भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. यह जानकारी ट्वीटर के जरिए उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने दी. प्रणब मुखर्जी काफी समय से दिल्ली के सैन्य अस्पताल में भर्ती थें. आज सुबह ही जानकारी आई थी कि उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है और वो गहरे कोमा में हैं. पिछले कई दिनों से उनकी स्थिति स्थिर बनी हुई थी. प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, और हाल ही में उनकी ब्रेन सर्जरी भी हुई थी. उनके ब्रेन में खून के थक्के जम गए थे.
With a Heavy Heart , this is to inform you that my father Shri #PranabMukherjee has just passed away inspite of the best efforts of Doctors of RR Hospital & prayers ,duas & prarthanas from people throughout India !
— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) August 31, 2020
I thank all of You 🙏
प्रणब मुखर्जी सभी दलों में मान्य थें. विपक्षी पार्टियां भी उनकी प्रशंसक रही. कई ऐसे मौके आए जब कांग्रेस को संभालने की जरुरत हुई प्रणब मुखर्जी आगे आए और कांग्रेस पार्टी को संभाला. चाहे अन्ना आंदोलन के समय सरकार को संभालने की बात हो या दिल्ली में उस दौरान चल रहे अन्य आंदोलन को लेकर सरकार का पक्ष लोगों के सामने रखना हो, वे हरदम आगे रहें.
प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी. रामनाथ कोविंद ने ट्वीट में लिखा कि प्रणब मुखर्जी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ. उनका जाना एक युग का अंत है. प्रणब मुखर्जी ने देश की सेवा की, आज उनके जाने पर पूरा देश दुखी है.
पूर्व राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के स्वर्गवास के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा। उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है। श्री प्रणब मुखर्जी के परिवार, मित्र-जनों और सभी देशवासियों के प्रति मैं गहन शोक-संवेदना व्यक्त करता हूँ।
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 31, 2020
असाधारण विवेक के धनी, भारत रत्न श्री मुखर्जी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम था. 5 दशक के अपने शानदार सार्वजनिक जीवन में, अनेक उच्च पदों पर आसीन रहते हुए भी वे सदैव जमीन से जुड़े रहे. अपने सौम्य और मिलनसार स्वभाव के कारण राजनीतिक क्षेत्र में वे सर्वप्रिय थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है. अपने श्रद्धांजलि में उन्होंने लिखा कि 2014 में मैं दिल्ली में नया था. पहले दिन से ही मुझे उनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त हुआ. पीएम मोदी ने अपने संदेश में लिखा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने राष्ट्रपति भवन को आमजनों की और पहुंच में बनाया. उन्होंने राष्ट्रपति भवन को नवाचार, संस्कृति, विज्ञान, साहित्य आदि का केंद्र बनया. उनका जाना राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है.
India grieves the passing away of Bharat Ratna Shri Pranab Mukherjee. He has left an indelible mark on the development trajectory of our nation. A scholar par excellence, a towering statesman, he was admired across the political spectrum and by all sections of society. pic.twitter.com/gz6rwQbxi6
— Narendra Modi (@narendramodi) August 31, 2020
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि प्रणब मुखर्जी को देश के हर तबके का सम्मान प्राप्त था. उनका निधन एक निजी क्षति है, जिनके पास सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र का ज्ञान था. राजनाथ सिंह ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी का जीवन बेहद साधारण था, इसी तरह उन्होंने देश की सेवा की.
Deeply anguished by the demise of former president of India, Shri Pranab Mukherjee ji. He was widely respected by the people across all sections of society.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 31, 2020
His demise is a personal loss. He had tremendous knowledge of India’s history, diplomacy, public policy and also defence.
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने लिखा कि भारत रत्न प्रणब मुखर्जी एक शानदार नेता थे, जिन्होंने देश की सेवा की. प्रणब जी का राजनीतिक करियर पूरे देश के लिए गर्व की बात है. अमित शाह ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी ने अपने जीवन में देश की सेवा की, उनके निधन के बाद देश के सार्वजनिक जीवन को बड़ी क्षति हुई है.
Deeply anguished on the passing away of former President of India, Bharat Ratna Shri Pranab Mukherjee ji. He was a vastly experienced leader who served the nation with utmost devotion. Pranab da’s distinguished career is a matter of great pride for the entire country.
— Amit Shah (@AmitShah) August 31, 2020
प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) का जन्म 11 दिसंबर 1935 बीरभूम जिले के मिरती गांव में 11 दिसंबर, 1935 को हुआ था. प्रणब मुखर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की थी. वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी रह चुके थे. उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त है. उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया.
उनका राजनीतिक सफर 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में (उच्च सदन) शुरू हुआ था. सन 1984 में वह भारत के वित्त मंत्री बने. सन 1984 में, यूरोमनी पत्रिका के एक सर्वेक्षण में वह दुनिया के पांच सर्वोत्तम वित्त मंत्रियों में शामिल थे. प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद राजीव गांधी की समर्थक मंडली के षड्यन्त्र के शिकार हुए जिसने इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया. कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया. उस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया, लेकिन सन 1989 में राजीव गांधी के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने अपने दल का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया.
पी.वी. नरसिंह राव ने उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में और बाद में एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया. उन्होंने राव के मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया. 1997 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद चुना गया. मनमोहन सिंह की दूसरी सरकार में मुखर्जी भारत के वित्त मंत्री बने. इस पद पर वे पहले 1980 के दशक में भी काम कर चुके थे. 6 जुलाई 2009 को उन्होंने सरकार का वार्षिक बजट पेश किया. प्रणब मुखर्जी 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे हैं.
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