एनसीपी नेता शरद पवार (Sharad Pawar) ने शुक्रवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार ने जल्द से जल्द फैसला नहीं लिया तो कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर चला रहा किसानों का प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा, जो पहले से भी अधिक प्रबल हो सकता है. इसी के साथ उन्होंने यह भी किहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहा किसानों का प्रदर्शन देश के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है.
एनसीपी मुख्यिा शरद पवार के मुताबिक, "मेरी सूचना के मुताबिक आज बड़ी संख्या में किसान 700 ट्रैक्टरों के साथ प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं. चूंकि केंद्र सरकार का पक्ष स्पष्ट नहीं है तो ऐसे में विरोध-प्रदर्शन लंबा चल सकता है और आने वाले दिनों में यह अधिक प्रबल हो जाएगा. अभी तो यह दिल्ली की सीमाओं तक सीमित है, लेकिन आगे यह देश के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है. मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि वे किसानों के धैर्य की परीक्षा न लें और इस पर जल्द से जल्द फैसला कर लें."
मुंबई के नरीमन प्वॉइंट में वाईबी चव्हाण सेंटर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए शरद पवार ने हालात के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, "विपक्षी दलों ने सरकार से कहा था कि किसान विरोध में उतर आएंगे इसलिए वह हड़बड़ी में बिल पारित न करे. लेकिन सरकार ने कुछ नहीं सुना और बिना चर्चा 15 से 20 मिनट के अंदर-अंदर तीनों बिल पास कर दिए."
शरद पवार ने बुधवार को राहुल गांधी समेत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के अन्य नेताओं के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ मुलाकात कर किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिए कृषि कानून वापस लिए जाने की गुहार लगाई थी.
आपको बता दें कि इससे पहले शरद पवार ने संसद भवन में उपवास कर रहे राज्य सभा के उन आठ सांसदों के साथ एक दिन का उपवास रखा था, जिनकी सदस्या को निरस्त कर दिया गया था. उपवास पर बैठे राज्य सभा सांसदों ने कृषि कानूनों का विरोध किया था.
उधार, बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई का कहना है कि शरद पवार की बातों से एक बार फिर उनकी कलई खुल गई है क्योंकि वह उन लोगों में से एक हैं जो बतौर कृषि मंत्री इन कानूनों को लाना चाहते थे. बीजेपी प्रवक्ता माधव भंडारी के मुताबिक, "उनका दोहरा चेहरा उस वक्त लोगों के सामने आ गया था जब हमने कृषि मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्रियों को भेजी गई उनकी चिट्ठियों की कॉपी साझा की थी. केंद्र उन्हीं कृषि सुधारों को लेकर आया है जिनकी पैरवी शरद पवार 2005 से करते आ रहे हैं. वह विरोध की राजनीति कर रहे हैं. किसान और जनता इस बात को बहुत अच्छी तरह जानते हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ सालों में कृषि सुधारों को महाराष्ट्र में लागू किया गया, जिनका फायदा किसानों को मिल रहा है.
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