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UP में अतिथि व्याख्याताओं का हाल बेहाल, बोले- युवाओं को बेरोजगार कर सेवानिवृत्त लोगों को 25 हजार मानदेय, ये भेदभाव क्यों?

Archit Gupta

नई दिल्ली 22 Sep, 2020 04:18 pm

उत्तर प्रदेश में राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों में पढ़ा रहे अतिथि व्याख्याताओं का हाल बेहाल है. यहां B.Tech, M.Tech डिग्री होल्डर अतिथि व्याख्याताओं को 400 रुपये प्रति लेक्चर एवं अधिकतम 15,000 रुपये मानदेय मिलता है. अब सरकार इन युवाओं का वेतन न बढ़ाकर सेवानिवृत्त पेंशनधारी व्याख्याताओं को 25 हजार रुपये के मानदेह पर रखने का मन बना चुकी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 जून को एक शासनादेश जारी किया जिसमें कहा गया कि डिप्लोमा सेक्टर के अंतर्गत रिक्त प्रवक्ता (विभिन्न विषयों) के पदों पर मानदेय और संविदा के आधार पर सेवानिवृत्त शिक्षकों से अध्यापन कार्य कराया जाएगा. शासन के इस आदेश से B.Tech और M.Tech की पढ़ाई में लाखों रुपये लगाकर अतिथि व्याख्याताओं के रूप में कार्य कर रहे युवाओं को बड़ा झटका लगा है. इस आदेश से 1500 से ज्यादा अतिथि व्याख्याता प्रभावित होंगे. 

अतिथि व्याख्याताओं का कहना है, ''सरकार हम युवा अतिथि व्याख्याताओं के स्थान पर सेवानिवृत पेंशनधारी व्याख्याताओं को रख रही है. लेकिन सरकार को सेवानिवृत्त पेंशन धारी व्याख्याताओं के स्थान पर युवा अतिथि व्याख्याताओं को पॉलिटेक्निक में रखना चाहिए जिससे प्रदेश में शिक्षा की स्तिथि सुधारी जा सके. कहने को तो यह भर्ती रिक्त स्थानों पर है परंतु असलियत में लगभग सारी सीटें रिक्त दिखाकर विभाग द्वारा इन शिक्षकों की भर्ती की जा रही है एवं हम युवा अतिथि व्याख्याताओं को बेरोजगारी की तरफ धकेला जा रहा है,  हम पहले से ही इनसे काफी कम वेतन पर काम कर रहे हैं, ना ही हमें इनके समान संविदा पर रखा जा रहा है, ना ही हमें कोई नियुक्ति पत्र मिलता है, ना ही हमें कोई अनुभव प्रमाण पत्र मिलता है ,ताकि हम बाहर जाके किसी प्रकार का विरोध ना कर सके.  कुछ संस्था में तो स्टाम्प पेपर पर लिखवा के भी लिया गया है कि हम कभी स्थाई होने की मांग नहीं कर सकते एवं हम कभी कोर्ट में केस नहीं कर सकते. कॉलेज स्तर पर भी शोषण किया जाता है, हम लोग केवल शिक्षण कार्य के लिए नियुक्त किए गए है परन्तु वर्ष भर संस्था के सारे कार्य (परीक्षा से लेकर एडमिशन) तक सारे काम करते है, और वेतन भी 3-4 महीने में 1 ही बार में दिया जाता है, कुछ कहने पर संस्था से निकाल देने की धमकी दी जाती है.''

अतिथि व्याख्याताओं का कहना है, ''युवा अतिथि व्याख्याताओं को अंशकालिक 400 रुपये प्रति लेक्चर एवं अधिकतम 15,000 रुपये मानदेय देना, जबकि सेवानिवृत्त पेंशन धारी व्याख्याताओं को 25,000 रुपये मानदेय और संविदा देने से वेतन विसंगति उत्पन्न हो गई है, हम इसका घोर विरोध करते हैं और हम चाहते हैं कि एक ही संस्थान में काम रहे सभी शिक्षकों को एक समान वेतन मिलना चाहिए.''

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अतिथि व्याख्याता चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें हरियाणा, केरल, तेलंगाना, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश एवं अन्य राज्यों के समान ही एक सम्मानजनक मानदेय एवं स्थायित्व प्रदान करें. साथ ही अतिथि व्याख्याताओं को प्रधानाचार्य के आधीन ना रखकर सीधे सरकार से संबंधित किया जाए. जिससे संस्था स्तर पर होने वाले शोषण एवं बंधुआ मजदूरी जैसी उत्पन्न दुर्रव्यस्था को खत्म किया जा सके.

एक अतिथि व्याख्याता शैलेंद्र कहते हैं, ''इस कोरोना महामारी के दौरान हम सभी अतिथि व्याख्याताओं को कई महीनों से कोई मानदेय नहीं मिला है जिसके कारण हम सभी की आर्थिक स्तिथि बहुत चिंताजनक है. हमारी यह मांग है कि रुका हुआ मानदेय हमें यथाशीघ्र दिलाया जाए. ''

शैलेंद्र आगे कहते हैं, ''युवा अतिथि व्याख्याता को अंशकालिक पद के साथ 15,000 रुपये मानदेय और रिटायर्ड पेंशनधारी को संविदा और 25,000 रुपये मानदेय, ये सरकार का कैसा न्याय है? सरकार प्रदेश के युवा पॉलिटेक्निक अतिथि व्याख्याता के साथ यह भेदभाव क्यों कर रही है?''

हिमांशु वर्मा कहते हैं, ''युवाओं के स्थान पर 62 से 70 साल के पेंशनधारी सेवानिवृत्त लोगों को रखने का हम लोग विरोध करते हैं, इस शासनादेश में सरकार उन युवकों को प्रथमिकता दे जो पहले से पॉलिटेक्निक संस्थानों में काम कर रहे हैं.''

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