Hathras Gang-rape Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने हाथरस (hathras) में कथित रूप से 19 साल की दलित लड़की के साथ हुए गैंगरेप के मामले में मंगलवार को 11 पेज का आदेश जारी किया. इस आदेश में कोर्ट ने साफ कहा है कि मामले में सभी पक्षों और मीडिया को अनावश्यक बयानबाजी से बचना चाहिए और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करना चाहिए. इसी के साथ कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को भी पीड़ित मृतक लड़की के चरित्र हनन का अधिकार नहीं है और ठीक इसी तरह जब तक निष्पक्ष जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक आरोपी को भी दोषी करार नहीं दिया जाएगा. आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस में हुए गैंगरेप के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच इस मामले में सरकार और पीड़ित पक्ष की सुनवाई कर रही है. इस मामले की पहली सुनवाई सोमवार को हुई थी और इसके अगले दिन आज आदेश जारी किया गया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश जारी कर हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार और उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ & ऑर्डर) प्रशांत कुमार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है. आपको बता दें कि गैंगरेप की शिकार लड़की के घरवालों ने हाथरस के डीएम पर धमकाने का आरोप लगाया था. इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप भी वायरल हुई थी, जिसमें डीएम कहते हुए नजर आ रहे थे कि "मीडिया अब यहां से जा चुकी है, तुम लोगों को यही रहना है." यही नहीं पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया कि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस ने न तो उनकी बेटी के शव के अंतिम दर्शन करने दिए और न ही जल्दबाजी में दाह संस्कार करने के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति दी.
वहीं, एडीजी (लॉ & ऑर्डर) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएफएल रिपोर्ट का हवाला देते हुए लड़की के बलात्कार की बात से ही इनकार कर दिया था. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रशांत कुमार को फटकार लगाते हुए कहा था, आपको कैसे पता कि उसका बलात्कार नहीं हुआ था? क्या जांच पूरी हो चुकी है? आपको साल 2013 में बनाए गए नए बलात्कार कानून को पढ़ना चाहिए."
हाईकोर्ट ने मामले में शामिल रहे निलंबित एसपी विक्रांत वीर को 2 नवंबर को अदालत में पेश होने का आदेश भी जारी किया है. आपको बता दें कि हाथरस मामले में किरकिरी होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसपी समेत चार अन्य पुलिसवालों को निलंबित कर दिया था. हालांकि डीएम पर कोई एक्शन नहीं लिया गया था.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में रात में ढाई बजे अंतिम संस्कार किए जाने पर भी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने अध्यादेश में पूछा है कि आखिर परिवार की मंजूरी के बिना लाश क्यों जलाई गई?
गौरतलब है कि कथित रूप से गैंगरेप की शिकार लड़की ने इलाज के दौरान दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था. इसके बाद हाथरस पुलिस ने आनन-फानन में रात के ढाई बजे पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया. आरोप है कि लड़की के घरवालों की सहमति के बिना अंतिम संस्कार किया गया. यहां तक कि परिजनों को उनके घर पर ही बंदी बना लिया गया अैर क्षेत्र में मीडिया के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी गई. परिजनों का आरोप है कि वे आखिरी बार अपनी लड़की का चेहरा भी नहीं देख पाए. रात में अंतिम संस्कार किए जाने का विरोध पूरे देश भर में हुआ.
हालांकि यूपी पुलिस ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है. यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे के मुताबिक उनके पास खुफिया जानकारी थी कि कुछ राजनीतिक पार्टिंया, सिविल सोसाइटी और मीडिया संस्थान क्षेत्र में जातिगत हिंसा फैलाना चाहते थे. यूपी सरकार का तर्क है कि इस हिंसा को रोकने के लिए ही उन्होंने परिवार को मनाने के बाद पीड़ित लड़की का अंतिम संस्कार रात में किया.
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