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Hartalika Teej 2020: जानिए हरतालिका तीज की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

PujaPandit Desk

19 Aug, 2020 04:07 pm

Hartalika Teej 2020: हिन्‍दू सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का विशेष महत्‍व है. यह तीज उत्तर भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में प्रमुखता से मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की आराधना करती हैं. मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति की उम्र लंबी होती है और शिव-पार्वती अखंड सौभाग्‍य का वरदान देते हैं. इस व्रत को कुंवारी कन्‍याएं भी रखती हैं. कहते हैं कि हरतालिका तीज का व्रत करने से मन वांछित पति की प्राप्‍ति होती है. अन्‍य तीज (Teej) व्रतों की तुलना में हरतालिका तीज का व्रत (Hartalika Teej Vrat) बेहद कठिन माना गया है क्‍योंकि इसमें महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला रहकर उपवास रखती हैं. यही नहीं इसमें रात्रि के समय सोना भी वर्जित है.

कब मनाई जाती है हरतालिका तीज?
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की शुक्‍ल पक्ष (Bhadra Pad Teej) की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है. हर साल ये तीज अगस्‍त या सितंबर के महीने में आती है. इस बार हरतालिका तीज 21 अगस्‍त को है.

हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त: 21 अगस्‍त 2020 को सुबह 5:54 से सुबह 8:30 तक
अवधि: 2 घंटे 36 मिनट
प्रदोषकाल हरतालिका पूजा मुहूर्त: 21 अगस्‍त 2020 को शाम 6:54 PM रात 9:06 तक
अवधि: 2 घंटे 12 मिनट

क्‍यों मनाई जाती है हरतालिका तीज?
हरतालिका दो शब्‍दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका. हरत यानी अपहरण और आलिका यानी कि महिला मित्र. दरअसल, पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार माता पार्वती के पिता उनका विवाह भगवान विष्‍णु से करवाना चाहते थे, लेकिन मां पार्वती की इच्‍छा इसके विपरीत थी. वो मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं. ऐसे में मां पार्वती की सहेली उन्‍हें अपने साथ ले जाकर एक घने जंगल में छिपा देती हैं. जंगल में माता पार्वती लंबे समय तक अन्न जल ग्रहण कर भगवान शिव की आराधना करती हैं. अंत में पार्वती की तपस्‍या से प्रसन्न होकर भगवान उन्‍हें पत्‍नी रूप में स्‍वीकार कर लेते हैं.

हरतालिका तीज व्रत के नियम इस प्रकार हैं:
- हरतालिका तीज का व्रत निर्जला किया जाता है, यानी व्रत के दौरान जल ग्रहण करना वर्जित है. इसका मतलब है कि पूरे दिन और रात के बाद अगले दिन सूर्योदय तक पानी नहीं पिया जाता है.
- सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुंवारी कन्‍याएं भी इस व्रत को रख सकती हैं.
- अगर एक बार इस व्रत को उठा लिया जाए तो फिर इसे हमेशा करना होता है.
- हरतालिका तीज के दिन रात्रि जागरण किया जाता है. महिलाएं रात भर जागते हुए भगवत भजन गाती हैं.
- इस व्रत में रात्रि में सोना वर्जित है.

हरतालिका व्रत की पूजन सामग्री
हरतालिका व्रत से पहले ही पूजन सामग्री एकत्रित कर लें. इस व्रत की पूजन सामग्री इस प्रकार है: गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्‍त्र, ऋतु फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद.

माता पार्वती के लिए श्रृंगार सामग्री
हरतालिका तीज के व्रत में मां पार्वती को सुहाग सामग्री भी अर्पित की जाती है.  सुहाग सामग्री में शामिल है: मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर और सुहाग पिटारी. 

हरतालिका तीज की पूजन विधि 
प्रदोष काल में हरतालिका तीज की पूजा का विधान है. प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय अर्थात संध्‍या काल है. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है: 
- तीज के दिन सवेरे नित्‍य कर्म और स्‍नान से निवृत्त होकर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें.
- अब घर के मंदिर में बैठकर नित्‍य पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्‍प लें.
- संध्‍या के समय फिर से स्‍नान कर नए कपड़े पहनें और सोलह श्रृंगार करें. 
- वैसे तो हरतालिका तीज की पूजा महिलाएं आस-पास के मंदिर में करती हैं, लेकिन आप चाहें तो घर पर ही पूजा कर सकती हैं.
- पूजा के लिए सबसे पहले गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं.  
- अब पंचामृत तैयार कर लें. पंचामृत दूध, दही, चीनी, शहद और घी से तैयार किया जाता है.
- एक थाली में सुहाग की सामग्री को अच्‍छी तरह सजाकर लें और माता पार्वती को अर्पित करें. 
- इसके बाद शिवजी को वस्‍त्र अर्पित करें. 
- अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें और फिर सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी-पार्वती की आरती उतारें. 
- भगवान की परिक्रमा करें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें.
- इस व्रत में पूजा के बाद भी भोजन-पानी ग्रहण नहीं किया जाता है. रात्रि में जागरण किया जाता है.
- अगले दिन सूर्योदय के समय स्‍नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्‍हें सिंदूर चढ़ाएं. 
- अब माता पार्वती को खीरे और हल्‍वे का भोग लगाएं. मां को भोग लगाने के बाद आप स्‍वयं भी खीरा खाएं और व्रत का पारण करें.
- माता पार्वती को चढ़ाई पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें.)

हरतालिका तीज की व्रत कथा
हरतालिका तीज की व्रत कथा इस प्रकार है- देवादि देव महादेव भगवान शिव ने माता पार्वती को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था. महादेव ने मां गौरा को बताया कि उन्‍होंने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था. बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया. 12 सालों तक निराहार रह करके तप किया. एक दिन नारद जी ने उन्हें आकर कहा कि पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं. नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए. उधर, भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं. भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी. फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है. यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा. माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं. यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की. संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की. इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया.

उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया. उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे. फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पंहुचे. इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया. तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए.

आप सभी को हरतालिका तीज की शुभकामनाएं.

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