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महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को आयकर विभाग का नोटिस

Fauzia

मुंबई 23 Sep, 2020 01:18 am

महाराष्ट्र के हालात इन दिनों काफ़ी दिलस्चप हो गए हैं. एक तरफ़ महाराष्ट्र सरकार को विपक्ष के तीखे तीवरों का सामना कर पड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर इनकम टैक्स विभाग राज्य के मुख्यमंत्री को नोटिस थमा रहा है. खबर है कि आयकर विभाग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस यानी एनसीपी प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मंत्री आदित्य ठाकरे को नोटिस भेजा है. बताया जा रहा है कि शरद पवार को ये नोटिस पिछले चुनाव में दिए गए हलफनामे को लेकर दिया गया है.

शरद पवार ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके इस बात की जानकारी दी की उन्हें आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजा गया है. जब नोटिस के संबंध में पत्रकारों ने सवाल पूछा तो उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों को हम से ज़्यादा मोहब्बत है. शरद पवार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को आयकर विभाग द्वारा नोटिस भेज कर उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा कर रही है.

उन्होंने इस दौरान यह भी बताया कि राज्यसभा में बवाल के बाद निलंबित आठ सदस्यों के समर्थन में वह एक दिन का उपवास रखेंगे. ऐसा कर वह भी उनके आंदोलन में साथ देंगे.

पवार ने सवाल पूछा कि केंद्र आखिर कृषि बिल पास कराने के लिए इतनी जल्दबाज़ी में क्यों थी. अगर सांसद बिल पर चर्चा और वोटिंग की मांग कर रहे हैं तो तो फिर उनकी बात क्यों नहीं सुनी गई. पवार ने कहा कि सरकार की नीयत भले ही सही हो, लेकिन उन्होंने कभी भी इस तरह से बिलों को पास होते नहीं देखा.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि राज्यसभा के उपसभापति नियमों से परे नहीं है. राज्यसभा के सदस्यों को उनकी राय ज़ाहिर करने और आवाज़ बुलंद करने के लिए सज़ा के तौर पर निलंबित किया गया है.

आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके मंत्री और बेटे आदित्य ठाकरे, शरद पवार और उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ झूठा हलफनामा देने के आरोप की जांच करने को कहा है.

सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने ये शिकायतें एक महीने पहले ही सीबीडीटी को सौंपी थी. आयोग ने चुनावी हलफनामे में संपत्तियों और देनदारियों की सत्यता की जांच करने का आग्रह किया है. जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए के तहत यदि कोई व्यक्ति हलफनामे में झूठी जानकारी देने का दोषी पाया गया, तो उसे छह महीने की जेल, जुर्माना या दोनों ही सजा हो सकती हैं.

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