किसान आंदोलन का 18वां दिन. सरकार आंदोलन को समाप्त करने के प्रयास में जुटी है लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं. नये कृषि कानूनों में बदलाव को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों का साथ देने के लिए राजस्थान से किसानों का एक जत्था दिल्ली की तरफ आ रहा था जिसे हरियाणा पुलिस ने रेवाड़ी बॉर्डर पर रोक लिया है. इन किसानों की योजना है कि वे सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर की तरह ही दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम कर दे. फिलहाल इन किसानों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे को बंद कर दिया है. किसानों के इस समूह में योगेन्द्र यादव और मेधा पाटकर शामिल है.
आज देश का किसान प्रधानमंत्री जी से कह रहा है कि बहुत शुक्रिया, लेकिन अपनी ये सौगात (किसान विरोधी कानून) वापस ले लीजिए। मेहरबानी करके हमें वही दीजिए जिसकी हमें ख्वाहिश है, हम अपनी उपज का वाजिब दाम चाहते हैं।
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) December 13, 2020
हरियाणा बॉर्डर (रेवाड़ी) पर किसानों के मार्च को रोका गया है।#DilliChalo pic.twitter.com/F2F47PQoTF
राजस्थान से आए किसानों की टोली में शामिल योगेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार की कोशिश ये है कि कृषि को प्राइवेट सेक्टर के हवाले करके अपने हाथ झाड़ ले. आज की सचाई यह है कि हमारी कृषि नीति ही किसान विरोधी है. योगेन्द्र यादव ने कहा कि किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष में अब उत्तर, पश्चिम और पूर्व के बाद अब दक्षिण का चौथा मोर्चा भी खुल गया है. राजस्थान से आए किसानों को रेवाड़ी बॉर्डर पर रोक दिया गया है.
किसान आंदोलन पर सरकार के रवैये से नाराज योगेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार को अपने अंदर झांकना चाहिए, अहंकार से निकलना चाहिए. सरकार कहती है कि किसान अड़ा हुआ हैं, जबकि सरकार अड़ियल रवैया अपनाए हुई है.
योगेन्द्र यादव का कहना है कि ये आंदोलन आज से नहीं चल रहा है. उन्होंने कहा कि जबसे किसान बिल पास हुआ तब से किसान इसका विरोध कर रहे हैं. अब दिल्ली के बॉर्डर पहुंच गए हैं तो लोगों को लग रहा है कि कैसे चलेगा. उन्होंने कहा कि किसान अपनी तैयारी करके आए हैं. योगेन्द्र यादव ने कहा कि किसानों का और हम सबका एक ही कहना है कि हमें शांति के साथ अपनी बात रखनी है. हमें किसी हिंसा का सहारा नहीं लेना है. शांति के जरिए ही हर बात का हल निकालना है.
सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि किसानों पर ये कानून किसे खुश करने के लिए थोपे गए हैं? जिन लोगों की वजह से ये कानून लाया गया है इस आंदोलन में किसान उनका नाम ले रहे हैं. योगेन्द्र यादव ने कहा कि इस कानून का मकसद कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाना है, नहीं तो फिर इस कानून की अचानक जरूरत क्यों पड़ गई. योगेन्द्र यादव ने सवाल पूछा कि एग्री बिजनेस में कौन है, फार्म से जुड़े आउटलेट किसके हैं? किसानों के मान के स्टोरेज का काम कौन करता है? जो करता है उसका नाम आंदोलन में ले रहे हैं किसान.
इससे पहले शनिवार को पंजाब और हरियाणा समेत दिल्ली हाईवे पर स्थित टोल प्लाजाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कब्जा कर लिया. उन्होंने यहां से गुजर रहे वाहनों को बिना कोई शुल्क दिए गुजरने दिया. करनाल में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर बस्तरा टोल प्लाजा और करनाल-जींद राष्ट्रीय राजमार्ग 709-ए पर पिऑन्ट टोल प्लाजा को बंद कर दिया.
उधर हरियाणा में बीजेपी की सहयोगी जेजेपी के नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की.
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है. उन्होंने शनिवार को फिक्की की 93वीं वार्षिक आम बैठक में कहा, "एग्रीकल्चर सेक्टर और उससे जुड़े अन्य सेक्टर जैसे एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर हो, फूड प्रोसेसिंग हो, स्टोरेज हो, कोल्ड चैन हो इनके बीच हमने दीवारें देखी हैं. अब सभी दीवारें हटाई जा रही हैं, सभी अड़चनें हटाई जा रही हैं." पीएम मोदी ने कहा, ''रिफॉर्म्स के बाद किसानों को नए बाजार मिलेंगे, नए विकल्प मिलेंगे, टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा, देश का कोल्ड स्टोरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर आधुनिक होगा. इन सबसे कृषि क्षेत्र में ज्यादा निवेश होगा. इन सबका सबसे ज्यादा फायदा देश के किसान को होने वाला है. आज भारत के किसानों के पास अपनी फसल मंडियों के साथ ही बाहर भी बेचने का विकल्प है.''
इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों और कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने के लिए केंद्र सरकार चौतरफा प्रयास कर रही है और इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अहम कदम उठाए गए हैं, जिनका लाभ किसानों को मिलना शुरू भी हो गया है.
फिलहाल किसानों को कृषि मंत्री और प्रधान मंत्री के बयानों पर भरोसा नहीं है. वो अपनी मांगों पर अडिग है और सरकार अपने कानून पर. दिल्ली के बॉर्डर पर किसान डेरा डाले हुए हैं और सड़के जाम है. अब देखना ये है कि सरकार आखिर कब तक इस आंदोलन को समाप्त कराने में कामयाब होती है.
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