ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट जारी की जा चुकी है. ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति पहले से कुछ बेहतर हुई है लेकिन हालात अभी भी निराशाजनक हैं. 107 देशों की लिस्ट में भारत 94वें पायदान पर आया है. सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं जिनसे भारत आगे हैं. ये देश हैं- रवांडा, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, लीबिया, मोजाम्बिक और चाड. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत अभी भी अपने कई पड़ोसी देशों से पीछे चल रहा है.
Starting soon: Virtual launch event of #GHI2020 report organized by our @Alliance_2015 partner @Concern. Keynote by @DrMikeRyan of @WHO plus Expert panel with @RobynAlders @vkirogo @HasinaRahman3 @SWalshEU, hosted by @ellamcsweeney.
— Welthungerhilfe (@Welthungerhilfe) October 16, 2020
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 27.2 स्कोर के साथ भारत में भूख के मामले में स्थिति 'गंभीर' है. रिपोर्ट की मानें, तो भारत की करीब 14% जनसंख्या कुपोषण का शिकार है. रिपोर्ट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं.
आंकड़े देखकर पता चलता है कि भारत में 5 साल तक के बच्चों में कुपोषण की दर 37.4 फीसदी है. जबकि शारीरिक विकास कमजोर रहने की दर 17.3 प्रतिशत है. इसके अलावा 5 साल तक के बच्चों में मृत्यु दर 3.7 फीसद है. हैरत की बात तो ये है कि देश की 14 फीसद आबादी ऐसी है जिसे पूरा पोषण ही नहीं मिल रहा है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार भी सीरियस कैटेगरी में रखे गए हैं, लेकिन तीनों की रैंक भारत से ऊपर है. बांग्लादेश 75वें, म्यांमार 78वें और पाकिस्तान 88वें नंबर पर है. नेपाल 73वीं रैंक के साथ मॉडरेट हंगर कैटेगरी में है. इसी कैटेगरी में शामिल श्रीलंका का 64वां नंबर है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के 1991 से 2014 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि इस पूरे काल में भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की ट्रॉमा, इंफेक्शन, न्यूमोनिया और डायरिया से मौत की दर में कमी आई है. हालांकि, प्री-मैच्योरिटी और कम वजन की वजह से गरीब राज्यों और ग्रामीण इलाकों में मृत्यु दर में इजाफा हुआ है.
इस समय बिहार समेत कई राज्यों में उपचुनाव की तैयारी है. चुनावी माहौल गर्म है और ऐसे में हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट ने सत्ता पक्ष को घेरने के लिए विपक्ष के पाले में गेंद फेंक दी है. रिपोर्ट के आंकड़ों को लेकर विपक्ष मुखबर होकर सवाल कर रहा है. कांग्रेस नेता अल्का लाम्बा ने इसे सरल शब्दों में समझाते हुए ट्वीटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है.
मोदी सरकार के पास गिरती अर्थव्यवस्था, ग़रीबी, भूखमरी, बेरोज़गारी का एक ही बहाना - कोरोना का रोना.
— Alka Lamba - अल्का लाम्बा (@LambaAlka) October 17, 2020
जबकि मोदी जी के पूंजीपति मित्रों की सम्पत्ति इसी कोरोना काल में आसमान छू रही है,
हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान के पास ये बहाना नहीं,
बल्कि भारत से बहत्तर हालात हैं. pic.twitter.com/vtA2UnJ5CZ
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट को लेकर सरकार को घेरा और सरकार पर अपने कुछ मित्रों की जेब भरने का आरोप लगाया. राहुल गांधी ने शनिवार को अपने ट्वीट में लिखा, "भारत का ग़रीब भूखा है क्योंकि सरकार सिर्फ़ अपने कुछ ख़ास ‘मित्रों' की जेबें भरने में लगी है."
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में साल 2014 में भारत 55वें स्थान पर था. जबकि 2019 में 102वें स्थान पर था. हालांकि इस फेहरिस्त में दर्ज किए गए मुल्कों की संख्या हर साल घटती-बढ़ती रही है. 2017 में बनी 119 मुल्कों की फेहरिस्त में भारत 100वें पायदान पर था, वहीं वर्ष 2018 में 119 देशों की सूची में 103वें स्थान पर रहा था.
भारत का ग़रीब भूखा है क्योंकि सरकार सिर्फ़ अपने कुछ ख़ास ‘मित्रों’ की जेबें भरने में लगी है। pic.twitter.com/MMJHDo1ND6
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 17, 2020
क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स
दुनिया के अलग अलग देशों में आम लोगों को पेट भरने के लिए कौन-कौन सी चीज़ें कितनी मात्रा में मिल रही हैं, ये दर्शाने के लिए ग्लोबल हंगर इंडेक्स का सहारा लिया जाता है. ग्लोबर हंगर इंडेक्स हर साल ताज़ा आंकड़ों के साथ जारी होता है. इस इंडेक्स के ज़रिए दुनियाभर में भूख के ख़िलाफ़ चल रहे अभियानों की उपलब्धियां और नाकामियां दोनों बताई जाती हैं. इस सर्वे की शुरुआत इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की थी. साल 2006 में इसे सबसे पहले जर्मन स्वंयसेवी संस्थान वेल्ट हंगरलाइफ ने जारी किया था. साल 2007 से इस अभियान में आयरलैंड का भी एक स्वयमसेवी संगठन शामिल हो गया.
'ग्लोबल इंडेक्स स्कोर' ज़्यादा होने का मतलब है उस देश में भूख की समस्या अधिक है. उसी तरह किसी देश का स्कोर अगर कम होता है तो उसका मतलब है कि वहाँ स्थिति बेहतर है. इसे नापने के चार मुख्य पैमाने हैं - कुपोषण, शिशुओं में भयंकर कुपोषण, बच्चों के विकास में रुकावट और बाल मृत्यु दर.
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