कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज से पंजाब में खेती बचाओ यात्रा शुरू कर रहे हैं. तीन दिन के इस कार्यक्रम के दौरान वो किसानों के साथ बैठकें करेंगे. और मोगा से लुधियाना तक ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. राहुल गांधी का ये अभियान केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ है.
Shri @RahulGandhi will begin a 3 day yatra through Punjab & Haryana tomorrow with public meetings & a tractor rally in Punjab.
— Congress (@INCIndia) October 3, 2020
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उत्तर भारत में पंजाब ही इकलौता राज्य है जहां कांग्रेस की सरकार है. संसद ने पिछले महीने ही खेती-बाड़ी से संबंधित तीन क़ानूनों को मंज़ूरी दी है. उससे पहले से ही पंजाब में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. पंजाब के किसानों को डर है कि इन क़ानूनों को बनने के बाद सरकार उनकी फ़सलों को जो न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है, वो व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी.
तीन दिनों की पंजाब यात्रा के पहले दिन राहुल गांधी, मोगा से लुधियाना तक ट्रैक्टर रैली करेंगे. इस दौरान उनके साथ राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ सहित, पार्टी के तमाम नेता कार्यकर्ता रहेंगे.
Shri @RahulGandhi will be holding tractor rally at Nihal Singh Wala, Jagraon & Raikot as per the first day's schedule of Kheti Bachao Yatra along with CM @capt_amarinder, Punjab Affairs Incharge @harishrawatcmuk, PPCC President Sunil Jakhar & other leaders of the Congress Party. pic.twitter.com/46tLLQsWKK
— Punjab Congress (@INCPunjab) October 3, 2020
कांग्रेस ने पहले पंजाब से दिल्ली तक ट्रैक्टर रैली निकालने की कोशिश की थी. लेकिन, उन्हें हरियाणा में एंट्री नहीं मिल पायी थी. जिसके बाद एक ट्रैक्टर को हरियाणा पंजाब बॉर्डर पर जलाने की कोशिश भी की गई थी. उसमें नाकाम रहने के बाद, पंजाब युवा कांग्रेस के नेता उस ट्रैक्टर को ट्रक में लादकर दिल्ली लाए थे. और जनपथ पर आग के हवाले कर दिया था.
इससे पहले पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ नवांशहर में धरना भी दिया था.
इन क़ानूनों के प्रति नाराज़गी जताते हुए राज्य की एक और प्रमुख पार्टी, अकाली दल ने भी मोदी सरकार से ख़ुद को अलग कर लिया है.
तीन कृषि कानूनों को लेकर पंजाब समेत कई अन्य राज्यों में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि नए क़ानूनों से कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों की एंट्री होगी और धीरे-धीरे खेती पर भी कॉरपोरेट सेक्टर हावी हो जाएगा. जिसके बाद किसानों को अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा. वहीं सरकार का कहना है कि उसके बनाए नए कानूनों से छोटे एवं सीमांत किसानों को लाभ होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार इन क़ानूनों के बचाव में बयान दे चुके हैं. लेकिन, विरोध प्रदर्शन रुके नहीं हैं. सबसे ज़्यादा नाराज़गी पंजाब और हरियाणा के किसानों के बीच ही देखी जा रही है.
नए सुधारों से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा, किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी मिलेगी, साथ ही उनके उत्पाद और आसानी से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचेंगे। pic.twitter.com/4Lfv12LpM8
— Narendra Modi (@narendramodi) September 21, 2020
दिलचस्प बात ये है कि आज कांग्रेस किसानों की उपज ख़रीदने के मामले में कृषि उपज मंडी समितियों के एकाधिकार को ख़त्म करने वाले क़ानूनों का विरोध कर रही है. जबकि सत्ता में रहने के दौरान, कांग्रेस लगातार APMC एक्ट को बदलने की बात करती रही थी. और, ख़ुद पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने तीन साल पहले APMC एक्ट में बदलाव किया था.
इससे पहले असम और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में खेती बाड़ी के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को एंट्री देने के लिए क़ानून तब बनाए गए थे, जब वहां कांग्रेस की सरकारें थीं.
साल 2012 में जब मनमोहन सरकार रिटेल सेक्टर में FDI को मंज़ूरी देने वाला विधेयक संसद में लायी थी, तब उसमें कम-ओ-बेश यही प्रावधान थे, जो मौजूदा सरकार के बनाए क़ानूनों में हैं. लेकिन, तब बीजेपी इन्हीं तर्कों से खेती बाड़ी में कॉरपोरेट सेक्टर की एंट्री का विरोध कर रही थी.
कांग्रेस ने 2019 के अपने घोषणापत्र में भी कृषि उपज मंडी समिति के क़ानूनों को बदलने का वादा किया था. और कृषि क्षेत्र के दरवाज़े कॉरपोरेट सेक्टर के लिए खोलने की बात कही थी.
कांग्रेस के ही राज में सबसे पहले 2007 में हरियाणा में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत हुई थी. शराब बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी, सैब मिलर (SAB Miller) ने हरियाणा के तीन ज़िलों में ठेके पर जौ की खेती किसानों से करानी शुरू की थी. तब हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस की ही सरकार थी.
लेकिन, आज कांग्रेस उन्हीं सुधारों का विरोध कर रही है, जिनकी वकालत वो सत्ता में रहने और विपक्ष में बैठने के दौरान लगातार करती आयी है.
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