चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव में एक ज़बरदस्त मोड़ आ गया है. चीन ने साउथ चाइना सी में एक ऐसी मिसाइल का परीक्षण किया है, जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि ये ‘एयरक्राफ्ट कैरियर किलर’ मिसाइल है.
चीन ने एक नहीं बल्कि दो मिसाइलें दागीं, जिनके नाम हैं, DF-26B और DF-21D. चीन के मीडिया के मुताबिक़, ये मिसाइलें, चीन के हैनान द्वीप और पारासेल द्वीपों के पास गिरीं.
चीन ने इन मिसाइल परीक्षणों की जानकारी दुनिया को ठीक उस समय दी, जब अमेरिकी सरकार, चीन की 24 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का एलान कर रही थी. अमेरिका का कहना है कि चीन की इन कंपनियों ने साउथ चाइना सी को सैन्य क्षेत्र में तब्दील करने में बड़ी भूमिका अदा की है.
चीन की इन मिसाइलों के टेस्ट के संकेत बड़े हैं. चीन के मीडिया का दावा है कि इन मिसाइलों से एयरक्राफ्ट कैरियर को भी तबाह किया जा सकता है.
मतलब, ये कि अमेरिका अगर साउथ चाइना सी में चीन से पंगा लेने के मूड में है, तो चीन भी इसके लिए तैयार है. अमेरिका ने चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच, साउथ चाइना सी के आस-पास निगरानी के लिए अपने दो निमित्ज़ क्लास के एयरक्राफ्ट कैरियर, USS निमित्ज़ और USS रोनाल्ड रीगन तैनात कर रखे हैं.
दो महीने पहले ही अमेरिका ने साउथ चाइना सी के एक बड़े इलाक़े पर चीन के दावे को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया था.
वैसे, चीन ने अपनी ताक़तवर मिसाइलों का ये मिसाइल परीक्षण उस वक़्त किया, जब कुछ दिन पहले ही उसने अपनी सीमा में अमेरिका के एक टोही विमान के घुस आने का आरोप लगाया था. चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि, ‘अमेरिका ने बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती का पता लगाने वाले टोही विमान को भेज कर एक बार फिर चीन को उकसाने का काम किया है. अमेरिका का ये यू-2 जासूसी विमान, साउथ चाइना सी के उस इलाक़े में उड़ान भर रहा था जहां चीन की सेना युद्धाभ्यास कर रही है. और उसने इसकी जानकारी सबको दे दी थी. और ये भी कहा था कि चीन के युद्धाभ्यास के दौरान किसी देश का विमान या जहाज़ उस इलाक़े से दूर ही रहें.’
The People’s Liberation Army (#PLA) has begun its live-fire drills across four major seas. It has announced at least nine drills and large-scale military training.
— Apple Daily HK 蘋果日報 (@appledaily_hk) August 25, 2020
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अमेरिका का जो टोही विमान, चीन के युद्धाभ्यास की जासूसी कर रहा था, उसमें बैलिस्टिक मिसाइलों के बारे में आंकड़े जुटाने के उपकरण लगे हुए हैं. वो ऐसी मिसाइलें तैनात करने वाले देशों के बारे में तमाम जानकारियां आसमान में उड़ते-उड़ते जुटा सकता है.
अमेरिका के लिए चीन के बारे में ये जानकारियां जुटानी इसलिए ज़रूरी हैं, क्योंकि चीन लगातार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का टेस्ट और उनकी तैनाती कर रहा है.
चीन ने बुधवार को जिस डोंगफेंग-26B मिसाइल का परीक्षण किया, वो चार हज़ार किलोमीटर दूर तक निशाना लगा सकती है. इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है. अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच हुई INF संधि या इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज ट्रीटी में ऐसी मिसाइलों पर प्रतिबंध लगा हुआ था.
लेकिन, पिछले ही साल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ख़ुद अमेरिका को इस समझौते से अलग करने का एलान किया था. ट्रंप ने कहा था कि चूंकि चीन, इस समझौते का उल्लंघन करने वाली मिसाइलें तैनात कर रहा है. इसलिए, अमेरिका अब इस संधि की शर्तों से बंधा हुआ नहीं रह सकता.
चीन ने बुधवार को जो मिसाइल टेस्ट किया, उसने अमेरिका की आशंका को सही साबित कर दिया है.
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