×

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में फ़ैसला आज, लाल कृष्‍ण आडवाणी समेत कई हैं आरोपी

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 30 Sep, 2020 09:08 am

1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने के केस में लखनऊ का स्पेशल कोर्ट आज फ़ैसला सुनाएगा. इस स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज एसके यादव ने 16 सितंबर को सभी 32 जीवित आरोपियों को फ़ैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने का आदेश दिया था.

इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, यूपी के पूर्व चीफ़ मिनिस्टर कल्याण सिंह, पूर्व सांसद विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा मुख्य आरोपियों में से हैं.

फ़ैसले से एक दिन पहले उमा भारती ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिख कर कहा था कि चाहे फांसी हो जाए, लेकिन वो ज़मानत की मांग नहीं करेंगी.

उमा भारती इस समय कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और उत्तराखंड के एक अस्पताल में भर्ती हैं. वहीं, कल्याण सिंह भी कोरोना पॉज़िटिव हैं और उनका भी इलाज चल रहा है. जिस समय बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाया गया था, उस समय कल्याण सिंह ही यूपी के चीफ मिनिस्टर थे. उनके ख़िलाफ़ मुक़दमे की शुरुआत पिछले साल सितंबर महीने में ही हुई थी, जब राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल ख़त्म हुआ था.

यह भी पढ़ें: अयोध्या बाबरी विध्वंस के आरोपियों को दोषमुक्त किए जाने की मांग

इस केस में विश्व हिंदू परिषद के नेता चम्पत राय भी आरोपी हैं. चम्पत राय श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव हैं. उनकी देख-रेख में ही इस समय अयोध्या में कभी विवादित रही ज़मीन पर राम मंदिर बनाया जा रहा है. 

5 अगस्त को जब राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ था, तो कार्यक्रम का संचालन चम्पत राय ने ही किया था. राम मंदिर का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में ही विवादित ज़मीन रामलला को सौंपने का फ़ैसला सुनाया था. जिसके बाद अयोध्या में बाबरी मस्जिद वाली जगह पर राम मंदिर बनने का रास्ता खुला था. 

इसी फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के केस की सुनवाई इस साल 31 अगस्त तक ख़त्म करने का भी आदेश दिया था. जिसे बाद में एक महीने के लिए और बढ़ा दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लखनऊ के स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने इस मामले की रोज़ाना सुनवाई करनी शुरू की थी. सीबीआई ने आरोपियों के ख़िलाफ़ 351 गवाह और 600 पन्ने सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किए हैं. जिसके बाद, अदालत ने 48 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप तय किए थे. हालांकि, मुक़दमे की सुनवाई के दौरान 17 लोगों की मौत हो गई.

सभी आरोपियों के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश करने के आरोप की सुनवाई, अप्रैल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई थी. क्योंकि, इससे पहले निचली अदालत ने आपराधिक साज़िश के आरोप हटा दिए थे. और इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी निचली अदालत का ये फ़ैसला बरक़रार रखा था. लेकिन, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों के विरुद्ध आपराधिक साज़िश रचने के गंभीर आरोपों की दोबारा सुनवाई करने का आदेश दिया था.

इस मामले के सभी आरोपियों का यही तर्क रहा है कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश करने और कार सेवकों को बाबरी मस्जिद ढहाने के लिए उकसाने के कोई सबूत नहीं हैं. ये तो कांग्रेस सरकार ने उन्हें राजनीतिक बदले की भावना से फंसाया है.

अयोध्या में बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने ढहा दिया था. उनका कहना था कि ये मस्जिद, वहां पर मौजूद रहे राम मंदिर को ध्वंस करके बनाई गई थी.

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने मामले के मुस्लिम पक्षकारों को अपनी मस्जिद अलग बनाने के लिए पांच एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया था. यूपी सरकार ने ये ज़मीन दे दी है.

TOP NEWS OF THE DAY: दिनभर की बड़ी खबरें

  • \
Leave Your Comment