कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सहायक भविष्य निधि आयुक्त मनोज कुमार गुप्ता ने सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Sahara India Real Estate Corporation Limited) के खिलाफ आदेश जारी कर 18 करोड़ 54 लाख रुपये की बकाया राशि, आदेश प्राप्ति के 15 दिनों के अंदर जमा कराने को कहा है. फैसले की कॉपी www.thelastbreaking.com के पास मौजूद है. यह राशि जनवरी 2012 से लेकर मार्च 2014 के बीच के मूल्यांकन अवधि की है.
EPFO की क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के सहायक भविष्य निधि आयुक्त मनोज कुमार गुप्ता ने 26 मार्च 2021 को जारी अपने 33 पेज के आदेश में कहा कि 09 मई 2014 को सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के खिलाफ सम्मन जारी कर मामले की सुनवाई के लिए 05 जुलाई 2014 को उपस्थित होने को कहा गया. 05 जुलाई को सहारा की तरफ से उनके प्रतिनिधि श्री जे के शुक्ला उपस्थित हुए और संबंधित कागजात पेश करने के लिए समय की मांग की. EPFO ने उन्हें समय दिया लेकिन एक के बाद एक कई मौके दिए जाने के बावजूद सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की तरफ से कोई कागजात पेश नहीं किए गए. फैसले की कॉपी www.thelastbreaking.com के पास मौजूद है. इस मामले में 28 अक्टूबर 2016 को सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के खिलाफ 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. बीते 07 वर्षों में सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड को अपना पक्ष और संबंधित कागजात पेश करने के लिए 100 से ज्यादा मौके दिए गए. लेकिन सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड संबंधित कागजात पेश करने में नाकाम रहा.
इस मामले की जांच करने वाले प्रवर्तन अधिकारी (Enforcement Officer) ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी की ओर से जो बैलेंस सीट पेश किए गए उसके अनुसार ईपीएफओ को भुगतान किए जाने संबंधित कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए. जांच में एक और बात सामने आई कि सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने सहारा इंडिया से कर्मचारी डेप्यूटेशन पर लाए गए थे लेकिन इस संबंधित कोई भी कागजात कंपनी ईपीएफओ के सामने नहीं पेश कर पाई. फैसले की कॉपी द लास्ट ब्रेकिंग के पास उपलब्ध है. ज्ञात हो कि इससे पहले सहारा इंडिया से जुड़ी अन्य कंपनियों पर भी बकाया राशि को लेकर ईपीएफओ आदेश जारी कर चुका है.
इससे पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त पंकज यादव ने सहारा नेट कॉर्प लिमिटेड (Sahara Net Corp Limited) के खिलाफ आदेश जारी कर 03 करोड़ 98 लाख रुपये की बकाया राशि 15 दिनों के अंदर जमा कराने को कहा था. फैसले की कॉपी www.thelastbreaking.com के पास मौजूद है. यह राशि नवंबर 2002 से लेकर फरवरी 2013 के बीच की है.
EPFO की क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त पंकज यादव ने 05 अप्रैल 2021 को जारी अपने 17 पेज के आदेश में कहा कि मामले की पहली सुनवाई की तारीख 10 मई 2013 थी और उसके बाद से सहारा नेट कॉर्प लिमिटेड को अपना पक्ष रखने के लिए 112 मौके दिए गए. इस दौरान सहारा नेट कॉर्प लिमिटेड ने अप्रैल 2005 से मार्च 2013 के बीच काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी सीट को प्रस्तुत किया लेकिन जांच के दौरान सहारा नेट कॉर्प उपस्थिति रजिस्टर और सैलरी रजिस्टर प्रस्तुत करने में नाकाम रही. जांच के दौरान पाया गया कि कंपनी की तरफ से प्रस्तुत की गई सैलरी कंपोनेंट की जानकारी गलत दी गई है. इस संदर्भ में सहारा नेट कॉर्प लिमिटेड को कई बार दस्तावेज पेश करने को कहा गया लेकिन कंपनी की ओर से इसे प्रस्तुत नहीं किया गया.
इस मामले की जांच करने वाले प्रवर्तन अधिकारी (Enforcement Officer) आलोक दीक्षित ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी से कुछ दस्तावेज मांगे गए वो नहीं मिले. उन दस्तावेज में जांच अवधि के दौरान की उपस्थिति रजिस्टर, वर्ष 2002 से लेकर वर्ष 2004-05 के बीच की सैलरी रजिस्टर, शेष कर्मचारियों के नियुक्ति पत्र, 2002-03 से लेकर 2007-08 के बीच का ट्रायल बायलेंस, बैंक डिटेल्स, कंपनी का एड्रेस एवं सैलरी से संबंधित जानकारी शामिल है. फैसले की कॉपी द लास्ट ब्रेकिंग के पास उपलब्ध है. ज्ञात हो कि इससे पहले सहारा इंडिया से जुड़ी अन्य कंपनियों पर भी बकाया राशि को लेकर ईपीएफओ आदेश जारी कर चुका है.
