केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों (New Farm Laws) का विरोध कर रहे किसान सोमवार को फिर से भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. कृषि कानूनों का विरोध करते हुए किसानों को 25 दिन हो चुके हैं. सरकार से 6 दौर की बात भी हुई है लेकिन ये बातचीत अभी तक बेमानी ही रही है. किसान अपनी मांगों पर डटे हैं. उनका साफ कहना है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेगी उनका प्रदर्शन जारी रहेगा और गुजरते वक्त के साथ प्रदर्शन और भी तेज होगा. इसके साथ ही किसानों ने घोषणा की है कि 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा के टोल पर कोई भी किसान टोल अदा नहीं करेगा.
भारतीय किसान यूनियन के नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है हम दिल्ली अपने हक़ और मसले का हल ढूंढने के लिए पहुंचे हैं. जब तक हमें हमारा हक़ नहीं मिल जाता हम यहां से नहीं हिलेंगे. 23 दिसंबर का दिन किसान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. सभी किसान इस साल किसान दिवस को भूख हड़ताल करके मनाएंगे.
प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि इस आंदोलन में अब तक करीब 33 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. किसानों ने उन सभी किसानों को रविवार को श्रद्धांजलि दी. कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ किसानों के एक दल ने मीटिंग भी की. साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की गई कि 27 दिसंबर को जब पीएम मोदी 'मन की बात' करेंगे, किसान थाली बजाएंगे.
भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह डालेवाल ने कहा, "हम सभी से अपील करते हैं कि वो अपने घरों में उतनी देर ताली बजाएं जितनी देर पीएम मोदी अपने कार्यक्रम में बोलें."
किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक संयुक्त खुला पत्र लिखा है जिसमें किसानों ने विपक्ष के गुमराह करने के आरोपों को लेकर नाराजगी जताई है. ये खत प्रधानमंत्री के आरोपों और कृषि मंत्री की चिट्ठी के जवाब में है.
एक तरफ जहां किसान नए कृषि कानून के खिलाफ सर्दी में भी सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ किसान इन कानूनों का समर्थन भी कर रहे हैं. रविवार को पश्चिमी यूपी के किसानों ने कृषि भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और नए कानूनों का समर्थन करते हुए ज्ञापन सौंपा. मेरठ से हिंद मजदूर किसान समिति के किसान और सदस्य केंद्र के 3 कृषि कानूनों के समर्थन में यूपी गेट पर चल रहे धरने में शामिल होने के लिए अपने ट्रैक्टर से निकले. और कृषि कानूनों के समर्थन में ट्रैक्टर मार्च निकाला.
सरकार और धरने पर बैठे किसानों के बीच 6 दौर के बाद वार्ता बंद है, ऐसे में अब आंदोलन लंबा चलने के आसार हैं. और आंदोलन जारी रखने के लिए नई रणनीति बनाई गई है. किसानों ने तय किया है कि किसान ठियाबंदी कर आपस में दिन बांट लें. जिससे की किसान यूपी गेट पर भी रहें और खेत में भी जरूरत के वक्त पहुंच सकें.
किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानीं तो 26 जनवरी को दिल्ली में घुसकर राजपथ को किसान पथ बनाएंगे.
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