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विदेश मंत्रालय ने साफ कहा, 1959 में चीन द्वारा प्रस्तावित सीमा को नहीं मानता भारत

Suresh Kumar

नई दिल्‍ली 30 Sep, 2020 10:15 am

भारत ने कहा है कि वो 1959 में चीन द्वारा प्रस्तावित सीमा रेखा को बिल्कुल भी नहीं मानता है. तब भी भारत ने चीन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. और आज भी इंडिया का स्टैंड वही है.

भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन को सलाह दी है कि वो इकतरफ़ा तरीक़े से दोनों देशों के बीच की सीमा को बदलने की कोशिश न करे, क्योंकि भारत ऐसी किसी भी कोशिश को स्वीकार नहीं करेगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि चीन ने पिछले कुछ महीनों के दौरान कई बार वास्तविक नियंत्रण रेखा के इस पार घुसपैठ करने की कोशिश की, ताकि वो यथास्थिति को बदल सके. लेकिन, भारतीय सैनिकों ने चीन की इस साज़िश को नाकाम कर दिया है. विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि चीन, दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की कोशिश करेगा.

विदेश मंत्रालय की ये प्रतिक्रिया चीन के उस बयान के बाद आई है, जिसमें चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वैंग वेनबिन ने कहा था कि चीन 1959 की सीमा रेखा को ही दोनों देशों के बीच वास्तविक सीमा मानता है. चीन के उस समय के प्रधानमंत्री चाऊ एन-लाई ने 7 नवंबर 1959 को भारत के उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को लिखी चिट्ठी में दोनों देशों के बीच की सीमा को स्थायी बनाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन, उस समय भी भारत ने चीन के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश मानने से भी इनकार करते हुए कहा कि भारत ने जो भी संवैधानिक बदलाव किए हैं, वो चीन को स्वीकार नहीं हैं. चीन ने, लद्दाख में फारवर्ड इलाक़ों में भारत द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्यों को लेकर भी ऐतराज़ जताया है.

जबकि, ख़ुद चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सड़कों, पुलों और सैनिक अड्डों का निर्माण कर लिया है. चीन ने 1950-51 के दौरान तिब्बत पर अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर लिया था. जिसके बाद ही भारत और चीन के बीच ये सीमा बनी. वरना इससे पहले ये भारत और तिब्बत के बीच की सीमा हुआ करती थी. भारत और चीन के बीच मैक्मोहन लाइन अंग्रेज़ों के समय में 1914 के शिमला समझौते के तहत तय हुई थी. हालांकि, चीन ये सीमा रेखा मानने से इनकार करता रहा है. चीन बार-बार 1959 में चाऊ एन-लाई द्वारा प्रस्तावित सीमा रेखा को ही भारत और चीन के बीच बॉर्डर मानने पर ज़ोर देता आया है.

लेकिन, भारत का कहना है कि तिब्बत पर चीन के अतिक्रमण और क़ब्ज़े से पहले तिब्बत ने एक स्वतंत्र देश के तौर पर मैक्मोहन लाइन को मान्यता दी थी और भारत उसी सीमा को वास्तविक सीमा रेखा मानता है.

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