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राज्यों की तरफ से केंद्र पर बनाए जा रहे दबाव के बीच GST काउंसिल की बैठक

KRJ Kundan

पटना 27 Aug, 2020 11:25 am

GST परिषद की बैठक हंगामेदार हो सकती है. विपक्षी दल शासित राज्य जीएसटी लागू करने के कारण राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिये केंद्र पर वादे के अनुसार क्षतिपूर्ति देने को लेकर दबाव बना सकते हैं. सूत्रों के अनुसार जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये होगी. बैठक का एकमात्र एजेंडा-राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई है. बैठक में जिन विकल्पों पर विचार किया जा सकता है, उनमें बाजार से कर्ज, उपकर की दर में वृद्धि या क्षतिपूर्ति उपकर के दायरे में आने वाले वस्तुओं की संख्या में वृद्धि, शामिल हैं. सूत्रों ने कहा कि कपड़ा और जूता-चप्पल जैसे कुछ उत्पादों पर उल्टा शुल्क ढांचा यानी तैयार उत्पादों के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक दर से टैक्‍स को ठीक करने पर भी चर्चा होने की संभावना है.

संभावना है कि बैठक में कई राज्य सरकार की तरफ से केंद्र पर दवाब बनाया जा सकता है. बताते चले कि पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है कि राज्यों को जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिये बाजार से कर्ज लेने के लिये नहीं कहा जाना चाहिए. मित्रा ने मंगलवार को सीतारमण को लिखे पत्र में कहा, ‘‘केंद्र को उन उपकर से राज्यों को क्षतिपूर्ति दी जानी चहिए जो वह संग्रह करता है और इसका बंटवारा राज्यों को नहीं होता. जिस फार्मूले पर सहमति बनी है, उसके तहत अगर राजस्व में कोई कमी होती है, यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति राशि देने के लिये संसाधन जुटाये.’’

वहीं बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी ने केंद्र सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जीएसटी व्यवस्था के चलते राज्यों के राजस्व की कमी की प्रतिपूर्ति के लिए मुआवजा देना केंद्र सरकार की नैतिक बाध्यता है. लेकिन यह सही है कि केंद्र सरकार इसके लिए कानूनी तौर पर बाध्य नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार या तो बाजार धन उठा सकती है या राज्यों की ऋण लेने पर गारंटर बन सकती है.

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