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भारतीय वायु सेना में शामिल हुआ लड़ाकू विमान 'राफेल'

Fauzia

अंबाला 10 Sep, 2020 02:15 pm

भारतीय वायुसेना में राफेल लड़ाकू विमान औपचारिक रुप से शामिल हो गया है. जुलाई के अंतिम सप्‍ताह में राफेल विमान भारत आ गया था. आज पूरी प्रक्रिया के साथ इसे वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया.

भारतीय वायुसेना के लिए गेम चेंजर कहा जाने वाला राफेल लड़ाकू विमान गुरुवार को अंबाला एयरबेस पर वायुसेना में शामिल हो गया. सुबह 10 बजे से आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली, सीडीएस जनरल विपिन रावत और एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया मौजूद थें. पार्ली के साथ फ्रांस के रक्षा अधिकारी और डिफेंस इंडस्ट्री का डेलिगेशन भी भारत आया हुआ है. चीन से जारी तनाव के बीच ये किसी बड़े विदेशी नेता की पहली भारत यात्रा है.

आपको बता दें अंबाला में फ्रांस से पांच राफेल विमान जुलाई के अंतिम सप्‍ताह में भारत पहुंच गए थे. अगले दो सालों में वायुसेना में राफेल के दो स्क्वाड्रन में 36 विमान शामिल होंगे. राफेल 17वें स्क्वाड्रन 'दि गोल्डेन एरोज' का हिस्सा होगा. 

राफेल के औपचारिक रूप से शामिल होते ही वायुसेना की ताकत बहुत बढ़ जाएगी और चीन की मौजूदा चुनौती से निपटने में आसानी होगी. अंबाला एयरबेस सामरिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण एयरबेस है. जगुआर और मिग 21 विमान भी यहीं रखे गए हैं. राफेल का पहला स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरा पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगा. राफेल अंबाला से पाकिस्तान पर और हाशिमारा से चीन पर नजर रखेगा.

राफेल दुनिया के आधुनिकतम लड़ाकू विमानों में से एक है. इसकी टक्कर का विमान न तो चीन के पास है, न ही पाकिस्तान के पास. राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं. और इसकी मारक क्षमता 3700 किलोमीटर तक है. इसकी स्पीड 2450 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यानी ध्वनि की गति से दोगुनी ज़्यादा रफ्तार से राफेल हवा में परवाज़ करता है. इनके सेंसर दुश्मन के विमान को दूर से ही पहचान सकते हैं और कुछ सेकेंड में 360 डिग्री घूम कर हमला करने की क्षमता रखते हैं. इसमें लगी स्कैल्प मिसाइल लंबी दूरी तक मार सकती है.

इसमें ग्लास कॉकपिट है. इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है. इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है. राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है. इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है. इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है.

भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल फाइटर जेट की डील की थी. 36 में से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे. ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे.

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