केंद्र सरकार ने 28 अगस्त को एक अहम फैसला लिया जिसके बाद 49 लाख सरकारी कर्मचारी परेशान हैं. सरकार ने साफ किया है आवधिक समीक्षा को अब सख्ती से लागू किया जाएगा. साथ ही जरूरत पड़ने पर जनहित में कर्मचारियों को पहले ही रिटायर कर दिया जाएगा. सरकार के फैसले के संबंध में सभी मंत्रालयों को पत्र भेजा गया है. पत्र में बताया गया कि सरकारी काम में तेजी और प्रशासन में दक्षता लाने के लिए कर्मचारियों को पहले रिटायर किया जा सकता है. इसके लिए 'एफआर' और सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 में प्रावधान भी है.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के आदेश के मुताबिक कर्मचारियों के जुलाई से सितंबर की अवधि के काम की समीक्षा जनवरी से मार्च के बीच की जाएगी. इसके अलावा अक्टूबर से दिसंबर की अवधि के काम की समीक्षा अप्रैल-जून तिमाही में की जाएगी. आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी कर्मचारी के रिटायरमेंट में एक साल का ही वक्त रह गया है तो फिर उसे रिटायर नहीं किया जाएगा. लेकिन अगर काम में बड़े पैमाने पर कमी पाई गई तो समय से पूर्व भी रिटायरमेंट पर विचार हो सकता है.
आदेश में कहा गया है कि कर्मचारियों के काम की समीक्षा के लिए रिव्यू कमिटी का गठन किया जाएगा. साथ ही नियमों के आधार पर काम का असेसमेंट किया जाएगा. वहीं, नॉन-गजेटेड कर्मचारियों के काम की समीक्षा के लिए गठित होने वाली कमिटी की अध्यक्षता संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे. यदि अपॉइंटिंग अथॉरिटी में संयुक्त सचिव के लेवल से नीचे के अधिकारी हैं तो फिर कमिटी की अध्यक्षता डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी करेंगे.
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