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'मिशन कर्मयोगी' से बदलेगी ब्यूरोक्रेसी! अफ़सरों की कुशलता बढ़ाने के लिए सरकार का नया अभियान

Atit

नई दिल्‍ली 03 Sep, 2020 12:48 am

ब्यूरोक्रेसी की कार्यकुशलता और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए मोदी सरकार एक नया मिशन शुरू करने जा रही है. कैबिनेट की बैठक में इस मिशन को मंज़ूरी दी गई. बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सरकार के इस नए मिशन के बारे में जानकारी दी. एक प्रेस कांफ्रेंस में जितेंद्र सिंह ने कहा कि, इस मिशन का मक़सद भविष्य के भारत के लिए देश की सिविल सर्विस को तैयार करना है. उन्होंने इसे पूरी दुनिया में अफ़सरशाही का सबसे बड़ा सुधार कार्यक्रम बताया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर सरकार की इस नई कार्ययोजना की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ये उनकी सरकार का एक बड़ा प्रशासनिक सुधार कार्यक्रम है. जिसके ज़रिए काबिल लोगों की अगुवाई में हुनरमंद अफसरों की टीम तैयार की जाएगी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके माध्यम से अफसरों को डिजिटल युग के लिए ख़ुद को तैयार करने और पेशेवर तरीक़े से ख़ुद को विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. 

ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आए विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर ने इसे सरकार का शानदार क़दम बताते हुए कहा कि, इससे सरकारी मशीनरी में पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी. और जनकल्याण के कार्यक्रम और सुचारु रूप से चलाए जा सकेंगे. जिससे आम जनता की ज़िंदगी बेहतर होगी. देश में कारोबार का अच्छा माहौल तैयार होगा.

वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार की इस नई योजना को ब्यूरोक्रेसी में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला क़दम बताया. 

गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के मिशन कर्मयोगी से हर सरकारी कर्मचारी को अपनी क्षमता के विकास का मौक़ा मिलेगा.

इस मिशन के बारे में और जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने दी. उन्होंने बताया कि मिशन कर्मयोगी के तहत सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपना काम बेहतर करने का अवसर मिलेगा. प्रकाश जावडेकर ने कहा कि, ‘मिशन कर्मयोगी से सरकारी कर्मचारियों को अधिक क्रिएटिव, सकरात्मक, कल्पनाशील, नए प्रयोग करने और पेशेवर होने का अवसर मिलेगा.’

सरकार इसके लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करेगी. जिसे iGOTKarmyogi नाम दिया गया है.

इसकी मदद से कोई भी सरकारी कर्मचारी कार्यकुशल तरीक़े से जनसेवा की योजनाओं को लोगों तक पहुंचा सकेगा.

इस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए, नेशनल प्रोग्राम फ़ॉर सिविल सर्विसेज कैपेसिटी बिल्डिंग यानी NPCSB की शुरुआत होगी. जिसके ज़रिए व्यक्तिगत स्तर से लेकर संस्थागत स्तर तक सरकार के तमाम विभागों और कर्मचारियों का काम-काज बेहतर बनाने की कोशिश की जाएगी. 

NPCSB का कामकाज प्रधानमंत्री की मानव संसाधन परिषद् की निगरानी में चलाया जाएगा. इसके अलावा कैबिनेट सचिव की अगुवाई में एक को-ऑर्डिनेशन की इकाई भी स्थापित की जाएगी.

अफ़सरशाही के इस सुधार कार्यक्रम को चलाने के लिए एक सरकारी कंपनी स्थापित की जाएगी. इसकी स्थापना 2013 के कंपनीज़ एक्ट के तहत होगी. मगर ये कंपनी मुनाफ़े के मक़सद से काम नहीं करेगी.

केंद्र सरकार के क़रीब 46 लाख कर्मचारियों का काम-काज बेहतर बनाने की इस योजना के लिए अगले पांच वर्षों में 510.86 करोड़ रुपए ख़र्च किए जाएंगे.

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