केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने गुरुवार को कहा कि सरकार कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर किसानों से बातचीत करने को तैयार है. एक प्रेसकॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने एक बार फिर कहा कि संसद द्वारा सदन में पारित कानूनों से किसानों का ही फायदा होगा. इसी के साथ उन्होंने किसानों से अपील की कि वे एक बार प्रस्तावित संशोधनों को पढ़ लें जिन्हें सरकार कृषि कानूनों में शामिल करने पर विचार कर रही है और इस पर बातचीत करने के लिए तारीख तय कर दें. तोमर ने यह भी कहा, "सरकार बातचीत के लिए तैयार है."
लाइव: केंद्रीय मंत्री @nstomar और केंद्रीय मंत्री @PiyushGoyal कर रहे हैं प्रेस कॉन्फ्रेंस
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) December 10, 2020
राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, नई दिल्ली
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तोमर ने कहा, "मैं किसान यूनियनों से अपील करता हूं कि वे बातचीत के लिए तारीख तय करें; हम उन्हें सुनने के लिए तैयार हैं."
कृषि मंत्री तोमर ने किसानों को इस बात का भी आश्वासन दिया कि नए कृषि कानूनों से APMC एक्ट या MSP पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
उनके मुताबिक, "हमने किसानों को प्रस्ताव भेजा है लेकिन वे चाहते हैं कि हम कानून ही वापस ले लें. हम उनसे कह चुके हैं कि कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें आपत्ति है हम उन पर खुले दिमाग से विचार करने के लिए तैयार हैं. इन कानूनों से APMC या MSP प्रभावित नहीं होंगे. हमने ये बातें किसानों को समझाने की कोशिश की है."
किसान संगठनों की पहली मांग कानून निरस्त करने की थी।
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सरकार का पक्ष है कि कानून के वो प्रावधान जिनपर किसानों को आपत्ति है उन प्रावधानों पर सरकार खुले मन से बातचीत करने के लिए तैयार है। सरकार की कोई इगो नहीं है और सरकार को उनके साथ बैठकर चर्चा करने में कोई दिक्कत नहीं है।
केंद्र सरकार के पक्ष को एक बार फिर दोहराते हुए तोमर ने कहा कि इन कानूनों को इस उद्देश्य से पारित किया गया है ताकि किसान मंडी प्रणाली से मुक्त हो सकें और वे अपनी फसलों को बाजार से बाहर भी बेच सकें.
तोमर के मुताबिक, "इन कानूनों से एमएसपी का कोई लेना-देना नहीं है. इनसे एमएसपी पर जरा भी प्रभाव नहीं पड़ेगा. पीएम और मैंने किसानों को आश्वस्त किया है कि MSP जारी रहेगी."
- एमएसपी को ख़त्म नहीं किया जाएगा।
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- एपीएमसी मंडियों को बंद नहीं किया जाएगा।
- किसान की जमीन किसी भी कारण से कोई भी छीन नहीं सकता है।
- खरीदार किसान की भूमि में कोई परिवर्तन नहीं कर सकते हैं।
- ठेकेदार पूर्ण भुगतान के बिना अनुबंध समाप्त नहीं कर सकते।#MSPHaiAurRahega
किसानों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करते हुए तोमर ने कहा, "ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे कि किसानों की जमीनों को उद्योगपतियों द्वारा कब्जा लिया जाएगा. गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक में बहुत पहले से ही अनुबंध पर खेती जा रही है, लेकिन वहां पर अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ."
भ्रम : बड़ी कम्पनियाँ कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर किसानों का शोषण करेंगी।
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सच : करार से किसानों को निर्धारित दाम पाने की गारंटी मिलेगी, लेकिन किसान को किसी भी करार में बाँधा नहीं जा सकेगा। किसान किसी भी मोड़ पर बिना किसी पैनाल्टी के करार से निकलने को स्वतंत्र होगा।#Aatmanirbharkrishi
उन्होंने कहा कि समझौता किसान की फसल का होगा. किसान की जमीन, पट्टा या लीज पर नहीं ली जा सकेगी और न ही इसका समझौता होगा. अगर फसल तैयार करने के दौरान कोई खेत पर कोई ढांचा बनाने की जरूरत पड़ी तो बाद में ये ढांचा हटाना पड़ेगा.
वहीं, प्रेस ब्रीफिंग में मौजूद पीयूष गोयल ने कहा, "मोदी सरकार देश के किसानों के प्रति समर्पित थी, है और रहेगी."
इसी के साथ पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि किसानों के लिए कोई अनिवार्यता नहीं है, उन्हें अपनी फसल बेचने का एक और विकल्प दिया गया है.
आपको बता दें कि इस साल सितंबर में पारित किए गए तीन नए कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों को दूर करने के लिए सरकार ने बुधवार को उन्हें प्रस्तावित संशोधनों का ड्राफ्ट भेजा है. हालांकि किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और वे कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं.
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