विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर, रूस से वापस आते हुए ईरान की राजधानी तेहरान भी जाएंगे. तेहरान में डॉक्टर जयशंकर की मुलाक़ात, ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ से होने की संभावना है.
External Affairs Minister S Jaishankar is likely to have stopover in Iran on Tuesday on his way to 4-day visit to Russia, where he is expected to hold bilateral meeting with his Chinese counterpart Wang Yi, people familiar with developments say
— Press Trust of India (@PTI_News) September 7, 2020
विदेश मंत्री, एस. जयशंकर, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के लिए दस सितंबर को रूस की राजधानी मॉस्को जाने वाले हैं. जहां, उनकी चीन के विदेश मंत्री वैंग यी से सीधी मुलाक़ात होने की भी संभावना है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर एक हफ़्ते के भीतर तेहरान जाने वाले दूसरे भारतीय मंत्री होंगे.
इससे पहले शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए मॉस्को गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी अचानक एक दिन के लिए तेहरान के दौरे पर गए थे.
Had a very fruitful meeting with Iranian defence minister Brigadier General Amir Hatami in Tehran. We discussed regional security issues including Afghanistan and the issues of bilateral cooperation . pic.twitter.com/8ZENfAgRPS
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 6, 2020
जबकि रक्षा मंत्री का ईरान जाने का कोई कार्यक्रम पहले घोषित नहीं हुआ था. तेहरान में राजनाथ सिंह की मुलाक़ात, ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल अमीर हातमी से हुई थी.
दोनों नेताओं ने अफ़ग़ानिस्तान समेत सुरक्षा के तमाम मसलों पर बातचीत की थी.
भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के संपर्क बढ़ाने में ईरान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. भारत ने ईरान को चाबहार बंदरगाह विकसित करने में मदद की है. जिसके ज़रिए, भारत का कई मध्य एशियाई देशों और अफ़ग़ानिस्तान से कारोबार होता है. क्योंकि, पाकिस्तान अपने यहां से होकर भारत को अफ़ग़ानिस्तान से कारोबार की इजाज़त नहीं देता.
हालांकि, ईरान ने जुलाई महीने में अपने चाबहार पोर्ट से अफ़ग़ानिस्तान के ज़ाहेदान तक रेल लाइन बिछाने के प्रोजेक्ट में भारत की भागीदारी को रद्द कर दिया था. जबकि, भारत के लिए चाबहार को अफ़ग़ानिस्तान से जोड़ने वाली ये रेलवे लाइन सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण थी. जो बिना पाकिस्तान से गुज़रे हुए भारत को अफ़ग़ानिस्तान से कारोबार करने का अवसर देती. क़रीब 628 किलोमीटर लंबी इस रेलवे लाइन को ईरान ने ख़ुद से बनाने का फ़ैसला किया है.
कहा जा रहा है कि ईरान ने ऐसा अमेरिका के इशारे पर किया. लेकिन, भारत ने चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे प्रोजेक्ट को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए, इस ख़बर को ग़लत बताया कि ईरान ने प्रोजेक्ट में भारत की हिस्सेदारी रद्द कर दी है.
भारत और ईरान के रिश्ते उस समय ख़राब होने लगे थे, जब अमेरिका के दबावा में भारत ने ईरान से तेल ख़रीदना बिल्कुल बंद कर दिया. अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण, ईरान की आर्थिक स्थिति काफ़ी ख़राब है. ऐसे में वो भारत को तेल बेच कर कुछ कमाई कर पा रहा था. भारत जिन देशों से तेल ख़रीदता है, ईरान हमेशा ही उनमें से टॉप तीन देशों में रहा था. लेकिन, अमेरिका के दबाव के चलते, भारत ने ईरान से तेल ख़रीदना बंद कर दिया.
ईरान के चाबहार बंदरगाह में भारत अभी भी हिस्सेदार है. और इसके ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान को सामान की सप्लाई करता है. लेकिन, ईरान पर बढ़ते दबाव के चलते आशंका जताई जा रही है कि कहीं ईरान इस प्रोजेक्ट में भारत की भागीदारी को न ख़त्म कर दे.
पहले रक्षा मंत्री और अब विदेश मंत्री जयशंकर के प्रस्तावित तेहरा दौरे से साफ़ है कि ईरान, भारत के लिए सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है. और सेंट्रल एशिया पहुंचने का गेटवे भी. इसे देखते हुए ईरान से दोस्ती मज़बूत करने के लिए एक हफ़्ते के भीतर भारत के दूसरे मंत्री ईरान का दौरा करेंगे.
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