वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी को आईना दिखाते हुए चेताया है कि पार्टी को फाइव स्टार कल्चर छोड़ना होगा. उन्होंने पार्टी के काम के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर कांग्रेस पार्टी अगले पचास सालों तक विपक्ष में ही बैठी रह जाएगी. गुलाम नबी आज़ाद ने पार्टी को याद दिलाया कि पिछले 72 साल में कांग्रेस अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. यहां तक कि पिछले दो कार्यकाल में पार्टी के पास लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है.
कांग्रेस पार्टी की ख़स्ता हालत को देखकर वरिष्ठ नेता गुलाम नबी काफी आहत हैं. पार्टी का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है. बिहार विधान सभा चुनाव और उसके साथ होने वाले उपचुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन शर्मनाक रहा है. गुलाम नबी ने कहा कि हमारे साथ जुड़ी पार्टियों को भी हमारी वजह से नुकसान उठाना पड़ रहा है ये चिंताजनक है.
गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि पार्टी को अपने काम का तरीक़ा बदलना होगा. ज़मीनी स्तर पर मेहनत करनी होगी तभी पार्टी लोगों के दरमियान अपना विश्वास वापस पा सकती है. उन्होंने लद्दाख का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस ने लद्दाख हिल में काउंसिल चुनाव में 9 सीटें जीतीं, जबकि ख़ुद पार्टी को ऐसे सकारात्मक नतीजों की उम्मीद नहीं थी. लेकिन वहां जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं ने काम किया था जिसका परिणाम पार्टी को मिला. गुलाम नबी ने ज़ोर देते हुए कहा कि जब तक पार्टी कामकाज का तरीका नहीं बदलेगी तब तक सकारात्मक परिणाम नहीं मिलेंगे. इसके लिए उन्होंने पार्टी में पदाधिकारियों के चुनाव कराने पर जोर दिया और साथ ही कहा कि नेताओं को अपने अंदर पनप रहे वीआई कल्चर को खत्म करने की सबसे ज्यादा ज़रूरत है.
गुलाम नबी ने आगे कहा कि आज के समय में सबसे दुर्भागयपूर्ण है कि यदि किसी नेता को पार्टी का टिकट मिल जाता है तो वो सबसे पहले खुद को वीआईपी समझने लगता है. टिकट मिलते ही वो सबसे पहले अपने लिए पांच सितारा होटल बुक कराता है. प्रचार के लिए निकलते हैं तो भी उबड़ खाबड़ सड़क से गुजरना पसंद नहीं करते. घनी बस्तियों में अंदर नहीं जाते, लोगों से संपर्क नहीं करते. सिर्फ भीड़ इकट्ठी करके भाषण देते हैं. जब तक नेता अपने अंदर पनप रहे वीआईपी कल्चर को खत्म नहीं करेंगे चुनाव नहीं जीतेंगे. नेताओं को जनता के साथ संपर्क बनाए रखना होगा. पांच सितारा होटलों में बैठकर चुनाव प्रचार या चुनाव नहीं जीते जा सकते.
गुलाम नबी ने पार्टी के पदाधिकारियों को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि तमाम पदाधिकारियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. उन्होंने कहा कि अभी पार्टी में किसी को कोई भी पद मिल जाता है. जब तक पदाधिकारी ऊपर से नियुक्त किए जाते रहेंगे वो ज़मीनी स्तर पर काम नहीं करेंगे. अगर एक प्रक्रिया के तहत पदाधिकारी चुने जाएंगे तो उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास होगा और उनकी जवाबदेही भी होगी. ज़रूरत इस बात की है कि पार्टी में पदाधिकारियों के लिए चुनाव कराए जाएं और फिर उन्हें एक प्रोग्राम दिया जाए.
आज़ाद ने कहा कि हमारी पार्टी का ढांचा गिर चुका है इसे फिर से खड़ा करने की ज़रूरत है. सिर्फ नेता बदल देने से हम चुनाव नहीं जीतेंगे. अब समय अनुसार पार्टी का सिस्टम बदलने की ज़रूरत है. गुलाम नबी ने कहा कि यदि हम देश में विकल्प बनना चाहते हैं तो हमें पार्टी को फिर से जिंदा करने की जरूरत है. और पार्टी में हरेक पद के लिए चुनाव कराने की ज़रूरत है. हरेक स्तर पर जनता से जड़ने की ज़रूरत है.
पार्टी में बदलाव करने को लेकर गुलाम नबी पहले भी आवाज़ उठा चुके हैं और उनके साथ पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल भी पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठा चुके हैं. इससे पहले पार्टी के 23 नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चिट्ठी भी लिखी थी जिसमें पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की गई थी. इनमें कपिल सिब्बल के साथ गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाए जाने से ये दोनों नाराज हो गए थे. बिहार चुनाव में हार के बाद कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है. इसे पार्टी के टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना माना गया था.
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