कोरोना के समय में जहां एक ओर लोगों की नौकरी जा रही थी वहीं दूसरी ओर लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे थे, ऐसे में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने शानदार काम से सबका दिल जीत लिया. पूरे देश में जिस प्रकार से EPFO ने कामगारों की मदद की वैसी मदद शायद ही किसी संस्था ने की हो. लॉकडाउन लगने से लेकर अबतक 95 लाख कामगारों के बीच 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद पहुंचा चुका है. वैसे तो प्रत्येक संकट के समय इस संगठन ने अपने सदस्यों की मदद की है लेकिन इस करोना काल में इस संगठन ने जो काम किया है वह दूसरे संगठनों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन गया. इसी क्रम में ईपीएफओ दिल्ली वेस्ट ने लगातार 150 दिनों तक 100 प्रतिशत कोविड संकट दावों के निर्बाध निष्पादन का समारोह मनाया.
इस अवसर पर अनिल स्वरूप, पूर्व केंद्रीय कोयला एवं शिक्षा सचिव और लेखक, ने “ह्यूमन्स ऑफ ईपीएफओ दिल्ली वेस्ट” शीर्षक ई-बुक का विमोचन किया. यह ई-बुक प्रसिद्ध भारतीय फोटो ब्लॉग- 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ से प्रेरित है. इसके माध्यम से उन सभी चेहरों को सम्मान दिया गया, जिन्होंने कोविड के समय सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से देश को आर्थिक संकट से निपटने में अथक योगदान दिया. रिलीज को फेसबुक लाइव के माध्यम से ऑनलाइन किया गया.
"एथिकल डिलेमास ऑफ ए सिविल सर्वेंट’ के विख्यात लेखक, अनिल स्वरुप ने कहा कि लोक प्रशासन में कार्य-प्रशंसा की भूमिका महत्वपूर्ण है पर अक्सर कम देखने को मिलती है. कर्मचारियों की सराहना वास्तव में कार्य-प्रदर्शन में चमत्कार कर सकता है. विशेषकर कोविड की परिस्थिति में यह एक सराहनीय पहल है. ईपीएफओ, जो अनिवार्य रूप से एक प्रवर्तन एजेंसी है, ने सफलतापूर्वक अपना कल्याणकारी चरित्र प्रस्तुत किया है. लोक प्रशासन में यह एक स्वागत योग्य कदम है.
ई-बुक की प्रस्तावना में, केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री, संतोष गंगवार ने सन्देश दिया कि ईपीएफओ दिल्ली वेस्ट ने सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए अपने दैनिक प्रदर्शन की लोक समीक्षा के माध्यम से सामाजिक जवाबदेही को आगे बढ़ाया है. सार्वजनिक सेवा में समर्पण और टीम भावना का यह एक अनुकरणीय उदाहरण है.
दिल्ली पश्चिम ने महामारी की शुरुआत से अब तक लगभग 180 करोड़ रुपये कोविड श्रेणी के दावों में वितरित किये हैं. इस श्रेणी में लगातार 150 दिनों से 100 प्रतिशत दावों का निष्पादन 24 घंटों के भीतर सुनिश्चित किया गया है. इस अवधि में सभी श्रेणी के कुल 4.4 लाख दावे प्राप्त हुए और 3 दिनों के भीतर करीब 90 प्रतिशत के ऊपर कार्रवाई की गई. ईपीएफओ के मिशन स्टेटमेंट में 3 कार्य दिवसों के भीतर दावों के निष्पादन का उद्देश्य है और दिल्ली पश्चिम ने सिर्फ 24 घंटों के भीतर इसे हासिल किया है.
आयुक्त, ईपीएफओ दिल्ली वेस्ट, उत्तम प्रकाश ने कहा कि सिर्फ 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करने के बावजूद, कार्यालय ने पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में तक़रीबन 30 प्रतिशत अधिक दावों का निष्पादन किया है. साथ ही, इसी अवधि में ऑनलाइन दावों को आसान बनाने के लिए, मोटे तौर पर 40,000 सदस्यों के विवरण सुधार अनुरोध भी निष्पादित किए गए. कोविड श्रेणी में हर शिकायत पर एक दिन के भीतर कारवाई सुनिश्चित की गई. रणवीर कुमार सिंह, क्षेत्रीय आयुक्त (वित्त) ने बताया कि यह कार्य सभी हितधारकों के सामूहिक सहयोग से संभव हुआ है. हमारे 10 लाख लाभार्थियों के चेहरों पर मुस्कान की आकांक्षा, हमें लगातार प्रेरित करता रहा. यह सरकार द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे सामाजिक संरक्षण की प्रासंगिकता को सिद्ध करने का एक अच्छा अवसर था.
ईपीएफओ देश में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है. ईपीएफ की योजनाओं के अंतर्गत श्रमिकों को भविष्य निधि, पेंशन और सेवा में असामयिक मृत्यु के लिए 7 लाख रुपये तक का बीमा का प्रावधान, महामारी सहित विभिन्न आकस्मिकताओं के समय में उपलब्ध है. इस महामारी के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा विशेष कोविड दावा का प्रावधान किया गया है. इसका उद्देश्य श्रमिकों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है. अब तक लगभग 95 लाख कामगारों को 40,000 करोड़ रुपये की सहायता दी जा चुकी है. इसे समाज के सबसे कमजोर वर्ग को सामाजिक सुरक्षा देने के एक नवीन कदम के रूप में देखा गया है.
उल्लेखनीय है कि सरकार नए लेबर कोड के माध्यम से देश में सामाजिक सुरक्षा के विस्तार को नया रूप देने की प्रक्रिया में है.
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