दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक सोमनाथ भारती (Somanth Bharti) को 2016 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के सुरक्षा कर्मचारियों के साथ मारपीट के मामले में दोषी ठहराया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने 23 जनवरी को भारती को दो साल की कैद की सजा सुनाई थी और मामले में 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. पांच दिन बाद सोमनाथ भारती ने फैसले के खिलाफ अपील की थी. फिर विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी.
अब मंगलवार को एक आदेश में अदालत ने 23 जनवरी के आदेश को बरकरार रखा और उन्हें दंगों, भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत अवैध रूप से लोगों को जुटाने, और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी (PDPP) अधिनियम के तहत सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए जेल भेज दिया.
अदालत के आदेश में कहा गया है, "अपीलकर्ता को हिरासत में लिया जाना चाहिए और उसे जेल भेजा जाना चाहिए." फैसले के पारित होने के तुरंत बाद सोमनाथ भारती को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया. उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया है.
मंगलवार को एक ट्वीट में उन्होंने इसे "झूठा" मामला बताया और कहा, "यह 23 मार्च का ही दिन था जब सत्ता में बैठे लोगों ने भारतीय राजनेताओं की विधिवत सहायता से शहीद-ए-आजम भगत सिंह जी, राजगुरु जी और सुखदेव जी को फांसी दी और आज फिर से, मैं सत्र अदालत से न्याय पाने में विफल रहा और झूठे मामले में लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष के लिए जेल भेजा जा रहा हूं. इंकलाब जिंदाबाद!"
It was March 23 when people in power duly aided by Indian politicians hanged Shahid-e-azam Bhagat Singh Ji, Rajguru Ji n Sukhdev Ji n today again I failed to get justice 4m sessions court n being sent to Jail for my struggle for rights of people in a false case.Inquilab zindabad!
— Adv. Somnath Bharti (@attorneybharti) March 23, 2021
गौरतलब है कि 9 सितंबर 2016 को सोमनाथ भारती ने लगभग 300 अन्य लोगों के साथ दिल्ली के एम्स में एक जेसीबी ऑपरेटर की मदद से बाउंड्री वॉल को ढहा दिया था.
मजिस्ट्रेट ने पहले जिक्र किया था कि मुख्य गवाहों ने विशेष रूप से कहा था कि आरोपी भारती भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे, जिसने जेसीबी मशीन की मदद से एम्स की बाउंड्री वॉल को तोड़ दिया था.
यह मामला एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था.
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