Bihar Electon Results: बिहार असेंबली इलेक्शन की अब तक की तस्वीर ये कह रही है कि, NDA की सरकार फिर बनने जा रही है. लेकिन, इस सरकार के मुखिया नीतीश कुमार चौथी बार सीएम बन कर भी एक अलग तरह का रिकॉर्ड बनाएंगे. ये लगातार दूसरी बार होगा, जब विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा दल न बनने के बावजूद नीतीश, चीफ मिनिस्टर की कुर्सी हासिल करेंगे. 2020 के विधानसभा चुनाव में अब तक के रुझान कहते हैं कि विधानसभा में नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड तीसरे नंबर पर रहने वाली है.
बीजेपी के साथ पिछले लगभग दो दशक के गठबंधन में ऐसा पहली बार होगा जब नीतीश कुमार गठबंधन में जूनियर पार्टनर होंगे. उनकी सीटें मुख्य विपक्षी दल आरजेडी से भी कम होंगी.
और इस बात का श्रेय सिर्फ़ एक व्यक्ति को जाता है, वो हैं लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया चिराग पासवान. केंद्र में एनडीए के साझेदार रहने के बावजूद, चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा का चुनाव अलग लड़ा. वो लगातार नीतीश कुमार को टारगेट करते रहे. उनकी सरकार में भ्रष्टाचार को निशाना बनाते रहे. जिन 143 सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी ने चुनाव लड़ा, उनमें से अधिकतर में चिराग पासवान ने जेडी यू के मुक़ाबले अपने उम्मीदवार उतारे.
चिराग पासवान की ये टारगेटेड सियासी क़िलेबंदी किस क़दर कारगर रही है, उसे ऐसे समझिए.
अलौली सीट पर एलजेपी ने 31 परसेंट वोट हासिल करके जेडी यू को नुक़सान पहुंचाया. तो, अमरपुर में 26 परसेंट वोट हासिल करके नीतीश की टैली पर चोट की. अतरी, टीकरी,सुगौली, सराय रंजन, साहेबपुर कमाल, राजगीर, राजापाकर, हसनपुर सीटों पर आरजेडी की जीत का मार्जिन लगभग उतना ही रहा है, जितना एलजेपी को वोट मिला है. कुछ यही हाल राघोपुर और परसा सीटों पर देखने को मिला. आरजेडी के दो बड़े प्रत्याशियों राघोपुर में तेजस्वी यादव और हसनपुर में तेज प्रताप यादव अगर चुनाव जीत रहे हैं, तो उसका बड़ा श्रेय लोक जनशक्ति पार्टी को ही जाता है. अगर LJP बीजेपी और जेडी यू के साथ मिलकर चुनाव लड़ती, तो उसके खाते के वोट इन सीटों पर जेडी यू को मिलते. तब, हसनपुर से लालू के बेटे तेज प्रताप यादव अपने पूर्व ससुर, जेडी यू के प्रत्याशी चंद्रिका राय से चुनाव हार भी सकते थे. कम-ओ-बेश यही स्थिति बिहार की राघोपुर सीट पर भी देखने को मिली, जहां तेजस्वी यादव चुनाव लड़े. अगर, एलजेपी के वोट तेजस्वी के विरोधी जेडीयू प्रत्याशी को मिलते, तो राघोपुर से तेजस्वी हार सकते थे.
अब तक के वोटों के आंकड़े बताते हैं कि लोक जनशक्ति पार्टी के कारण, नीतीश कुमार की पार्टी को कम से कम 35 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. याद रहे कि ये वही लोक जनशक्ति पार्टी और चिराग पासवान हैं, जिनके बारे में नीतीश कुमार टिप्पणी करने से भी बचते रहे थे.
वहीं, बिहार की अपनी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सीधे तौर पर चिराग पासवान पर हमला नहीं किया. जबकि चिराग ने कहा था कि गठबंधन धर्म की मजबूरी के चलते अगर पीएम मोदी चाहें, तो उन्हें निशाना बना सकते हैं. उन्हें बुरा नहीं लगेगा.
जेडीयू के ज़्यादातर नेता ये मानते हैं कि बीजेपी ने जान-बूझकर लोक जनशक्ति पार्टी को अलग चुनाव लड़ने के लिए उकसाया. जिससे नीतीश कुमार का राजनीतिक कद छोटा किया जा सके और बीजेपी, बड़े भाई की भूमिका में आ सके.
अगर ऐसा है, तो लोक जनशक्ति पार्टी ने इस चुनाव में अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई है.
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