देश भर में सुर्ख़ियां बटोरने वाले ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं. वोटों की शुरुआती गिनती में बीजेपी को ज़बरदस्त फ़ायदा मिलता दिख रहा है. पिछली बार के चुनाव में केवल 4 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 30 से ज़्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं, सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS)को 20 सीटों का नुक़सान होता दिख रहा है तो पिछली बार दूसरे नंबर पर रहने वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM)ओल्ड हैदराबाद में अपने क़िले को बचाए रखने में सफल रही है.
इस बार के GHMC चुनाव को बीजेपी ने नेशनल लेवल का कैम्पेन बना दिया था. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्रियों प्रकाश जावडेकर और स्मृति ईरानी ने बीजेपी के लिए प्रचार किया था. तो, पार्टी ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या को हैदराबाद में स्थायी तौर पर टिका दिया था. चुनाव अभियानों के अनुभवी भूपेंद्र यादव और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने भी हैदराबाद में बीजेपी के प्रचार अभियान को धार दी थी.
"भाग्यनगर" का भाग्योदय प्रारंभ हो रहा है...
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 4, 2020
हैदराबाद के निकाय चुनावों में भाजपा एवं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व पर अभूतपूर्व विश्वास जताने के लिए "भाग्यनगर" की जनता का कोटि-कोटि धन्यवाद।
बीजेपी ने इस अभियान में ओल्ड हैदराबाद में ओवैसी ख़ानदान की सियासत और टीआरएस की पारिवारिक राजनीति को निशाना बनाया था. बीजेपी के एक नेता ने तो ये तक कह दिया था कि उनकी पार्टी जीती, तो ओल्ड हैदराबाद पर सर्जिकल स्ट्राइक की जाएगी. ओल्ड हैदराबाद ओवैसी ख़ानदान का गढ़ रहा है. यहां की कुल आबादी में 65 प्रतिशत तक मुसलमान हैं.
ऐसा पहली बार हुआ जब किसी नगर निगम के चुनाव में चीन, पाकिस्तान, रोहिंग्या मुसलमान, सर्जिकल स्ट्राइक और घुसपैठ जैसे मुद्दे हावी रहे थे. और बिजली-पानी सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का हवाला नहीं दिया गया. ओवैसी पर निशाना साध कर बीजेपी नेताओं की कोशिश थी कि मुस्लिम वोटों के ख़िलाफ़ हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए. नतीजों से ऐसा लग रहा है कि बीजेपी अपने इस मक़सद में कुछ हद तक सफल रही है.
हालांकि, लगभग 20 सीटों के नुक़सान के बावजूद, तेलंगाना राष्ट्र समिति अपना मेयर बनवाने में सफल हो जाएगी. क्योंकि मेयर के चुनाव के लिए वोटिंग के दिन GHMC के 150 चुने हुए जन प्रतिनिधियों के अलावा एक्स-ऑफ़िशियो वोटर्स भी वोट डालते हैं. ये वो लोग हैं जो GHMC के दायरे में आने वाली लोकसभा, राज्य सभा, विधानसभा और विधान परिषद में चुने गए सांसद या विधायक होते हैं. ताजा सूची के मुताबिक ऐसे 45 वोटर्स हैं. जिनमें से TRS के पास 31, AIMIM के पास 10, BJP के पास 3 और कांग्रेस के पास 1 वोट हैं. यानी मेयर के चुनाव के लिए कुल 150+45= 195 वोट पड़ेंगे और इसमें से जिस पार्टी को 98 वोट मिलेंगे उसका मेयर बनेगा. इस लिहाज से TRS ज्यादा कंफर्टेबल नज़र आ रही है.
ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (GHMC) तेलंगाना के चार ज़िलों-हैदराबाद, सिकंदराबाद, मलकाजगिरि और मेदक में फैला हुआ है. इसके दायरे में पांच लोकसभा और 24 विधानसभा सीटें आती हैं.
यही कारण है कि बीजेपी ने इस बार के GHMC चुनाव को राष्ट्रीय अभियान के तौर पर लिया था. कर्नाटक के अलावा बीजेपी अन्य दक्षिणी राज्यों में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तेलंगाना से 4 सीटें जीती थीं. उसके बाद से ही पार्टी लगातार तेलंगाना में अपने विस्तार पर ज़ोर दे रही है. हाल ही में बीजेपी ने टीआरएस का गढ़ कही जाने वाली दुबक्का विधानसभा सीट पर हुआ उपचुनाव भी जीता था.
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