मोदी सरकार के बनाए खेती-बाड़ी के क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों ने भारत बंद बुलाया है. किसानों के बंद को कश्मीर से कन्याकुमारी तक के विपक्षी दलों ने समर्थन देने का एलान किया है. इनमें कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, टीएमसी, वामपंथी दल, टीआरएस, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल और राष्ट्रीय जनता दल समेत 16 से अधिक दल शामिल हैं.
8 दिसंबर को किसान क्रांति के समर्थन में शांतिपूर्ण भारत बंद है। हम इसका पूर्ण रूप से समर्थन करेंगे।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 7, 2020
देश के अन्नदाता से अत्याचार और अन्याय असहनीय है।
‘अदानी-अंबानी कृषि क़ानून’ वापस लो! pic.twitter.com/qlSpRtYnhW
किसानों के बंद को विपक्ष के समर्थन के बीच आज बीजेपी ने कृषि सुधारों को लेकर विपक्षी दलों के पाखंड का पर्दाफ़ाश करने का दावा किया. बड़े तीखे तेवरों के साथ क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बीजेपी हेडक्वार्टर पर पत्रकारों से मुख़ातिब हुए. उन्होंने बारी बारी से विपक्षी नेताओं और किसानों के बंद का समर्थन करने वाले नेताओं का नाम ले लेकर, कृषि सुधारों पर उनकी हिप्पोक्रेसी की पोल खोलने का दावा किया.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जो कांग्रेस आज कृषि सुधारों का विरोध कर रही है. इसी कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने 2013 में अपनी पार्टी के 12 मुख्यमंत्रियों की मीटिंग बुलाई थी. इस मीटिंग में दो बड़े फ़ैसले लियए गए थे. फलों और सब्जियों को मंडी के चंगुल से बाहर किया जाएगा. और, किसान अपनी फसल सीधे बाजार में बेच पाएंगे.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि UPA सरकार के दस साल के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस लगातार किसानों की हालत सुधारने के लिए इन्ही सुधारों की दिशा में बढ़ रही थी. मगर आज सिर्फ़ मोदी विरोध के नाम पर वो किसानों की भलाई के क़ानूनों का विरोध कर रही है.
आज जो हमने काम किया है,8-9 साल पहले मनमोहन सिंह जी की सरकार ये कर रही थी, 2005 में शरद पवार ये बोल रहे थे। जिस समय शरद पवार ये बोल रहे थे कि अगर आप सुधार नहीं करोगे तो हम वित्तीय समर्थन देना बंद कर देंगे। उस समय मनमोहन सिंह जी की सरकार का समर्थन सपा, RJD, CPI और अन्य दल कर रहे थे pic.twitter.com/JMSvh8gICz
— BJP (@BJP4India) December 7, 2020
रविशंकर प्रसाद ने 2019 के आम चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र का हवाला देते हुए कहा कि तब कांग्रेस ने किसानों को मंडियों से आज़ादी दिलाने का वादा किया था. और अब जबकि मोदी सरकार इस दिशा में आगे बढ़ी है, तो कांग्रेस के नेता पाखंड दिखाते हुए विरोध पर उतर आए हैं.
कांग्रेस पार्टी ने 2019 के चुनाव में अपने चुनाव घोषणा पत्र में साफ-साफ कहा है कि एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट एक्ट को समाप्त करेगी और किसानों को अपनी फसलों के निर्यात और व्यापार पर सभी बंधनों से मुक्त करेगी: श्री @rsprasad pic.twitter.com/CO92BG3Y7O
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रविशंकर प्रसाद ने UPA सरकार में कृषि मंत्री रहे शरद पवार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आज पवार, किसानों के बंद के समर्थन का एलान कर रहे हैं. खेती-बाड़ी के क़ानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं और विरोध जताने के लिए 9 दिसंबर को राष्ट्रपति से भी मिलने वाले हैं. मगर दस साल पहले यही पवार, कृषि मंत्री के तौर पर APMC एक्ट में बदलाव के लिए मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिख रहे थे.
शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी।
— BJP (@BJP4India) December 7, 2020
जिसमे उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है, किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने का अवसर मिलना चाहिए: श्री @rsprasad pic.twitter.com/MCEmO0bq0F
बीजेपी प्रवक्ता के तौर पर पार्टी के दफ़्तर पहुंचे क़ानून मंत्री ने किसानों के बंद को विपक्ष के समर्थन के ख़िलाफ़ सरकार की ज़ोरदार वकालत की. उन्होंने कहा कि आज मोदी विरोध के लिए किसानों के साथ खड़े अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने संसद की स्टैंडिंग कमेटी में किसानों को मंडी के चंगुल से आज़ाद कराने की वकालत की थी.
सरकार के वकील के तौर पर सामने आए रविशंकर प्रसाद ने ठेके पर खेती को लेकर भी विपक्षी दलों के पाखंड का पर्दाफ़ाश करने का दावा किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ही राज में देश के क़रीब दर्जन भर राज्यों में ठेके पर खेती करने की शुरुआत हुई. पर, आज मोदी सरकार यही सुधार करना चाहती है, तो सभी विरोधी उनके ख़िलाफ़ खड़े हो गए हैं.
रविशंकर प्रसाद ने ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, के चंद्रशेखर राव समेत हर उस नेता पर अटैक किया, जिसने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि ये नेता किसानों के आंदोलन के बिन बुलाए मेहमान हैं.
किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएंगे।
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हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं।
लेकिन ये सभी कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेन्द्र मोदी जी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है: श्री @rsprasad pic.twitter.com/4ISARGGjvL
पर, विपक्ष का पर्दाफ़ाश करने के दौरान रविशंकर प्रसाद ने तथ्यों को पूरी स्पष्टता से रखने से परहेज़ किया. क्योंकि, ख़ुद उनकी पार्टी ने भी ऐसे सुधारों का विरोध किया था. 2012 में जब मनमोहन सिंह की सरकार रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की इजाज़त देने का बिल लेकर आई थी, तो बीजेपी ने आसमान सिर पर उठा लिया था. आज बीजेपी, किसानों के आंदोलन को कांग्रेस के समर्थन का विरोध कर रही है. और ये आरोप लगाती है कि कांग्रेस आढ़तियों के साथ खड़ी है. मगर, 2012 में विपक्ष ने रहते हुए बीजेपी ने भी विरोध का फ़र्ज़ निभाते हुए, आढ़तियों को किसानों का एटीएम बताया था.
ज़ाहिर है, किसानों के नाम पर विरोध की इस राजनीति की शुरुआत का श्रेय अगर बीजेपी को दिया जाए, तो ग़लत न होगा. आज सत्ता में होने और कृषि क़ानूनों पर किसानों का विरोध झेलने के कारण, बीजेपी विपक्षी दल के पर्दाफ़ाश की बात तो करती है. मगर विपक्ष में अपने विरोध को भूल जाती है. मनमोहन सरकार के दौरान बीजेपी ने ऐसे कई क़ानूनों का विरोध किया था, जिन्हें सत्ता में आने के बाद वो ख़ुद लेकर आई. इस लिस्ट में GST और रिटेल सेक्टर में FDI जैसे क़ानूनों के साथ-साथ अब कृषि सुधारों के क़ानून भी जुड़ गए हैं.
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