×

कांग्रेस के संकट मोचन अहमद पटेल का निधन, पिछले महीने हुआ था कोरोना

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 25 Nov, 2020 12:25 pm

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता अहमद पटेल (Ahmed Patel) का बुधवार तड़के निधन हो गया. जानकारी के मुताबिक उनके शरीर के ज्‍यादातर अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. पिछले महीने वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. वह 71 वर्ष के थे. अहमद पटेल के बेटे फैजल पटेल ने ट्वीट कर अपने पिता के निधन की जानकारी दी. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अहमद पटेल के निधन पर शोक जाहिर करते हुए ट्वीट किया है.

राजनीति के गलियारों में 'बाबू भाई', 'अहमद भाई' और 'AP' के नाम से मशहूर अहमद पटेल दशकों से कांग्रेस में संकट मोचन की भूमिका निभाते रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्‍य गुजरात के भरूंच के पास पीरामन गांव में 21 अगस्‍त 1949 को जन्‍मे अहमद पटेल आठ बार सांसद रहे. वह तीन बार भरूंच के सांसद बने, जबकि पांच बार राज्‍य सभा सांसद रहे.

गांधी परिवार के निष्‍ठावान अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक थे. कहा जाता है कि जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी तब उन्‍होंने कई बार केंद्र सरकार में शामिल होने के प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया था.

अहमद पटेल साल 2001 से लेकर 2017 तक कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे. इसके बाद जब सोनिया ने पार्टी की कमान अपने बेटे राहुल गांधी को सौंप दी थी तब वह अहमद पटेल ही थे जो पार्टी आलाकमान और कार्यकर्ताओं के बीच कड़ी का काम करते थे. यही नहीं सहयोगी दलों के अलावा वह पार्टी और सरकार के बीच की कड़ी भी थे.

अहमपद पटेल ने संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की 10 साल की सत्ता के दौरान बेहद महत्‍वपर्णू भूमिका निभाई, लेकिन खुद हमेशा लो प्रोफाइल रहे. 

यही नहीं जब यूपीए सत्ता में थी तब यह अलिखित नियम था कि जब भी पटेल मीडिया से बात करते थे तब न्‍यूज चैनल के कैमरामैन अपने कैमरे बंद कर देते थे. अपनी खबरों की पुष्टि के लिए पत्रकार अकसर अहमद पटेल से मिलने वाले हिंट का इंतजार करते थे.

यह अहमद पटेल की ही योग्‍यता था कि संकट की घड़ी में वह हार बार पार्टी की नैया पार लगाने में सफल रहे. साल 2008 में जब भारत-अमेरिकी परमाणु करार के मुद्दे पर लेफ्ट पार्टियों ने यूपीए से समर्थन वापस ले लिया था. तब पटेल की बदौलत ही पार्टी सदन में विश्‍वास मत हासिल करने में कामयाब रही.

अगस्‍त 2018 में तत्‍कालीन कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने अहमद पटेल को कांग्रेस पार्टी का कोषाध्‍यक्ष बनाया. यह वह समय था जब कांग्रेस गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कई नेताओं ने वित्तीय संकट की बात स्‍वीकारी थी. इस संकट का ठीकरा कॉर्पोरेट घरानों के ऊपर फोड़ा गया, जो कांग्रेस की लगातार हार की वजह से पार्टी से दूर होते जा रहे थे. ऐसे में पटेल ने फिर खेवनहार की भूमिका निभाई और औद्योगिक घरानों में अपने संपर्क की वजह से कांग्रेस के कोष को इस लायक बनाया कि पार्टी 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ सके. आपको बता दें कि इससे पहले भी अहमद पटेल अक्‍टूबर 1996 से लेकर जुलाई 2000 तक कांग्रेस के कोषाध्‍यक्ष थे.

1992 से कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्‍य रहे अहमद पटेल 1985 से 1986 के बीच तत्‍कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव भी थे. 1986 से 1988 तक गुजरात कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष रहने के अलावा वह सितंबर 1985 से जनवरी 1986 और मई 1992 से अक्‍टूबर 1996 तक दो बार राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सचिव भी रहे.

अहमद पटेल 2017 में पांचवीं बार गुजरात से राज्‍य सभा सांसद बने. हालांकि इस चुनाव में कांटे का मुकाबला रहा और यह लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्‍ठा का सवाल बन गई थी. 
 
अहमपद पटेल का इस तरह चले जाना कांग्रेस पार्टी के लिए किसी झटके से कम नहीं है.

  • \
Leave Your Comment