ज्ञात हो कि ईपीएफओ ने 30 मार्च 2021 को आदेश जारी कर सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड से 60 करोड़ 28 लाख 41 हजार 7 सौ सत्तर रुपये 15 दिनों के अंदर वसूल करने को कहा था. ईपीएफओ में कंपनी द्वारा जमा किए जाने वाली राशि को लेकर वर्ष 2012 में सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और पहली बार 28 सितंबर 2012 को नोटिस जारी कर सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड को ईपीएफओ की सुनवाई में शामिल होने के लिए 12 अक्टूबर 2012 को उपस्थित होने को कहा गया. इस मामले में 26 मार्च 2021 को अंतिम रिपोर्ट जमा की गई. द लास्ट ब्रेकिंग के पास उपलब्ध आदेश की कॉपी में इस बात का जिक्र है कि 8 वर्षों तक चली सुनवाई के दौरान सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड को 96 मौके दिए गए ताकि वो ईपीएफ में अपने हिस्से की जमा राशि को जमा कराये जाने का दस्तावेज प्रस्तुत कर सके. इस बीच 5 अक्टूबर 2017 को सुनवाई में उपस्थित नहीं रहने के कारण सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड के खिलाफ ईपीएफओ ने 8 साल सुनवाई की. अपने आदेश में ईपीएफओ ने कहा है कि सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड ने जानबूझकर अधूरी सैलरी सीट जमा कराई. ईपीएफओ की जांच के दौरान पाया कि बैलेंस सीट में जो जानकारी उपलब्ध कराई गई और सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड ने जो जानकारी दी, उन दोनों में काफी अंतर था. ईपीएफओ ने अपने आदेश में सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड को 60 करोड़ 28 लाख 41 हजार 7 सौ सत्तर रुपये 15 दिनों के अंदर जमा कराने को कहा. अगर 15 दिनों के अंदर सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड बकाया राशि जमा नहीं करती है तो उसके बाद ईपीएफओ बिना किसी पूर्व सूचना के वसूली की कार्रवाई कर सकती है.
15 फरवरी, 2021 को को भी ईपीएफओ ने सहारा इंडिया को एक आदेश जारी कर 1181 करोड़ रुपये का बकाया जमा कराने को कहा था. अब यह मामला अपीलीय प्राधिकरण में चल रहा है. इससे संबंधित आदेश की कॉपी द लास्ट ब्रेकिंग के पास उपलब्ध है.
सहारा इंडिया की ही एक और कंपनी सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को ईपीएफओ ने 62 करोड़ 48 लाख रुपये जमा कराने का आदेश दिया था. आपको बता दें कि 23 मार्च 2021 को सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ जारी किए गए आदेश में ईपीएफओ ने साफ-साफ कहा था कि सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने जांच में असहयोगात्मक रवैया अपनाया जिसके कारण यह मामला 7 साल 10 महीने चला. इस दौरान कई अफसर आएं और चले गए लेकिन सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को दिए गए 107 मौके पर कंपनी की ओर से सभी कागजात सहित कोई अधिकारी पेश नहीं हो पाया. सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 62 करोड़ 48 लाख रुपये जमा कराने के लिए 15 दिन का समय दिया गया. आदेश में साफ कहा गया है कि अगर दिए गए समय पर सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड अपना बकाया जमा नहीं कर पाती है तो ईपीएफओ ऐक्ट के तहत कार्रवाई होगी.
इससे पहले भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) ने सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 74 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था. इस आदेश की प्रति दी लास्ट ब्रेकिंग के पास भी मौजूद है. आप उसे यहां (Click Here) पढ़ सकते हैं. IRDA ने 30 दिसंबर 2020 को यह आदेश जारी किया था और कहा था कि तीन महीने के भीतर उपरोक्त रकम जमा कराए. IRDA ने वर्ष 2015 में सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विरूद्ध मामला दर्ज कर जांच शुरू किया था. इस मामले की पृष्ठभूमि में IRDA ने कहा कि 3 दिसंबर 2013 को 157 नये ऑफिस खोलने की अनुमति दी गई थी लेकिन एक भी ऑफिस नहीं खोले गए. 65फीसदी प्रिमियम नगद जमा कराए गए. IRDA ने 21 पेज के अपने आदेश में सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की सभी गतिविधियों को विस्तार से लिखा है.
सहारा इंडिया के खिलाफ अभी कई और मामले चल रहे हैं जिस पर फैसला आना बाकी है.
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