सतयुग में अवतार लेने वाले भगवान श्री हनुमान की कलयुग में भी बहुत मान्यता है. दुनियाभर में भगवान हनुमान के भक्त उनकी पूजा अर्चना कर उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हैं. शास्त्रों के अनुसार, रुद्र अवतार कहे जाने वाले श्री हनुमान भगवान ने पृथ्वी पर अवतार सतयुग के चौथे चरण में लिया था. शिवजी ने हनुमान जी को राम नाम का रसायन प्रदान किया. हनुमान जी ने राम नाम का जप प्रारम्भ किया और फिर त्रेतायुग में अन्जना और केसरी के यहां पुत्र रूप में उन्होंने जन्म लिया.
भगवान हनुमान बालब्रहम्चारी थे. इसिलिए आज भी महिलाओं को मंदिरों में उनकी पूजा करने की अनुमति भी नहीं दी जाती है. लेकिन भगवान हनुमान के जीवन से जुड़ा एक अनोखा रहस्य है जिसके बारे में शायद बहुत कम लोग जानते हों. वो रहस्य ये है कि उनका एक पुत्र भी था,जिसका नाम था - मकरध्वज. ये रहस्य सबको चकित करने वाला है लेकिन इससे भी दिलचस्प बात ये थी कि इसके बारे में खुद हनुमान जी को भी नहीं पता था. आइए जानें भगवान हनुमान जी के जीवन से जुड़े इस रहस्य के बारे में.
श्री हनुमान भगवान के पुत्र का नाम मकरध्वज था. मकरध्वज भगवान हनुमान जी का पुत्र था इसका ज्ञान उन्हें भी नहीं था. लेकिन अहिरावण के साथ युद्ध के दौरान हनुमान जी की मुलाकात अपने पुत्र मकरध्वज से हुई . ये युद्ध कब हुआ और कौन था अहिरावण?
कृत्तिवास रामायण में अहिरावण को विश्रवा ऋषि के पुत्र और रावण के भाई बताया गया है. वो राक्षस थे और गुप्त रूप से राम और उनके भाई लक्ष्मण को पताल लोक ले गए थे और दोनों भाईयों की बलि के लिए तैयार हो गए थे. लेकिन वो ऐसा कर पाते इससे पहले हनुमान जी ने अपने आराध्य राम भगवान और लक्ष्मण की वहां से निकलने में उनकी सहायता की.
हनुमान पुत्र कैसे बने? दरअसल जब हनुमान जी रावण की लंका को आग की भेंट कर लौट रहे थे तब वे अपनी पूंछ पर लगी आग को बुझाने के लिए एक नदी में उतर गए. गर्मी और आग की वजह से उन्हें बहुत पसीना आ रहा था. तभी उनके शरीर के पसीने की कुछ बूंदे एक मछली के मुंह में चली गईं जिससे उसने एक पुत्र को जन्म दिया. मछली से जन्मा ये पुत्र आधा वानर और आधा मछली के शरीर वाला था.
उस काल में अहिरावण पाताललोक में राज करता था. उसके राज्य के लोगों को यही मछली मिली जिसे काटने पर एक जीव मिला. उन्होनें उसे पाला और नाम दिया मकरध्वज. मकरध्वज का आधा शरीर मछली और आधा वानर का था. बड़े होकर मकरध्वज बहुत ताकतवर हो गया और अहिरावण ने उसे पाताल के द्वार पर खड़ा कर उसे रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंप दी.
ऐसे होती है हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज की मुलाकात वाल्मीकि रामायण के अनुसार अहिरावण ने जब राम और लक्ष्मण को कैद कर लिया था तब हनुमान उन्हें मुक्त करवाने पाताल लोक पहुंचे जहां उनकी मुलाकात उसी जीव से हुई, जो आधा वानर और आधा मछली था और स्वयं को हनुमान जी का बेटा कह रहा था. हनुमान जी को पहले आश्चर्य हुआ, लेकिन फिर उन्हें सच ज्ञात हो गया. लेकिन इसके वाबजूद भी मकरध्वज ने अपने पिता हनुमान जी के साथ युद्ध किया. क्योंकि उसे पाताल की रक्षा के लिए नियुक्त किया गया था और इसी कर्तव्य का पालन करते हुए उसने अपने पिता हनुमान से युद्ध करने को कहा.
इस युद्ध में मकरध्वज को भगवान हनुमान ने हरा दिया और अहिरावण का वध कर राम-लक्ष्मण को उसके चंगुल से बचा लिया. इसके पश्चात हनुमान भगवान ने अपने पुत्र मकरध्वज को ही पाताल लोक का राजा नियुक्त कर दिया.
आज भी देश में कई जगहों पर हनुमान जी और उनके पुत्र मकरध्वज के मंदिर है जिनकी बहुत मान्यता है. इनमें गुजरात में स्थित हनुमान दंडी मंदिर में एक साथ होती पिता-पुत्र की आराधना की जाती है. इसके अलावा राजस्थान के मकरध्वज बालाजी धाम स्थित है. यही नहीं, ग्वालियर के रानी घाटी जंगलों में बने मंदिर में भी मकरध्वज की प्रतिमा स्थापित की गई है.
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