जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से अनुच्छेद 370 लागू होगा. वो भी चीन की मदद से. इंडिया टुडे से बातचीत में फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने कहा कि चीन आज जिस तरह सीमा पर भारत को चुनौती दे रहा है, उससे साफ़ है कि उसे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना क़तई मंज़ूर नहीं. और आख़िर में कश्मीर का अवाम, चीन की इस मदद से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A को दोबारा लागू कराने में सफल रहेगा.
फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की हरकतों का सीधा संबंध अनुच्छेद 370 हटाने से है. पिछले महीने चीन के विदेश मंत्रालय ने भी इसका संकेत दिया था, जब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि भारत ने लद्दाख को लेकर जो संवैधानिक बदलाव किए हैं, वो उसे मंज़ूर नहीं हैं. चीन ने भारत के साथ सीमा के लिए 1959 में अपने प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई द्वारा प्रस्तावित एक काल्पनिक रेखा का भी हवाला दिया था. जिसे भारत ने नकार दिया था.
फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र की सरकार को अनुच्छेद 370 और 35A हटाने के अपने फ़ैसले को चीन के दबाव में वापस लेने को राज़ी होना पड़ेगा. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर भी अब्दुल्ला ने पीएम नरेंद्र मोदी पर अटैक किया. फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने कहा कि मोदी ने शी जिनपिंग को झूला झूलने के लिए भारत बुलाया था. लेकिन, चीन की सेना तो पूरी ताक़त से इंडिया में ही आ घुसी.
एनडीए सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला संविधान का अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का एलान किया था. इस बारे में संसद से पारित संविधान संशोधन क़ानून 31 अक्टूबर को लागू हुआ था. जिसके तहत जम्मू-कश्मीर का विभाजन करके उसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नाम से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था.
सरकार के फ़ैसले के बाद फ़ारुक़ अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, एक और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती समेत कई नेताओं को गिरफ़्तार करके नज़रबंद कर दिया गया था. लेकिन, बाद में फ़ारुक़ अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को केंद्र सरकार ने रिहा कर दिया था. हालांकि, महबूबा मुफ़्ती अभी भी नज़रबंद ही हैं.
वहीं, चीन ने इस साल मई महीने में वास्तविक नियंत्रण रेखा के इस पार आकर डेरा जमाने की कोशिश की थी. 15 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच सीधी भिड़ंत हो गई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे. उसके बाद से ही सीमा पर तनाव बना हुआ है. दोनों देशों ने पचास पचास हज़ार से भी ज़्यादा सैनिक और हथियार, गोला-बारूद सीमा पर तैनात कर रखा है.
तनाव कम करने के लिए चीन और भारत के कोर कमांडर्स की 6 राउंड की बैठकें भी हो चुकी हैं. मगर, इनका कोई नतीजा नहीं निकला. भारत और चीन के कोर कमांडर्स की अगली बैठक 12 अक्टूबर को होने की संभावना है.
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