पाकिस्तान 2021 तक फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में ही रहेगा. एफएटीएफ की बैठक में समीक्षा की गई कि पाकिस्तान चरमपंथी संगठनों की फंडिंग समेत आतंकवाद को रोकने में पूरी तरह असफल रहा है. पाकिस्तान एफएटीएफ के एक्शन प्लान के सभी 27 मापदंडों का पालन करने में पूरी तरह असफल रहा है. इसी के चलते पाकिस्तान को अभी ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला लिया गया है.
21 completed out of 27 point action plan of FATF. 6 outstanding items listed here are "serious deficiencies". Number 3 is on lack of implementation of financial sanctions on UN listed terrorist. pic.twitter.com/ijPyheyJuU
— Sidhant Sibal (@sidhant) October 23, 2020
इस समय पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार विपक्ष के कड़े तेवरों का सामना कर रही है ऐसे में एफएटीएफ़ की तरफ़ से पाकिस्तान को एक बड़ा झटका मिला है तो विपक्ष को इमरान सरकार पर घेरा तंग करने का एक बड़ा मौक़ा. पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने से उसके लिए आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद हासिल करना मुश्किल हो जाएगा. देश की अर्थव्यवस्था पहले से खस्ताहाल है.
पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था. फ़रवरी 2020 में हुई एफएटीएफ की बैठक में कहा गया था कि पाकिस्तान 27 मांपदंडों में से सिर्फ़ 14 पर ही खरा उतरा है. बाकी 13 शर्तें पूरी करने के लिए पाकिस्तान को चार महीने का और समय दिया गया था. इसके आधार पर ही एफ़एटीएफ़ को फैसला करना था कि पाकिस्तना को ग्रे लिस्ट से निकाला जाए या नहीं. लेकिन पाकिस्तान इस शर्तों को पूरा करने में पूरी तरह नाकाम रहा है.
मीटिंग में तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देने की भरपूर कोशिश की. एफएटीएफ प्लेनरी में तुर्की ने प्रस्ताव दिया कि 27 में से 6 मापदंडों को पूरा करने के लिए इंतजार करने की बजाय सदस्य देशों को पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए. साथ ही एक एफएटीएफ ऑन-साइट टीम को अपने मूल्यांकन को अंतिम रूप देने के लिए पाकिस्तान का दौरा करना चाहिए.
वहीं FATF के चेयरमैन मार्क्स पेलर ने कहा कि पाकिस्तान ने जिन 6 बिंदुओं का पालन नहीं किया है, वो बेहद गंभीर प्वाइंट हैं. इन प्वाइंट में जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और संगठन के ऑपरेशनल कमांडर जाकि-उर-रहमान लखवी जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित सभी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है. लेकिन पाकिस्तान ने इस दिशा में काम नहीं किया. पाकिस्तान को शेष 6 शर्तों का पालन करने के लिए भरपूर समय भी दिया गया लेकिन पाकिस्तान इसमें असफल रहा.
अभी भी पाकिस्तान को सभी शर्तों का पालन करने के लिए फरवरी 2021 तक का समय दिया जा रहा है. जब तक पाकिस्तान उन शर्तों का पालन नहीं करेगा वो ग्रे लिस्ट से नहीं निकलेगा.
तुर्की का प्रस्ताव जब 38 सदस्यों वाली प्लेनरी के सामने रखा गया तो किसी भी सदस्य देश ने प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी. यहां तक कि पाकिस्तान का सबसे सच्चा दोस्त कहे जाने वाला देश चीन, उसने भी इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया.
Leave Your Comment