दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की साइबर क्राइम सेल ने स्वीडन की क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) द्वारा किसान आंदोलन पर शेयर किए गए टूलकिट (Toolkit) को बनाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर में इस टूल किट के क्रिएटर्स के खिलाफ देशद्रोह, आपराधिक षड्यंत्र और नफरत फैलाने जैसे आरोप लगाए गए हैं. आपको बता दें कि मंगलवार देर रात ग्रेटा ने ट्विटर पर सीएनएन की एक रिपोर्ट शेयर करते हुए लिखा कि हम भारत के किसान आंदोलन के प्रति एकजुटता दिखाते हैं. इसके बाद उन्होंने बुधवार देर रात सोशल मीडिया पर टूलकिट नाम का एक डॉक्यूमेंट शेयर किया. थोड़ी देर बाद उन्होंने उसे डिलीट कर अपडेट टूलकिट शेयर की. थनबर्ग ने ट्वीट तो डिलीट कर दिया, लेकिन उससे पहले ही भारत में कई लोगों ने उनकी पोस्ट के स्क्रीनशॉट ले लिए थे, जो जल्दी ही वायरल हो गए. अब इस टूलकिट के कारण ही विवाद बढ़ा है.
Here’s an updated toolkit by people on the ground in India if you want to help. (They removed their previous document as it was outdated.)#StandWithFarmers #FarmersProtesthttps://t.co/ZGEcMwHUNL
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) February 3, 2021
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर रैली के दौरान 26 जनवरी को हुई हिंसा समेत किसान आंदोलन से जुड़े सिलसिलेवार घटनाक्रम ग्रेटा द्वारा शेयर किए टूलकिट की हू-ब-हू कॉपी हैं. क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी प्रवीर रंजन के मुताबिक प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट कर जो टूलकिट शेयर किया था उसका संबंध खालिस्तान समर्थक ग्रुप पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (Poetic Justice Foundation) से है. आपको बता दें कि इस संस्था के सह-संस्थापकों में स्वयंभू खालिस्तान समर्थक मो धालीवाल (Mo Dhaliwal) का नाम शामिल है. धालीवाल कनाडा के वैंकूवर में रहता है.
यह पूछे जाने पर कि एफआईआर में थनबर्ग का नाम है कि नहीं, इस पर रंजन ने कहा कि अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. उनके मुताबिक, "हमने किसी का नाम नहीं लिया है. यह सिर्फ टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ है, जो कि जांच का मामला है."
दिल्ली पुलिस की एफआईआर के बाद ग्रेटा ने एक और ट्वीट किया और कहा, "मैं अब भी किसानों के साथ खड़ी हूं. कोई डर या धमकी इसे बदल नहीं सकता."
I still #StandWithFarmers and support their peaceful protest.
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) February 4, 2021
No amount of hate, threats or violations of human rights will ever change that. #FarmersProtest
दरअसल, टूलकिट एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जिसमें आमतौर पर यह बताया जाता है कि आंदोलन के दौरान सोशल मीडिया पर समर्थन कैसे जुटाया जाए, किस तरह के हैशटैग का इस्तेमाल किया जाए, प्रदर्शन के दौरान अगर कोई दिक्कत आए तो कहां संपर्क किया जाए? इस दौरान क्या करें और क्या करने से बचें?
ग्रेटा ने पहले जो टूलकिट शेयर किया था उसके कवर पर हेडिंग थी- "क्या आप मानवता के इतिहास की सबसे बड़े प्रोटेस्ट का हिस्सा होंगे?" इसके साथ हैशटैग थे '#AskIndiaWhy' और "ग्लोबल फार्मर्स स्ट्राइक - फर्स्ट वेव". इसके साथ ही यह भी लिखा गया था, "भारत के कमज़ोर होते लोकतंत्र (फासीवादी सत्तारूढ़ पार्टी, आरएसएस-भाजपा के इशारे पर) के खिलाफ खड़े होने के लिए" और "कृषि क्षेत्र के अनियमित कॉर्पोरेटाइजेशन के खिलाफ खड़े होने के लिए.
टूलकिट में बताया गया था कि अगर कोई किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने का इच्छुक है तो उसे #FarmersProtest और #StandWithFarmers का इस्तेमाल करना है. इसके साथ ही एक्शन लेने के लिए अपने सरकारी प्रतिनिधि को कॉल या मेल करने, ऑनलाइन पिटिशन साइन करने जैसी सलाह दी गई थी.
इस टूलकिट में लोगों को 13/14 फरवरी को नजदीकी भारतीय दूतावास, मीडिया हाउस या स्थानीय सरकारी दफ्तरों के पास जाकर प्रदर्शन करने की सलाह दी गई थी. साथ ही इसमें "अडानी और अंबानी जैसे एकाधिकारवादियों" से दूरी बनाने की बात भी कही गई थी.
इस टूलकिट में कुछ हेडिंग इस तरह थीं- "भारत की 'योगा और चाय' की छवि को तोड़ना", "26 जनवरी को प्रवासी भारतीयों में संगठित वैश्विक हंगामा", "कृषि कानूनों को निरस्त करना".
उधर, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा कि टूलकिट का मामला काफी गंभीर है और कुछ विदेशी ताकतें भारत के खिलाफ साजिश रच रही है. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया कि थनबर्ग के डिलीट किए ट्वीट से भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रची गई साजिश के असली डिजाइन का पता चलता है.
गौरतलब है कि इससे पहले पिछले साल भी एक टूलकिट बहुत वायरल हुआ था. उस वक्त अमेरिका में एक गोरे पुलिसवाले ने एक अश्वेत की सड़क पर गला दबाकर हत्या कर दी थी. इस घटना के खिलाफ 'ब्लैक लाइफ मैटर' कैंपेन शुरू हुआ था. भारत समेत दुनियाभर के लोगों ने इस घटना का विरोध किया और इस कैंपेन को चलाने वालों ने एक टूलकिट तैयार किया था, जिससे आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों को आसानी हो. उस टूलकिट में भी बताया गया था कि आंदोलन कैसे करें, कहां जाएं, किससे संपर्क करें, कैसे कपड़े पहनें, पुलिस सामने आ जाए तो क्या करें, पुलिस पकड़ ले तो क्या कहना है, क्या करना है और आपके अधिकार क्या है जैसी जानकारी दी गई थी.
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