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हाथरस कांड: आज रिपोर्ट नहीं सौंपेगी SIT, योगी सरकार ने दिया 10 दिन का और समय

Babita Pant

लखनऊ 07 Oct, 2020 11:10 am

Hathras Gang-rape Case: हाथरस में 19 वर्षीय मृतक दलित लड़की के साथ हुए तथाकथित गैंगरेप के मामले की जांच के लिए गठित स्‍पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) को बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी. लेकिन अब खबरों में कहा जा रहा है कि सरकार ने रिपोर्ट के लिए 10 दिनों का समय और बढ़ा दिया है.

आपको बता दें कि एसआईटी की शुरुआती जांच के आधार पर उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने हाथरस के एसपी और केस में शामिल अन्‍य पुलिसवालों को सस्‍पेंड कर दिया था. उत्तर प्रदेश के गृह सचिव भगवान स्‍वरूप इस मामले में गठित एसआईटी की अगुवाई कर रहे हैं और उन्‍होंने पीड़िता के परिवार समेत इसमें शामिल सभी लोगों के लाई-डिटेक्‍टर का सुझाव दिया है. इस एसाआईटी के दो अन्‍य सदस्‍यों में पुलिस उप महानिरिक्षक चंद्रप्रकाश और आईएएस अफसर पूनम शामिल हैं.

गौरतलब है कि 14 सितंबर को यूपी के हाथरस में अगढ़ी जाति के कुछ लोगों ने 20 साल की दलित लड़की के साथ तथाकथित रूप से गैंगरेप किया. शुरुआत में लड़की का इलाज अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज और अस्‍पताल में किया गया. इसके बाद उसे दिल्‍ली के सफदरजंग अस्‍पताल ले जाया गया, जहां उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. आरोप है कि हाथरस पुलिस ने आनन-फानन में परिवार की मंजूरी लिए बिना ढाई बजे रात को ही पीड़ित लड़की का अंतिम संस्‍कार कर दिया. इस कांड ने देश भर का ध्‍यान अपनी ओर खींचा, लेकिन परिवार वालों को न तो मीडिया से बात करने दी गई और न ही किसी राजनीति दल के सदस्‍य वहां पहुंच पाए. इस घटना को लेकर देश भर में विरोध-प्रदर्शन हुए और सीएम योगी के इस्‍तीफे की मांग तेज हो गई. बढ़ते विरोध को देखते हुए यूपी प्रशासन ने नियमों में ढील दी और मीडिया को वहां जाने दिया गया. साथ ही नेताओं को भी पीड़ित परिवार से मिलने की छूट दी गई. हाथरस में अब तक कई छोटी-बड़ी पार्टी के नेता पीड़ित परिवार से मिल चुके हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी हाथरस जाकर पीड़ित परिवार का हाल-चाल जाना.

वहीं, मंगलवार को एसआईटी ने हाथरस जाकर उस जगह का मुआयना किया, जहां पीड़ित लड़की का अंतिम संस्‍कार किया गया था. उधर, यूपी सरकार ने हाथरस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनाम दायर है, जिसमें रात के समय अंतिम संस्‍कार किए जाने की वजह का खुलासा किया गया है. हलफनामे के मुताबिक, पीड़ित परिवार को मनाने के बाद ही रात के समय अंतिम संस्‍कार किया गया. सरकार का कहना है कि उनके पास खुफिया जानकारी थी कि अगले दिन सुबह बड़ी हिंसा होने वाली थी और इसी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया. इसी के साथ यूपी सरकार ने विपक्षी पार्टियों, सिविल सोसाइटी संगठनों और कुछ मीडिया संस्‍थानों पर इस मामले को लेकर जातीय दंगा फैलाने की कोशिश का आरोप लगाया है.

इस हलफनामे में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने और कोर्ट द्वारा इसकी निगरानी किए जाने की मांग की है.

यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है, "सच तक पहुंचने के लिए यूपी सरकार स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष जांच के प्रति प्रतिबद्ध है. राज्‍य सरकार चाहती है कि अदालत सीबीआई को मामले की जांच और जातिगत तनाव फैलाने, हिंसा भड़काने और मीडिया व राजनीतिक पार्टियों के एक वर्ग द्वारा तथाकथित आपराधिक षड्यंत्र रचने की जांच के निर्देश दे.

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