नतीजे दस नवंबर को आएंगे.

लोक जनशक्ति पार्टी के एनडीए से अलग चुनाव लड़ने के फ़ैसले से जेडी यू को नुक़सान हो सकता है. क्योंकि, एलजेपी ने नीतीश कुमार की पार्टी के सभी उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ अपने प्रत्याशी उतारने का फ़ैसला किया है.

लोक जनशक्ति पार्टी के इस स्टैंड से जेडी यू के वोट कट सकते हैं. इसकी काट के लिए जेडीयू मांग कर रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार के साथ साझा रैलियां करें. ख़ास तौर से उन सीटों पर जहां लोक जनशक्ति पार्टी, जेडीयू के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रही है. जिससे लोगों में ये मैसेज जाए कि बीजेपी और जेडीयू साथ हैं. और पर्दे के पीछे, एलजेपी और बीजेपी में कोई सांठ-गांठ नहीं है.

बिहार में जेडी यू और बीजेपी का गठबंधन दो दशक से भी ज़्यादा पुराना है. दोनों पार्टियों ने साल 2000, 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव मिलकर लड़े थे. लेकिन, 2015 में नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ चुनाव लड़ा था. हालांकि, बाद में नीतीश ने आरजेडी के साथ गठबंधन तोड़कर, बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी.

इस बार के चुनाव में नीतीश कुमार पर एंटी इन्कम्बेंसी का काफ़ी दबाव है. इसके अलावा बीजेपी के बराबर की सीटों पर लड़ने के कारण भी नीतीश के लिए चुनाव बाद के समीकरण साध पाना आसान नहीं होगा. ऐसी कई पार्टियां हैं, जिन्हें नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार नहीं. इनमें एलजेपी के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी भी शामिल है. ऐसे में बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद के समीकरण दिलचस्प हो सकते हैं.

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