×

पाकिस्तान में ज़बरदस्त सियासी संकट: सेना और सिंध पुलिस आमने-सामने

Babita Pant

नई द‍िल्‍ली 22 Oct, 2020 09:42 am

दो साल पुरानी इमरान ख़ान की सरकार इस समय सबसे बड़ा सियासी संकट झेल रही है. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार एक सूबे की पुलिस ने मुल्क की पावरफुल आर्मी के ख़िलाफ़ हल्ला बोल दिया है. सिंध पुलिस ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की फौज के अधिकारियों ने उनके इंस्पेक्टर जनरल को कराची से अगवा कर लिया था. और ज़बरदस्ती पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के दामाद कैप्टन सफ़दर की गिरफ़्तारी के वारंट पर दस्तख़त कराए. बैकफुट पर आई आर्मी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

असल में सिंध की राजधानी कराची में विपक्षी दलों के मोर्चे, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM)ने एक बड़ी रैली की थी. इस रैली में शामिल नेताओं ने प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर डायरेक्ट अटैक किया और फ़ौज को इशारों में निशाना बनाया. रैली के बाद, नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ जब अपने होटल के कमरे में पहुंचीं, तो रात में उनके रूम का दरवाज़ा तोड़ कर उनके पति कैप्टन (रि) सफदर को गिरफ़्तार कर लिया गया.

हालांकि, कैप्टन सफदर को कुछ घंटों बाद रिहा कर दिया गया. लेकिन, इसे लेकर, सिंध में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की काफ़ी किरकिरी हो गई. क्योंकि एक तरफ़ तो वो नवाज़ शरीफ़ की पार्टी के साथ इमरान सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए है. और दूसरी तरफ़ उसी के हुकूमत वाले सूबे में नवाज़ शरीफ़ के दामाद गिरफ़्तार कर लिए जाते हैं.

इस घटना के बाद, सिंध के वज़ीर-ए-आला मुराद शाह ने सफ़ाई दी कि आर्मी के कंट्रोल वाले पाकिस्तान रेंजर्स ने सिंध पुलिस के IG को अगवा कर लिया था. और उनसे ज़बरदस्ती, कैप्टन सफदर की गिरफ़्तारी के वारंट पर दस्तख़त कराए गए.

नाराज़गी जताते हुए सिंध के IG पुलिस समेत सूबे के 20 से ज़्यादा आला अधिकारियों ने छुट्टी पर जाने की अर्ज़ी दे दी. सिंध पुलिस ने अपने मुखिया के साथ हुई बदसलूकी की शिकायत पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल क़मर जावेद बाजवा से की. साथ ही चीफ मिनिस्टर मुराद शाह ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के डायरेक्टर जनरल फैज अहमद से भी पाकिस्तान रेंजर्स की शिकायत की.

इसके बाद, पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल क़मर जावेद बाजवा ने घटना की जांच के आदेश दिए. तो, सिंध में सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने मरियम नवाज़ के साथ ज्वाइंट प्रेस कांफ्रेंस की और मरियम के पति की गिरफ़्तारी पर अफ़सोस जताया.

इस दौरान, पाकिस्तान की इमरान सरकार लगातार ये सफाई देती रही कि कैप्टन सफदर की गिरफ़्तारी से सेंट्रल गवर्नमेंट का कोई लेना-देना नहीं.

पाकिस्तान में सभी विपक्षी दलों ने मिलकर जो लोकतांत्रिक मोर्चा (PDM)बनाया है, वो प्राइम मिनिस्टर इमरान ख़ान को पद से हटाने की मांग कर रहा है. विपक्षी दलों का कहना है कि 2018 के आम चुनाव में आर्मी ने इमरान ख़ान को धांधली करके चुनाव जिताया और फिर पीएम बनाया.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ इस वक़्त लंदन में हैं. उन्होंने दो बार वीडियो कांफ्रेंस से पाकिस्तान में रैलियों को संबोधित किया. इस दौरान नवाज़ शरीफ़ ने डायरेक्ट पाकिस्तान की फौज पर अपनी सरकार को हटाने का इल्ज़ाम लगाया. नवाज़ शरीफ़ ने जनरल क़मर जावेद बाजवा का नाम लेकर आरोप लगाया कि जनरल बाजवा के चलते ही उनकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी.

पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली दफ़ा है, जब सीधे तौर पर पाकिस्तान की आर्मी को नेता टारगेट कर रहे हैं. पिछले साल ही प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ा दिया था. पाकिस्तान के विपक्षी दल, इमरान ख़ान को सेलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर कहते हैं. उनका कहना है कि इमरान को पाकिस्तान के अवाम ने नहीं, आर्मी ने चुना है, ताकि वो पर्दे के पीछे से सरकार चला सके.

अभी इसी महीने इमरान ख़ान के सलाहकार और पाकिस्तान आर्मी के प्रवक्ता रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) असीम बाजवा को भ्रष्टाचार के आरोप में पद छोड़ना पड़ा था.

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद ख़राब है. चीनी की किल्लत है. लोगों को आटा मिलने में भी मुश्किल हो रही है. नतीजा ये कि इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ लोगों की नाराज़गी बढ़ रही है. इसी का फ़ायदा उठाकर विपक्षी दल इमरान हुकूमत पर दबाव बना रहे हैं. 

लेकिन, इमरान ख़ान के रूप में पाकिस्तान की फौज ने एक नया प्रयोग किया है. वो पर्दे के पीछे से सरकार को कंट्रोल करती है. इससे पहले, किसी चुने हुए नेता से नाख़ुश होने पर पाकिस्तान की आर्मी तख़्तापलट कर देती थी. लेकिन, अब पाकिस्तान की फ़ौज ने तख़्तापलट के पुराने तजुर्बों से सबक़ लिया है. और वो डायरेक्ट सत्ता पर क़ाबिज़ होने के बजाय, इमरान के रूप में कठपुतली सरकार चला रही है.

पाकिस्तान के 73 बरस के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है. और वहां पर आधे समय तक फ़ौज का ही शासन रहा है. अब देखना ये है कि इमरान ख़ान कितने दिन तक वज़ीर-ए-आज़म की कुर्सी पर बने रह पाते हैं.

  • \
Leave Your Comment