Hathras Gang-rape Case: केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की एक टीम ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस (Hathras) में उस जगह का मुआयान किया जहां पिछले महीने 19 साल की दलित मृतक लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार हुआ था. सीबीआई की टीम के साथ लड़की का भाई भी मौजूद था. आपको बता दें कि सीबीआई ने गैंगरेप के मुख्य आरोपी संदीप सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया है. आरोप है कि संदीप और उसके तीन अन्य साथियों ने लड़की के साथ रेप किया. सभी आरोपी फिलहाल जेल में हैं. लड़की ने इलाज के दौरान 29 सितंबर को दम तोड़ने से पहले सभी आरोपियों का नाम लिया था.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले पर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद केंद्र की ओर से इस बाबत नोटिस जारी किया गया और जांच की कमान सीबआई को सौंप दी गई.
पीड़िता के गांव बूलागढ़ी में घटनास्थल पहुंचने से पहले सीबीआई की टीम चांदपा पुलिस स्टेशन गई. पीड़िता का गांव इसी थाने के अंदर आता है. सीबीआई के अधिकारियों ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर मामले से संबंद्धित पुलिसवालों से पूछताछ की.
इससे पहले पीड़ित लड़की के माता-पिता और दो भाई सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने तहरीर देने पहुंचे. इस दौरान पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा की ओर से मांग की गई कि इस मामले को यूपी से बाहर ट्रांसफर कर दिया जाए. यही नहीं वकील ने कोर्ट से यह भी कहा कि पूरे परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई जाए. आपको बता दें कि सीमा वही वकील हैं, जिन्होंने दिल्ली के साल 2012 के निर्भया कांड में पीड़ित परिवार का केस लड़ा था.
लखनऊ बेंच ने सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस को लताड़ लगाते हुए रात के वक्त अंतिम संस्कार करने की कड़ी निंदा की. दरअसल, कथित रूप से गैंगरेप की शिकार लड़की ने इलाज के दौरान दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था. इसके बाद हाथरस पुलिस ने आनन-फानन में रात के ढाई बजे पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया. आरोप है कि लड़की के घरवालों की सहमति के बिना अंतिम संस्कार किया गया. यहां तक कि परिजनों को उनके घर पर ही बंदी बना लिया गया अैर क्षेत्र में मीडिया के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी गई. परिजनों का आरोप है कि वे आखिरी बार अपनी लड़की का चेहरा भी नहीं देख पाए. रात में अंतिम संस्कार किए जाने का विरोध पूरे देश भर में हुआ.
हालांकि यूपी पुलिस ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है. यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे के मुताबिक उनके पास खुफिया जानकारी थी कि कुछ राजनीतिक पार्टिंया, सिविल सोसाइटी और मीडिया संस्थान क्षेत्र में जातिगत हिंसा फैलाना चाहते थे. यूपी सरकार का तर्क है कि इस हिंसा को रोकने के लिए ही उन्होंने परिवार को मनाने के बाद पीड़ित लड़की का अंतिम संस्कार रात में किया.
सीबीआई के अलावा एसआईटी टीम भी इस मामले की जांच कर रही है. कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार की वकील ने एसआईटी को भी घेरा. वकील ने कहा कि एसआईटी ने पीड़िता के भाई और मामले के आरोपी की फोन डिटेल का खुलासा किया. वकील ने आरोप लगाया कि इस तरह एसआईटी ने मामले से ध्यान भटकाने के लिए "पर्सेप्शन" बनाने की कोशिश की.
अब लखनऊ बेंच इस मामले की अगली सुनवाई 2 नवंबर को करेगी.
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